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Nobel Prize : क्लॉडिया गोल्डिन को इकोनाॅमिक्स का नोबेल पुरस्कार दिए जाने की घोषणा

क्लाउडिया गोल्डिन ने बताया है कि श्रम बाजार में महिला भागीदारी में 200 साल की अवधि में ऊपर की ओर रुझान नहीं था, बल्कि एक यू शेप बना. उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में कृषि प्रधान समाज से औद्योगिक क्षेत्र में परिवर्तन के साथ विवाहित महिलाओं की भागीदारी कम हो गई.

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने महिलाओं के श्रम बाजार के परिणामों के बारे में हमारी समझ को विकसित करने के लिए क्लाउडिया गोल्डिन को नोबेल पुरस्कार 2023 दिए जाने की घोषणा की है. क्लाउडिया गोल्डिन ने ऐतिहासिक आंकड़ों को संकलित और सही करके महिला श्रम के बारे में कई आश्चर्यजनक तथ्य प्रस्तुत किए हैं. उन्होंने उन कारकों के बारे में बताया है जो श्रम बाजार में महिलाओं के अवसरों को प्रभावित करते हैं और यह बताते हैं कि उनके काम की कितनी मांग है.क्लाउडिया गोल्डिन अमेरिका की अर्थशास्त्री हैं.

श्रम बाजार की समझ विकसित करता अध्ययन

क्लाउडिया गोल्डिन का अध्ययन अमेरिका की सीमाओं के बाहर तक पहुंचता है और उनका शोध हमें कल, आज और कल के श्रम बाजारों की बेहतर समझ प्रदान करता है. उनके अध्ययन के केंद्र में यह तथ्य है कि महिलाओं की पसंद अक्सर शादी, घर और परिवार की जिम्मेदारी तक ही सीमित रही है और रहेगी. गोल्डिन के अध्ययन ने हमें यह भी सिखाया है कि बदलाव में समय लगता है. क्लाउडिया गोल्डिन ने अपने अध्ययन में यह बताया है कि महिला और पुरुष की कमाई में बड़े पैमाने पर अंतर तब हो जाता है जब महिला अपने पहले बच्चे को जन्म देती है और आज भी यह अंतर कायम है.

श्रम बाजार में महिलाओं की भागीदारी कम हुई

उन्होंने अपने अध्ययन में यह बताया है कि बीसवीं सदी में आधुनिकीकरण, आर्थिक विकास और श्रम क्षेत्र में महिलाओं के बढ़ते अनुपात के बावजूद, लंबे समय तक महिलाओं और पुरुषों के बीच कमाई का अंतर शायद ही कम हुआ है. क्लाउडिया गोल्डिन ने बताया है कि श्रम बाजार में महिला भागीदारी में 200 साल की अवधि में ऊपर की ओर रुझान नहीं था, बल्कि एक यू शेप बना. उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में कृषि प्रधान समाज से औद्योगिक क्षेत्र में परिवर्तन के साथ विवाहित महिलाओं की भागीदारी कम हो गई, लेकिन फिर बीसवीं सदी की शुरुआत में सेवा क्षेत्र के विकास के साथ इसमें वृद्धि होने लगी. गोल्डिन ने इस पैटर्न को घर और परिवार के लिए महिलाओं की जिम्मेदारियों के संबंध में संरचनात्मक परिवर्तन और विकसित हो रहे सामाजिक मानदंडों के परिणाम के रूप में समझाया है.

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महिला कामगारों पर अध्ययन में उनकी रुचि शुरूआती दिनों से ही थी.

क्लॉडिया वर्ष 1946 में संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी में एक यहूदी परिवार में पैदा हुईं. उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो से पीएचडी की है. वह आर्थिक इतिहासकार भी हैं. अभी वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हेनरी ली प्रोफेसर ऑफ इकोनोमिक्स में कार्यरत हैं. फ्रैंक लुइस के साथ मिलकर लिखा गया उनका शोधपत्र ‘द इकोनोमिक कॉस्ट ऑफ अमेरिकन सिविल वार’ अकादमिक जगक में काफी चर्चित हुआ था. महिला कामगारों पर अध्ययन में उनकी मेहनत की कद्र दुनिया भर में होती रही है. अपने करियर की शुरूआत भी आर्थिक इतिहास पर शोध से की थी.

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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