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‘पहली बार जाना भूख क्या होती है’, जेल में बिताए दिनों को याद कर रो पड़े बोरिस बेकर, कहा- डरावने थे वो दिन

दिग्गज टेनिस खिलाड़ी बोरिस बेकर ब्रिटेन की जेल से रिहा होकर जर्मनी चले गये हैं. उन्हें ढाई साल की सजा मिली थी, लेकिन आठ महीने की सजा के बाद ही उन्हें रिहा कर दिया गया. दिवालिया घोषित करने के बाद धन हस्तांतरित करने और संपत्ति छिपाने के आरोप में उन्हें 30 महीनों के लिए जेल में डाल दिया गया था.

Boris Becker: अपने जमाने के दिग्गज टेनिस खिलाड़ी बोरिस बेकर अपने जेल में बिताए दिनों को याद कर कहा कि जेल में बिताए दिन बहुत बुरे और डरावने थे. उन दिनों को याद कर बोरिस की आंखों से आंसू निकल आये. बता दें, उन्हें दिवालियापन से जुड़े अपराधों के लिए बतौर सजा ब्रिटेन की वैंड्सवर्थ जेल में 8 महीने रहना पड़ा था. उन दिनों को याद कर बेकर रो पड़ते हैं.

खुद को अकेला महसूस करते थे बेकर: बेकर ने अपने जेल के अनुभव बताते हुए कहा कि वो जेल में खुद को अकेला महसूस करते थे. जेल में उन्हें अलग सेल में रखा गया था, जहां वो अपने दोस्तों और साथियों की कमी महसूस करते थे. उन्हें उनकी कमी खलती थी. एक साक्षात्कार में बेकर ने बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी में इतना अकेली कभी महसूस नहीं किया जितना उन्होंने जेल में अकेलापन महसूस किया.

बता दें, बोरिस बेकर को पिछले हफ्ते जेल से रिहा होने के बाद प्रत्यर्पित कर जर्मनी लाया गया है. जहां उन्हें ढाई साल कैद की सजा मिली थी लेकिन आठ महीने जेल में रहने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. दरअसल, फास्ट ट्रैक निर्वासन कार्यक्रम के तहत उन्हें जल्दी रिहा कर दिया गया. गौरतलब है टैक्स से बचने के लिए धन हस्तांतरित करने और संपत्ति छिपाने के आरोप में उन्हें जेल में डाल दिया गया था.  

हमले की आशंका से भयभीत रहते थे बेकर: बेकर ने बताया कि जेल में उन्हें हमले का खतरा सताता रहता था. उन्होंने जान से मारने की धमकी का भी जिक्र किया था, इस कारण जेल प्रशासन उन्हें अलग सेल में रखता था. बता दें, बेकर को 15 दिसंबर को उनके देश जर्मनी में निर्वासित किया गया था. बेकर तीन बार विंबलडन चैंपियन रह चुके हैं. लेकिन दिवालिया घोषित किए जाने के बावजूद अवैध रूप से बड़ी मात्रा में धन हस्तांतरित करने और संपत्ति छिपाने के आरोप में उन्हें 30 महीने की जेल की सजा मिली थी.

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पहली बार जाना भूख क्या होती है: बेकर ने जेल के दिन याद करते हुए कहा कि उन्होंने जेल में पहली बार अनुभव किया कि भूख क्या होती है. जेल में अक्सर चावल, आलू और सॉस दिया जाता था. उन्होंने कहा कि जेल में उनके कुछ दोस्त भी बने थे. अपनी जेल के दिनों को लेकर उन्होंने कहा कि जेल में जितनी एकजुटता दिखाई दी उतनी एकजुटता उन्होंने अपनी जिंदगी में कहीं नहीं देखी.

भाषा इनपुट के साथ

Pritish Sahay
Pritish Sahay
12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है.

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