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Marine Engineer Death: ईरान में झारखंड के इंजीनियर की मौत, इंसाफ और मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहा परिवार

Marine Engineer Death: ईरान में झारखंड के इंजीनियर अहलाद नंदन महतो की जहाज पर हादसे में मौत हो गई. परिवार को गलत शव मिला, मुआवजा नहीं मिला और सरकारी तंत्र ने मदद नहीं की. तीन महीने बाद भी परिजन इंसाफ और मुआवजे की उम्मीद में दर-दर भटक रहे हैं.

Marine Engineer Death: पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर प्रखंड के तरतारा गांव के रहने वाले अहलाद नंदन महतो की 27 मार्च को ईरान के चारक पोर्ट पर एक जहाज “एमवी रसा” में हुए हादसे में मौत हो गई. लेकिन मौत के तीन महीने से भी अधिक समय बीतने के बाद भी उनके परिजन न तो किसी सरकारी अधिकारी से ठोस आश्वासन पा सके हैं और न ही उन्हें किसी प्रकार का मुआवजा मिला है. उल्टा, पहले उन्हें गलत शव थमा दिया गया और फिर मुआवजे के लिए नियमों का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया गया.

गलत शव आया, खुद यूपी जाकर लौटाया (Marine Engineer Death)

अहलाद के छोटे भाई रघु महतो ने बताया कि हादसे की खबर मिलने के बाद जब वे शव लेने कोलकाता पहुंचे, तो ताबूत खोलते ही उनके होश उड़ गए. ताबूत में उनके भाई नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के एक अन्य व्यक्ति का शव रखा था. रघु ने खुद अपने खर्च पर शव को उत्तर प्रदेश पहुंचाया और वहां परिजन को सौंपने के बाद ही वापस लौटे. “सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. एंबुलेंस का किराया, कानूनी औपचारिकताएं, अलग-अलग विभागों के चक्कर सबकुछ हमें ही संभालना पड़ा,” रघु ने बताया. “एक हफ्ते बाद मई में हमें सही शव मिला.”

मौत का रहस्य और DG शिपिंग की लापरवाही (Jharkhand Marine Engineer Death)

घटना ईरान की चारक पोर्ट पर हुई थी, जहां “एमवी रसा” नामक जहाज पर अहलाद तैनात थे. यह जहाज ईरान की कंपनी BND यत शिप मैनेजमेंट सर्विसेज के अधीन था, जो भारत सरकार के DG शिपिंग से मान्यता प्राप्त एजेंसी है. इस हादसे में तीन भारतीय इंजीनियरों में से दो की मौत हो गई थी और एक गंभीर रूप से घायल हुआ था.

DG शिपिंग की ओर से कहा गया कि उन्होंने 2024 के अंत में ही BND मरीन का लाइसेंस निलंबित कर दिया था, लेकिन रघु सवाल उठाते हैं कि फिर मार्च 2025 तक भारतीय इंजीनियर इस कंपनी के तहत विदेश कैसे भेजे जा रहे थे? “अगर मेरे भाई का नाम किसी और जहाज के साथ दर्ज था और वह किसी दूसरे जहाज पर मरा, तो इसका जिम्मेदार कौन है? क्या DG शिपिंग की यह जिम्मेदारी नहीं है कि वह निगरानी रखे?” DG शिपिंग की अधिकारी अनीता सिन्हा ने माना कि मामला जटिल है. उन्होंने कहा, “हमने भारतीय मिशन, विदेशी दूतावास और एजेंसी के बीमा समूह P&I क्लब से संपर्क किया है. यह मामला हमारी प्राथमिकता में है.”

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सपना था समंदर पर काम करने का (Iran Ship Accident)

अहलाद ने चेन्नई से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई 2013 में पूरी की थी. इसके बाद उन्होंने कुछ समय मारुति सुजुकी में नौकरी की और फिर DG शिपिंग से मान्यता प्राप्त GME (ग्रेजुएट मरीन इंजीनियरिंग) कोर्स किया. इसके बाद वे अनुबंध आधारित समुद्री नौकरियों पर काम करते रहे. ईरान, अंडमान और कोलकाता पोर्ट पर वे पहले भी काम कर चुके थे.
पिछले साल अगस्त में उन्हें BND यत शिप मैनेजमेंट सर्विसेज में नियुक्ति मिली थी. और मार्च में यह दर्दनाक हादसा हुआ.

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Marine Engineer Death: मुआवजा नहीं, नियमों का हवाला

परिवार ने मुख्यमंत्री अंतरराष्ट्रीय प्रवासी श्रमिक अनुग्रह अनुदान योजना के तहत पांच लाख रुपये की सहायता मांगी है. लेकिन जिला श्रम अधीक्षक अविनाश ठाकुर ने कहा कि “इस योजना के तहत सहायता पाने के लिए परिवार की वार्षिक आय 72,000 रुपये से कम होनी चाहिए. इस शर्त को पूरा न करने पर मुआवजा नहीं दिया जा सकता.”

इस पर रघु का कहना है, “अगर मनरेगा मजदूर को भी साल में 6,000 रुपये मिलते हैं, तो एक इंजीनियर के परिवार को मुआवजा नहीं देना अन्याय है. शव लाने का खर्च, मुंबई तक के चक्कर, मानसिक तनाव… सरकार सिर्फ कागज देखती है, हकीकत नहीं.”जिला उपायुक्त चंदन कुमार ने कहा कि उन्हें इस केस की जानकारी नहीं है, जबकि रघु का दावा है कि उन्होंने खुद उनसे मुलाकात कर बात की है.

सवाल कई, जवाब किसी के पास नहीं

इस मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं-

  • जब कंपनी का लाइसेंस रद्द था, तो भारत से इंजीनियर कैसे भेजे गए?
  • DG शिपिंग के रिकॉर्ड में जहाज का नाम गलत कैसे दर्ज हुआ?
  • शव की पहचान में इतनी बड़ी गलती कैसे हुई?
  • आर्थिक सहायता देने से राज्य सरकार पीछे क्यों हट रही है?

तीन महीने बीत चुके हैं, लेकिन एक शिक्षित, प्रशिक्षित और अनुभवी समुद्री इंजीनियर की मौत का न्यायिक और मानवीय हल अब तक अधूरा है. रघु जैसे परिजन अब भी बस इस उम्मीद में हैं कि कहीं से इंसाफ की कोई लहर आए और उनके भाई की कुर्बानी को आखिरकार एक जवाबदेही मिले.

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