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भोजन का विकल्प बनेगा सॉयलेंट पाउडर!

एक नये फूड सप्लीमेंट (ड्रिंक) ने अमेरिका में धूम मचा रखी है, जिसमें भोजन में मिलनेवाले सभी पोषक तत्व मौजूद होने का दावा किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इस फूड सप्लीमेंट को पी लेने के बाद इंसान की भोजन की जरूरत पूरी हो जायेगी. हालांकि, अभी इसकी कीमत बहुत ज्यादा है, […]

एक नये फूड सप्लीमेंट (ड्रिंक) ने अमेरिका में धूम मचा रखी है, जिसमें भोजन में मिलनेवाले सभी पोषक तत्व मौजूद होने का दावा किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि इस फूड सप्लीमेंट को पी लेने के बाद इंसान की भोजन की जरूरत पूरी हो जायेगी.

हालांकि, अभी इसकी कीमत बहुत ज्यादा है, लेकिन निकट भविष्य में इसकी कीमत कम होने की उम्मीद भी जतायी जा रही है. क्या है यह फूड सप्लीमेंट, क्या-क्या है इसमें, कैसे हुआ इसका आविष्कार, अंतरिक्षयात्रियों समेत अन्य लोगों द्वारा अब तक किस तरह के फूड सप्लीमेंट का इस्तेमाल होता रहा है, जानते हैं आज के नॉलेज में..

आपने यह तो सुना होगा कि सुदूर ग्रहों की तलाश में जानेवाले अंतरिक्ष यात्री सैकड़ों दिनों की यात्र के दौरान क्या खाकर जिंदा रहते हैं. जी हां, आपने सही सुना है कि उन दिनों वे पौष्टिक कैप्सूल खाकर जिंदा रहते हैं. दरअसल, उस कैप्सूल को बनाया ही इस तरीके से जाता है कि इंसान के पोषण की जरूरतों के लिए तमाम पौष्टिक चीजें उसमें मौजूद हों. लेकिन, जरा आप कल्पना कीजिए कि तब क्या होगा, जब धरती पर रहनेवाले इंसान भी कुछ इसी तरह के कैप्सूल या ड्रिंक के माध्यम से अपने भोजन की जरूरतों को पूरा करेंगे. सुनने में भले ही यह आपको दूर की कौड़ी लगे, लेकिन विशेषज्ञ इसे साकार करने में जुटे हैं.

हालिया इजाद किये गये नये ड्रिंक पाउडर की शुरुआत कुछ अलग तरीके से हुई है. इसे किसी वैज्ञानिक ने नहीं, बल्कि एक सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ ने तैयार किया है. दरअसल, दिसंबर, 2012 में अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को के एक शहर में तीन दोस्तों ने मिल कर एक सॉफ्टवेयर कंपनी की शुरुआत की, लेकिन कुछ कारणों से वे असफल हो गये. कुछ नया करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे और उन्होंने पाया कि भोजन पर सर्वाधिक खर्चा हो रहा है. इन्हीं में से एक युवक रायनहार्ट को महसूस हुआ कि किचेन छोटा होने और सामान कम होने की वजह से भोजन से जुड़ी समस्या उन्हें ज्यादा परेशान करती है. साथ ही उसे यह भी महसूस हुआ कि बाहर का खाना खाकर उसका स्वास्थ्य भी दिन-ब-दिन कमजोर हो रहा है. नतीजन उन्होंने इस समस्या का हल तलाशना शुरू किया.

‘सॉयलेंट ग्रीन’ से मिली प्रेरणा

इस दौरान रायनहार्ट ने एक फिल्म ‘सॉयलेंट ग्रीन’ देखी. 1973 में आयी इस फिल्म में दिखाया गया था कि भविष्य में किस तरह बढ़ती आबादी से भोजन की समस्या विकराल हो गयी है और लोग ‘सॉयलेंट ग्रीन’ नामक रहस्यमयी टिकिया खा कर जीवन गुजार रहे हैं. ‘न्यूयॉर्कर डॉट कॉम’ की लिजी विडिकॉम्ब की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य से संबंधित न्यूट्रिशनल बायोकेमिस्ट्री आदि की अनेक किताबें और वेबसाइट खंगालने के बाद रायनहार्ट ने उन 35 पोषक तत्वों की सूची बनायी, जो इंसान के जीवित रहने के लिए जरूरी हैं. शुरू में वे इन्हीं तत्वों को ऑनलाइन खरीदते (अक्सर ये पाउडर या पिल के प्रारूप में होते) और उसे पानी में मिला कर पी जाते. इस तरह से यही उनका भोजन बन गया.

क्या है सॉयलेंट

इसकी पोषकता से जुड़े दुर्लभ शोध में पाया गया कि इसमें करीब 35 जरूरी न्यूट्रिएंट्स हैं, जिन्हें मिला कर रायनहार्ट ने पाउडर बनाया. इसे कहीं भी आसानी से ले जाना इस प्रोडक्ट की सबसे बड़ी खासियत है. स्वास्थ्य के लिए बेहद सुरक्षित बताये गये इस पाउडर को सामान्य अवस्था में कई वर्षो तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है. जंक फूड से निजात दिलाने के साथ ही मोटापा और डायबिटीज की बीमारी को नियंत्रित करने में भी इसकी भूमिका बतायी गयी है. दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने की जो मौजूदा चुनौती है, उससे निपटने में भी इसकी प्रभावी भूमिका का नकारा नहीं जा सकता. केवल छह माह की अवधि में ही इसके कारोबार में शामिल कंपनी से अब तक तकरीबन एक लाख ग्राहक जुड़ चुके हैं.

550 रुपये की एक पुड़िया

नयी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने आये अमेरिकी विशेषज्ञ रॉब रायनहार्ट ने कहा कि उन्होंने एक ऐसा सॉयलेंट (पावडर की भांति पेय पदार्थ में मिला कर लिया जाने वाला पदार्थ) विकसित किया है, जिसे पानी के साथ लिया जा सकता है. ‘भविष्य में कैसा होगा हमारा भोजन’ विषय पर व्याख्यान के दौरान उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में हम अपनी भोजन की जरूरतों को इससे पूरा करने में सक्षम होंगे. इसके व्यावहारिक पहलू को उकेरते हुए उन्होंने कार्यक्रम के दौरान ही स्टेज पर सफेद पाउडर की पुड़िया निकाली और उसे पानी में घोल कर पी गये.

उन्होंने बताया कि 450 ग्राम का यह मिश्रण 1.6 लीटर पानी में घोल कर पीया जा सकता है और यह किसी का नाश्ता, लंच या डिनर हो सकता है. अपने तथ्यों को कसौटी के पैमाने पर खरा उतरने के सबूत के तौर पर उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दो सालों से उनका प्राथमिक भोजन यही है. इसकी कीमत भले ही फिलहाल नौ डॉलर (लगभग 550 रुपये) है, लेकिन रायनहार्ट को उम्मीद है कि आनेवाले समय में इसकी लागत कम होगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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