Asim Munir: दक्षिण एशिया में कूटनीतिक और सैन्य हलचलों ने एक नया मोड़ लिया है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर इन दिनों चीन के आधिकारिक दौरे पर हैं. यह यात्रा न केवल पाकिस्तान और चीन के आपसी संबंधों को मजबूती देने की दिशा में अहम मानी जा रही है, बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन के समीकरण को भी प्रभावित कर सकती है. हाल ही में हुए पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा है, जिसने भारत को सतर्क कर दिया है.
Asim Munir: चीन से सुरक्षा के बदले वफादारी का सौदा
बीजिंग में पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. इस बैठक में चीन ने पाकिस्तान को हर स्तर पर समर्थन देने का आश्वासन दिया. इसके बदले चीन ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान को उसके नागरिकों, परियोजनाओं और संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी. वांग यी ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के साथ रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करना चीन की प्राथमिकता है.
जवाब में जनरल मुनीर ने भरोसा दिलाया कि पाकिस्तान में चीन के साथ मित्रवत सहयोग समाज के हर स्तर पर स्वीकार्य है और सुरक्षा में कोई ढील नहीं दी जाएगी. यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब चीन के नागरिकों पर पाकिस्तान में कई बार हमले हो चुके हैं, खासकर बलूचिस्तान और CPEC क्षेत्रों में.
पाकिस्तान की नई सैन्य कूटनीति
जनरल मुनीर की यह यात्रा पाकिस्तान की एक व्यापक ‘मिलिट्री डिप्लोमेसी’ रणनीति का हिस्सा है. इससे पहले वह अमेरिका, सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, अजरबैजान और श्रीलंका की यात्राएं कर चुके हैं. इन यात्राओं में सुरक्षा सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करना, और हथियार सौदे जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई.
पाकिस्तानी GHQ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सेना अब अपनी कूटनीति को खुद नियंत्रित कर रही है और पारंपरिक राजनयिक चैनलों के बजाय शीर्ष सैन्य नेतृत्व ही विदेश नीति की अगुवाई कर रहा है. इससे यह संकेत मिलता है कि पाकिस्तान में सैन्य नेतृत्व न केवल रक्षा मामलों में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी निर्णायक भूमिका निभा रहा है.
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चीन-तुर्की के हथियारों का ब्रांड एंबेसडर बना पाकिस्तान
पाकिस्तान केवल सहयोग नहीं चाहता, वह खुद को एक हथियार निर्यातक देश के रूप में भी स्थापित करने की कोशिश में है. JF-17 फाइटर जेट और तुर्की के बायरकटर ड्रोन को वह श्रीलंका, इंडोनेशिया और ईरान जैसे देशों को बेचने की कोशिश कर रहा है. ये वही हथियार हैं जिनका इस्तेमाल भारत के साथ संघर्ष के दौरान किया गया था.
यानी पाकिस्तान अब न केवल हथियार खरीदने वाला देश है, बल्कि वह अपने सैन्य उत्पादों को वैश्विक बाजार में बेचकर रणनीतिक लाभ कमाना चाहता है. यह एक नया ट्रेंड है, जिसमें पाकिस्तान चीन और तुर्की की टेक्नोलॉजी का प्रचारक बन गया है.
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भारत क्यों है सतर्क?
भारत इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है. जनरल मुनीर की अमेरिका से लेकर चीन तक की यात्राएं, भारत के लिए कूटनीतिक और सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय बनी हुई हैं. अमेरिकी प्रशासन द्वारा मुनीर को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया जाना और अब चीन के साथ उच्चस्तरीय बैठकें भारत के सामरिक समीकरणों के लिए चुनौती बन सकती हैं. भारत की नजर में यह केवल एक दोस्ती नहीं, बल्कि सामरिक गठजोड़ों का पुनर्गठन है, जिसका असर दक्षिण एशिया की सुरक्षा और स्थिरता पर पड़ेगा. ऐसे में भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया को इस नई ‘सैन्य कूटनीति’ को लेकर सजग रहने की आवश्यकता है.