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हाय रे मजबूरी, 6 साल की मासूम बच्ची, 45 साल का दूल्हा, जानें कहां का मामला?

Afghanistan: हेलमंद प्रांत में एक 6 साल की बच्ची की शादी 45 वर्षीय व्यक्ति से कर दी गई, जो पहले से दो बार शादीशुदा है.

Afghanistan: अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. यहां मर्जा जिले में एक 6 साल की बच्ची की शादी 45 वर्षीय व्यक्ति से कर दी गई. यह मामला सबसे पहले अमेरिका स्थित अफगान समाचार पोर्टल Amu.tv ने 28 जून को उजागर किया था. बताया गया है कि बच्ची के पिता ने आर्थिक तंगी के कारण यह सौदा किया.

स्थानीय समाचार पत्र हश्त-ए-सुब्ह डेली की रिपोर्ट के अनुसार, दूल्हा पहले से शादीशुदा है और उसकी दो पत्नियां पहले से हैं. इस सौदे के पीछे आर्थिक दबाव को कारण बताया गया है.

Afghanistan: तालिबान ने नहीं रोकी शादी 

जब यह मामला सामने आया, तो तालिबान अधिकारियों ने इसमें हस्तक्षेप जरूर किया, लेकिन उन्होंने न तो शादी रद्द करवाई और न ही किसी को गिरफ्तार किया. रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान ने दूल्हे और लड़की के परिवार से कहा कि “जब लड़की 9 साल की हो जाए, तब उसे घर लाना.”

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महिला और बाल अधिकारों को लेकर फिर उठे सवाल (Forced marriage in Afghanistan)

यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान सरकार की आलोचना शुरू हो गई. 2021 में सत्ता में लौटने के बाद से ही तालिबान पर महिला और बच्चों के अधिकारों को कुचलने के आरोप लगते रहे हैं.

मानवाधिकार संगठनों और कई देशों ने साफ कर दिया है कि जब तक तालिबान अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत महिलाओं के अधिकारों की रक्षा नहीं करता, तब तक उसे मान्यता नहीं दी जाएगी. यह घटना एक बार फिर अफगानिस्तान में महिलाओं और बच्चियों की दुर्दशा को उजागर करती है. 

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अफगानिस्तान में बाल विवाह का कहर (Afghanistan child marriage)

तालिबान शासन में महिलाओं और बच्चियों पर पाबंदियों का गंभीर असर अफगानिस्तान में दिख रहा है. UN Women की रिपोर्ट के मुताबिक, बाल विवाह में 25% और कम उम्र में मां बनने के मामलों में 45% की बढ़ोतरी हुई है. UNICEF ने कहा है कि अफगानिस्तान बाल वधुओं की संख्या के मामले में दुनिया में आगे है.

इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने तालिबान सुप्रीम लीडर हिबतुल्ला अखुंदजादा और चीफ जस्टिस अब्दुल हकीम हक्कानी के खिलाफ महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ मानवता के अपराध में गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. तालिबान ने ICC को मान्यता देने से इनकार करते हुए इसे “इस्लाम का अपमान” बताया है.

बाल विवाह और ‘वालवर’, ‘बाद’ जैसी प्रथाएं बच्चियों के लिए जीवनभर की पीड़ा लेकर आती हैं, शारीरिक-यौन शोषण, कम उम्र में गर्भधारण और सामाजिक अलगाव. कई लड़कियां पैसे या झगड़ा सुलझाने के लिए दी जाती हैं.अफगानिस्तान में अब शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र तय नहीं है, और फैसले इस्लामी कानून के अनुसार होते हैं. लड़कियों को स्कूल, कॉलेज, नौकरी और सार्वजनिक जीवन से बाहर कर दिया गया है. तालिबान का कहना है,“औरत का चेहरा दिखे तो उसकी कीमत घटती है.

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