Air India: 23 जून 1985… एक तारीख जिसे दुनिया के विमानन और आतंकवाद के इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता. इस दिन एयर इंडिया की फ्लाइट 182, जिसे ‘कनिष्क’ नाम से जाना जाता था, को अटलांटिक महासागर में बम से उड़ा दिया गयाt था. इस भयावह हमले में 329 लोगों की जान चली गई थी. यह अब तक का सबसे घातक विमानन आतंकवादी हमला था, जिसमें सबसे अधिक कनाडा के नागरिक मारे गए थे. घटना के पीछे खालिस्तानी आतंकवादियों का हाथ था, जिन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेने के लिए यह हमला किया था. हादसे के 40 साल बीत जाने के बाद भी इसकी जांच कनाडा में अब तक जारी है.
हादसे की पूरी कहानी, कैसे हुआ विमान विस्फोट?
एयर इंडिया की फ्लाइट 182 ने मॉन्ट्रियल से उड़ान भरी थी और वह लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट होते हुए दिल्ली जाने वाली थी. लंदन से रवाना होने के लगभग चार घंटे बाद, विमान 31,000 फीट की ऊंचाई पर था जब उसने आखिरी बार एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क किया. इसके पांच मिनट बाद, विमान अचानक रडार से गायब हो गया. बाद में यह पुष्टि हुई कि आयरलैंड के तट के पास अटलांटिक महासागर में विमान बम विस्फोट से गिर गया था. विस्फोट इतना भीषण था कि विमान हवा में ही टुकड़े-टुकड़े हो गया और किसी को बचने का मौका नहीं मिला.
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मरने वालों में अधिकतर थे कनाडाई नागरिक
इस हमले में कुल 329 लोग मारे गए, जिनमें 268 कनाडा के नागरिक थे. बाकी में 27 ब्रिटेन और 24 भारत के नागरिक शामिल थे. विमान पर कुल 307 यात्री और 22 चालक दल के सदस्य सवार थे. यह हमला न केवल भारत और एयर इंडिया के लिए, बल्कि कनाडा के इतिहास में भी सबसे बड़ा आतंकी हमला बन गया.
खालिस्तानी आतंकवादियों की साजिश
जांच में सामने आया कि इस हमले के पीछे खालिस्तानी संगठन ‘बाबर खालसा’ का हाथ था. इसका सरगना तालविंदर सिंह परमार माना गया, जो ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला लेना चाहता था. बम को एयर इंडिया के सामान में छिपाकर प्लेन में रखा गया था. इस साजिश में इन्दरजीत सिंह रेयत का नाम भी सामने आया, जिसे बाद में मांसलॉटर और झूठी गवाही (perjury) के आरोप में दोषी ठहराया गया.
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अब भी जारी है पड़ताल
इस हमले की जांच कनाडा की रॉयल माउंटेड पुलिस (RCMP) और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की जा रही है. यह कनाडा की अब तक की सबसे लंबी और जटिल आतंकी जांच मानी जाती है. 2025 में हमले की 40वीं बरसी पर कनाडाई पुलिस ने कहा कि जांच अब भी “active and ongoing” है. कई आरोपी या तो साक्ष्यों के अभाव में बरी हो गए या अब जीवित नहीं हैं.
न्याय में देरी
हालांकि इन्दरजीत रेयत को दोषी ठहराया गया, पर बाकी प्रमुख संदिग्ध या तो सबूतों के अभाव में बरी हो गए या कभी आरोपित ही नहीं हो पाए. 2006 में कनाडा सरकार ने एक सार्वजनिक जांच आयोग गठित किया, जिसने 2010 में सुरक्षा एजेंसियों की कई चूकों को उजागर किया. आयोग ने कहा कि अगर इंटेलिजेंस एजेंसियां सतर्क होतीं तो यह हादसा रोका जा सकता था.
Air India: पीड़ित परिवारों की अब भी तलाश है न्याय की
हमले में मारे गए लोगों के परिजनों ने दशकों तक न्याय की लड़ाई लड़ी है. कई परिवारों ने कहा कि उन्हें न तो कनाडाई सरकार से पर्याप्त समर्थन मिला और न ही हमदर्दी. 2025 में मैकमास्टर यूनिवर्सिटी (कनाडा) में इस हमले से जुड़ी स्मृतियों और दस्तावेजो को सार्वजनिक रूप से संग्रहित किया गया, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इसकी जानकारी मिल सके.
कनिष्क विमान हादसा आतंकवाद के वैश्विक चेहरे को उजागर करने वाला एक काला अध्याय है. इसने न केवल विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए, बल्कि यह भी दिखाया कि धार्मिक कट्टरता और राजनीतिक बदले की भावना कैसे निर्दोष लोगों की जान ले सकती है. 4 साल बाद भी इस हादसे का दर्द और न्याय की तलाश कायम है.