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उत्तर कोरिया में ‘आई लव यू’ कहने पर मिल सकती है मौत की सजा! ‘किम जोंग उन’ ने भाषा को लेकर बनाए कठोर नियम

उत्तर कोरिया में जो भी व्यक्ति दक्षिण की कठबोली भाषा या शब्दावली का प्रयोग करते हुए पकड़ा जाएगा, उसे प्योंगयांग सांस्कृतिक भाषा संरक्षण अधिनियम के तहत जेल शिविर में कठोर श्रम या यहां तक ​​कि मौत की सजा भी दी जा सकती है.

उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया में बोली जाने वाली “कठपुतली भाषा” (puppet language), कोरियाई भाषा पर राष्ट्रीय कार्रवाई तेज कर दी है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया में जो भी व्यक्ति दक्षिण की कठबोली भाषा या शब्दावली का प्रयोग करते हुए पकड़ा जाएगा, उसे प्योंगयांग सांस्कृतिक भाषा संरक्षण अधिनियम के तहत जेल शिविर में कठोर श्रम या यहां तक ​​कि मौत की सजा भी दी जा सकती है.

उत्तर कोरियाई नागरिक चिंतित 

उत्तर प्योंगान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत के एक निवासी ने रेडियो फ्री एशिया को बताया, “जो निवासी पहले से ही बोलने के दक्षिण कोरियाई तरीके के आदी हैं, उन्हें अब ऐसा लगता है कि उन्हें प्योंगयांग बोली का अभ्यास करना होगा.” उन्होंने कहा, “उन्हें चिंता है कि दक्षिण कोरियाई शब्द अनजाने में या अनजाने में उनके मुंह से निकल जाएंगे और उन्हें दंडित किया जाएगा.”

दक्षिण कोरियाई शब्दों का नहीं होगा इस्तेमाल 

उत्तर कोरियाई महिलाएं अपने पतियों या बॉयफ्रेंड को “जगिया” या “ओप्पा” नहीं कह सकतीं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसके बजाय, उन्हें “डोंगजी” (कॉमरेड) के साथ रहना चाहिए. उत्तर कोरियाई लोगों को अंग्रेजी के दक्षिण कोरियाई उधार शब्दों जैसे ‘पेसयेओन’ (फैशन), ‘हीस्यूटेल’ (हेयरस्टाइल) और ‘वेइपेउ’ (पत्नी) का उपयोग करने से भी बचना होगा.

‘आई लव यू’ कहने पर भी हो सकती है मौत की सजा 

रिपोर्ट में कहा गया है, “खुले तौर पर ‘आई लव यू’ कहना भी इस बात का सबूत है कि उन्होंने दक्षिण कोरियाई फिल्में देखी हैं और ऐसी भाषा सामान्य हो गई है.” आरएफए ने बताया कि उत्तर कोरियाई अधिकारी यह बदलाव कर रहे हैं क्योंकि उनका इरादा “पूंजीवाद की सड़ी हुई भाषा को मिटाना” है. इससे पहले, दक्षिण कोरियाई लोगों की तरह बोलने पर लोगों को दंडित किए जाने के मामले सामने आए हैं. ऐसे चौंकाने वाले मामले भी सामने आए हैं जहां लोगों को प्रतिबंधित वीडियो और संगीत बेचने की कोशिश के लिए मौत की सजा दी गई.

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Abhishek Anand
Abhishek Anand
'हम वो जमात हैं जो खंजर नहीं, कलम से वार करते हैं'....टीवी और वेब जर्नलिज्म में अच्छी पकड़ के साथ 10 साल से ज्यादा का अनुभव. झारखंड की राजनीतिक और क्षेत्रीय रिपोर्टिंग के साथ-साथ विभिन्न विषयों और क्षेत्रों में रिपोर्टिंग. राजनीतिक और क्षेत्रीय पत्रकारिता का शौक.

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