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नयी तकनीकों से खत्म हो रहा कैश का जमाना

‘कैश फ्री ट्रांजेक्शन’ के मामले में स्वीडन दुनिया का नंबर वन देश है. नयी टेक्नोलॉजी के जरिये ‘कैश फ्री सोसायटी’ का निर्माण होने से स्वीडन में अपराध में काफी कमी आयी है. जानकार मानते हैं कि कैशलेस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से दुनियाभर में लेन-देन की प्रक्रिया में होनेवाले खर्च में कमी लाते हुए अपराध मुक्त […]

‘कैश फ्री ट्रांजेक्शन’ के मामले में स्वीडन दुनिया का नंबर वन देश है. नयी टेक्नोलॉजी के जरिये ‘कैश फ्री सोसायटी’ का निर्माण होने से स्वीडन में अपराध में काफी कमी आयी है. जानकार मानते हैं कि कैशलेस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से दुनियाभर में लेन-देन की प्रक्रिया में होनेवाले खर्च में कमी लाते हुए अपराध मुक्त समाज की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है. स्वीडन में कैसे बना कैशलेस समाज, क्या है संयुक्त राष्ट्र का डिजिटल पेमेंट कार्यक्रम और कैशलेस समाज के निर्माण की राह में क्या हैं चुनौतियां, बता रहा है नॉलेज.

ब्रह्नानंद मिश्र

जिंदगी की तमाम जरूरतों का हल इंसान के उद्यम पर टिका होता है और जरूरतों को पूरा करने के लिए इंसान ने जिस माध्यम को अपनाया, उसे ‘मुद्रा’ के रूप में जाना जाता है. या कह सकते हैं कि ‘मुद्रा यानी कैश’ लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जमा किया जाने वाला भौतिक माध्यम है. लेन-देन प्राचीन काल से ही मानव विकास से जुड़ी अहम प्रक्रिया रही है. 1661 में यूरोपीय देश स्वीडन ने जब पहली बार दुनिया को ‘बैंक नोट’ से परिचित कराया था, तो मुद्रा के आदान-प्रदान की इस तकनीक को बड़ी ही सहजता से स्वीकार किया गया था.

एक बार फिर से इतिहास का रुख स्वीडन की ही तरफ है. दरअसल, स्वीडन दुनिया का पहला कैशलेस (बिना मुद्रा के) लेन-देन देश बनने की ओर अग्रसर है. कैश लेकर चलना, कैश से खरीदारी करना और कैश से व्यापार करना आदि बातें भावी पीढ़ी के लिए इतिहास की कहानियों की तरह हो जायेंगी और तब पूरे विश्व में डिजिटल पेमेंट की तकनीक आम लोगों के लिए एक सहज माध्यम बन चुकी होगी. डिजिटल पेमेंट की तकनीक विभिन्न माध्यमों द्वारा संचालित की जा रही है. ज्यादातर देशों में जहां एक ओर बैंकों द्वारा डेबिट कार्ड/ क्रेडिट कार्ड और ऑनलाइन प्रक्रिया द्वारा कैशलेस बैंकि ंग व व्यापार को आसान बनाया जा रहा है, वहीं मोबाइल तकनीक दिन-प्रतिदिन इस कड़ी में नये अध्याय जोड़ रही है. डिजिटल आधारित यह तकनीक बैंक लूट जैसी बड़ी घटनाओं को रोकने में कारगर साबित हो रही है.

स्वीडन में नयी तकनीकों से कैशलेस समाज

बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, स्वीडन की अर्थव्यवस्था में नोट व सिक्कों की हिस्सेदारी महज तीन प्रतिशत ही रह गयी है, जबकि यूरो जोन में औसतन नौ प्रतिशत और यूएस में औसतन सात प्रतिशत तक है. कैशलेस प्रक्रिया की मुहिम से जुड़े बिजॉर्न अल्वियस का मानना है कि स्वीडन में तीन प्रतिशत का भी आंकड़ा अधिक है. उनका कहना है कि कैशलेस सोसाइटी उन लोगों के लिए थोड़ा अजीब हो सकती है, जिन लोगों के लिए पैसा ही सब कुछ है. अल्वियस के अलावा अन्य लोगों का भी तर्क है कि कैशलेस या डिजिटल पेमेंट आम लोगों के लिए सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है. इस तकनीक से एक हद तक कैश के लेन-देन में होने वाले भ्रष्टाचार पर निगरानी रखी जा सकती है.

अपराध की दर में गिरावट

‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वीडिश बैंकर्स एसोसिएशन का मानना है कि कैश इकॉनोमी के सिकुड़ने की वजह से अपराध के ग्राफ में भी गिरावट देखी जा रही है. स्वीडन में वर्ष 2008 में बैंक लूट के 110 मामले दर्ज किये गये थे, जबकि वर्ष 2011 में बैंक लूट की केवल 16 घटनाएं ही सामने आयी थीं. सड़कों पर होने वाली लूट-पाट की घटनाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं. डिजिटल पेमेंट का दूसरा पहलू साइबर क्राइम का है. स्वीडिश नेशनल काउंसिल फॉर क्राइम प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2000 में कंप्यूटर फ्रॉड से जुड़े 3304 मामलों की अपेक्षा वर्ष 2011 में ऐसे अपराधों की संख्या 20,000 तक पहुंच चुकी थी. ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ द्वारा जारी ग्लोबल इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रिपोर्ट के मुताबिक, स्वीडन पिछले दो वर्षो में पहले स्थान पर रहा. इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट ने 2010 में डिजिटल इकोनॉमी रैंकिंग में स्वीडन को पहले स्थान पर रखा था. इससे यह स्पष्ट होता है कि आर्थिक विकास के क्रम में स्वीडन जैसे देशों ने इंफॉर्मेशन व कम्युनिकेशन तकनीकों को अपना सशक्त माध्यम बना लिया है.

आर्थिक विकास में डिजिटल पेमेंट की अहम भूमिका

वल्र्ड बैंक डेवलपमेंट रिसर्च ग्रुप के हाल की रिपोर्ट के अनुसार, उभरती व विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों में डिजिटल पेमेंट की तकनीक से न केवल बड़ी व अहम समस्याओं से निपटने में मदद मिली है, बल्कि आर्थिक विकास के मोरचे पर भी बड़ी कामयाबी मिली है. यह निष्कर्ष सामने आया है कि दुनियाभर में डिजिटल पेमेंट की प्रक्रिया में शामिल दाता और प्राप्तकर्ता दोनों को फायदा मिलता है और इससे अन्य वित्तीय माध्यमों और प्रक्रियाओं को समझने में आसानी हुई है. विशेषकर उन महिलाओं, जिनकी निर्भरता सीमित कैश पर होती है, उन्हें आर्थिक सहूलियत मिली है. गरीबों और वंचितों के लिए चलायी जाने वाली लाभकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में और पारदर्शिता बरतने में डिजिटल पेमेंट तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

विकसित देशों की बात करें तो डिजिटल पेमेंट से होने वाले फायदों की वजह से लोग नयी-नयी तकनीकों से बेहद करीब से रू-ब-रू हो रहे हैं. वल्र्ड बैंक डेवलपमेंट रिसर्च ग्रुप की प्रमुख अर्थशास्त्री लिओरा क्लैपर का मानना है कि डिजिटल फाइनेंस की तकनीक ने रकम भेजने, प्राप्त करने और भुगतान करने की प्रक्रिया में सुरक्षा बढ़ा दी है और लागत में भी काफी कमी आयी है. इससे महिलाओं के आर्थिक विकास के क्रम में जुड़ने और महिला सशक्तिकरण की दिशा में कामयाबी मिलेगी. इससे आर्थिक सुधारों की दिशा में महिलाओं की हिस्सेदारी, धन के लेन-देन में पारदर्शिता संभव हो सकेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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