27.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

‘मियां साहब ने जूते खाने भेजा’ – करगिल में भारत से मात खाए पाकिस्तान की बेबसी की कहानी

Kargil War: "करगिल युद्ध के बीच पाकिस्तानी DGMO अकेले क्यों आया था भारत? रिटायर्ड जनरल ने किया चौंकाने वाला खुलासा – 'मियां साहब ने जूते खाने के लिए भेजा!' जानिए उस दिन अटारी बॉर्डर पर क्या हुआ, जब दोनों देशों के सैन्य अधिकारी आमने-सामने थे..."

Kargil War: जुलाई 1999 में जब करगिल युद्ध अपने चरम पर था, तब भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को फोन कर, पाकिस्तान के DGMO को बातचीत के लिए भारत भेजने को कहा. यह बातचीत 11 जुलाई को अटारी बॉर्डर पर हुई. इस बातचीत में भारत की तरफ से तत्कालीन DGMO लेफ्टिनेंट जनरल निर्मल चंदर विज और डिप्टी DGMO ब्रिगेडियर मोहन भंडारी (अब रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल) शामिल हुए. लेकिन पाकिस्तान की ओर से DGMO लेफ्टिनेंट जनरल तौकीर जिया अकेले पहुंचे. यह सेना स्तर की बातचीत के लिहाज से असामान्य था.

‘मियां साहब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दिया’

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल भंडारी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया, “जब मैंने उनसे पूछा कि वो अकेले क्यों आए हैं, तो उन्होंने जवाब दिया – ‘क्या करूं? मियां साहब ने जूते खाने के लिए अकेले भेज दिया’.”

पढ़ें: ड्रोन से तबाही बरसाने को तैयार भारत, ULPGM-V3 मिसाइल ने उड़ाई पाकिस्तान की नींद

Kargil War in Hindi: भारत ने जताई नाराजगी, जानबूझकर कराया इंतजार

भंडारी ने बताया कि प्रोटोकॉल के तहत अकेले बैठक नहीं की जा सकती थी. उन्होंने पाकिस्तानी अफसर से कहा कि पाक रेंजर्स के कुछ जवानों को बुला लें. इसके बाद पाकिस्तान की ओर से तीन और अधिकारी पहुंचे, लेकिन भारत ने जानबूझकर उन्हें 10 मिनट इंतजार करवाया. भंडारी ने कहा हम गुस्से में थे, क्योंकि शांति वार्ता के बीच उन्होंने युद्ध छेड़ दिया था.

पढ़ें: Weakest Armies In The World: इन 10 देशों की सेनाएं सबसे कमजोर, एक के पास तो सेना ही नहीं!

बैठक में रखी गई थीं साफ शर्तें

तीन घंटे चली इस बैठक में भारत की ओर से साफ कहा गया कि पाकिस्तान को LOC के पार पूरी तरह लौटना होगा और वापसी के दौरान किसी प्रकार की बारूदी सुरंग नहीं बिछाई जाएगी. लेकिन पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन किया और पीछे हटते समय माइन बिछा दीं. 

भंडारी के अनुसार जब पाकिस्तान ने हमारी शर्तें नहीं मानी और हमले जारी रखे, तो भारतीय सेना ने 15 से 24 जुलाई के बीच भारी गोलाबारी कर उनकी पोस्टों को निशाना बनाया. इसके बाद ही 25 जुलाई को वे पूरी तरह पीछे हटे. भंडारी ने अंत में कहा अगर पाकिस्तान ने हमारी शर्तें मान ली होतीं, तो यह युद्ध 16 या 17 जुलाई को ही खत्म हो सकता था. लेकिन उन्होंने गलत फैसले लिए और अपने सैनिकों को बेवजह मरने भेजा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel