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Indus Water Treaty: सिंधु जल संधि से विश्व बैंक ने झाड़ा पल्ला, जानें क्या कहा?

Indus Water Treaty: विश्व बैंक अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा कि भारत-पाकिस्तान की सिंधु जल संधि में उसकी भूमिका सिर्फ सुविधा प्रदान करने तक सीमित है. हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने संधि निलंबित की. संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी थी.

Indus Water Treaty: विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हुई सिंधु जल संधि में विश्व बैंक की भूमिका केवल एक “सुविधा प्रदाता” (facilitator) के रूप में है और इस संधि से संबंधित किसी भी विवाद के समाधान में उसकी कोई निर्णायक भूमिका नहीं है. उन्होंने यह टिप्पणी हालिया मीडिया रिपोर्टों के संदर्भ में दी, जिनमें संधि से जुड़े मुद्दों में विश्व बैंक की संभावित मध्यस्थता पर अटकलें लगाई जा रही थीं.

भारत सरकार ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले में 26 भारतीयों के मारे जाने के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. इस कदम के बाद एक बार फिर यह संधि और इससे जुड़ी भूमिकाएं चर्चा का विषय बन गई हैं.

1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे. इसका उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली—जिसमें सिंधु के अलावा झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियां शामिल हैं—के जल बंटवारे को नियंत्रित करना था. इसमें सिंधु, झेलम और चिनाब को पश्चिमी नदियों के रूप में पाकिस्तान को और रावी, ब्यास और सतलुज को पूर्वी नदियों के रूप में भारत को आवंटित किया गया था.

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संधि के अनुसार, भारत को पूर्वी नदियों के जल का पूर्ण अधिकार मिला जबकि पश्चिमी नदियों पर सीमित उपयोग की अनुमति दी गई, जैसे कि कृषि, घरेलू और सीमित जलविद्युत उत्पादन.

अजय बंगा ने कहा कि सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर यह गलतफहमी फैलाई जा रही है कि विश्व बैंक इस मुद्दे को हल करेगा, जबकि वास्तव में वह केवल एक निष्पक्ष पक्ष के रूप में सुविधाएं उपलब्ध कराता है, जैसे कि तकनीकी चर्चा या संवाद की व्यवस्था. काबुल नदी, हालांकि सिंधु की सहायक नदी मानी जाती है, भारत के क्षेत्र से होकर नहीं बहती, इसलिए यह इस संधि का हिस्सा नहीं है.

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यह संधि दशकों से दोनों देशों के बीच जल बंटवारे का आधार रही है, लेकिन हाल की घटनाओं के बाद इसमें संशोधन या पुनर्विचार की मांगें उठने लगी हैं. हालांकि, विश्व बैंक ने अपने सीमित दायरे को दोहराते हुए स्पष्ट कर दिया है कि वह इस संधि में मध्यस्थ या निर्णयकर्ता की भूमिका में नहीं है.

Aman Kumar Pandey
Aman Kumar Pandey
अमन कुमार पाण्डेय डिजिटल पत्रकार हैं। राजनीति, समाज, धर्म पर सुनना, पढ़ना, लिखना पसंद है। क्रिकेट से बहुत लगाव है। इससे पहले राजस्थान पत्रिका के यूपी डेस्क पर बतौर ट्रेनी कंटेंट राइटर के पद अपनी सेवा दे चुके हैं। वर्तमान में प्रभात खबर के नेशनल डेस्क पर कंटेंट राइटर पद पर कार्यरत।

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