Donald Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यूएस इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने टैरिफ मामले की सुनवाई करते हुए बहुत बड़ा झटका दिया था. कोर्ट ने ट्रंप के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए लिबरेशन डे टैरिफ पर रोक लगा दिया था. लेकिन अब फिर से ट्रंप द्वारा लगाए गए ज्यादातर टैरिफ को अस्थायी रूप से बहाल करने की अनुमति मिल गई है. यह फैसला अमेरिका के एक फेडरल अपील कोर्ट ने 29 मई को लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप प्रशासन ने अपील कोर्ट में आपातकालीन प्रस्ताव दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि टैरिफ हटाना देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ट्रंप के इस प्रस्ताव को कोर्ट ने बीते दिन मंजूर कर लिया और अस्थायी रूप से टैरिफ फिर से लागू किया गया.
अपील कोर्ट का आदेश
ट्रंप प्रशासन द्वारा फेडरल अपील कोर्ट में दायर प्रस्ताव में ट्रेड कोर्ट के फैसले को अस्थायी रूप से रोकने की अपील की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. हालाँकि इस पर कोई विस्तृत कारण या तर्क नहीं दिया गया. कोर्ट ने 5 जून तक मामले से जुड़े लोगों को जवाब दाखिल करने का निर्देश लिया है. ट्रंप प्रशासन को 9 जून तक का समय दिया गया है. इस फैसले के बाद आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल कर ट्रंप द्वारा जो टैरिफ लगाया गया था, वह फिर लागू हो गया है.
लिबरेशन डे टैरिफ क्या है और इस पर कोर्ट ने क्यों रोक लगाई थी?
लिबरेशन डे टैरिफ एक आयात शुल्क है. इसके तहत अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा उन देशों पर समान टैरिफ (आयात कर) लगाया गया है जो अमेरिका से कम समान खरीदते हैं, लेकिन अमेरिका को ज्यादा समान बेचते हैं. इस टैरिफ को लागू करने के पीछे ट्रंप प्रशासन का कथित उद्देश्य व्यापार असंतुलन को ठीक करना है. ट्रंप के इस फैसले को अमेरिका के व्यापारियों द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड की तीन जजों की बेंच ने इस पर रोक लगा दिया.
बेंच ने कहा कि विदेशी देशों के साथ व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार अमेरिकी संविधान ने केवल अमेरिका के संसद यानी कांग्रेस को दिया है. राष्ट्रपति के पास इसका अधिकार नहीं दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि International Emergency Power Act (IEEPA) के तहत ट्रंप द्वारा जो टैरिफ लगाए गए थे, वह गैरकानूनी हैं. यह कानून उन्हें इस तरह का कोई असीमित अधिकार नहीं देता है. जजों ने फैसला सुनाते हुए अपने आदेश पत्र में लिखा कि राष्ट्रपति द्वारा टैरिफ लगाने का यह दावा, जिसकी कोई समय सीमा नहीं है, कानून के तहत दिए गए अधिकारों से कहीं आगे बढ़ गया है.
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