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नॉर्थ कोरिया ने सबसे बड़े इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का किया टेस्ट, 67 मिनट में 680 मील तक मार

बताते चलें कि पिछले रविवार को नॉर्थ कोरिया ने समुद्र में संदिग्ध गोले दागे थे. विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया अपने शस्त्रागार को आधुनिक बनाने के लिए तेजी से कार्रवाई कर रहा है और ठप पड़ी परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता के बीच अमेरिका पर रियायतें देने के लिए इसके जरिये दबाव डालना चाहता है.

सियोल : नॉर्थ कोरिया के तानाशाह शासक किम जोंग उन ने एक बार फिर सबसे बड़े इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है. नॉर्थ कोरिया ने इस बात की पुष्टि की है कि उसने अपने नेता किम जोंग-उन के आदेशानुसार अपनी सबसे बड़ी इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण किया है. सबसे बड़ी बात यह है कि नॉर्थ कोरिया ने जिस इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया है, वह 67 मिनट में 680 मील यानी 1,090 किलोमीटर की दूरी पर विध्वंस कर देगा. इसके साथ ही, यह 3,880 मील की ऊंचाई पर भी मार करने में सक्षम है. ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के साथ लंबे समय से चल रहे टकराव के मद्देनजर तैयारी करते हुए उत्तर कोरिया अपनी परमाणु क्षमता का विस्तार कर रहा है.

नॉर्थ कोरिया की सरकारी मीडिया की ओर से शुक्रवार को दी गई खबर में इस इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल के प्रक्षेपण की पुष्टि की गई है. इससे एक दिन पहले गुरुवार को साउथ कोरिया और जापान ने कहा था कि 2017 के बाद से अपने पहले लंबी दूरी के परीक्षण में नॉर्थ कोरिया ने राजधानी प्योंगयांग के पास एक हवाई अड्डे से एक आईसीबीएम का प्रक्षेपण किया है.

67 मिनट में 680 मील की दूर पर विध्वंस

उत्तर कोरिया की आधिकारिक ‘कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी’ (केसीएनए) ने बताया कि ह्वासोंग-17 (आईसीबीएम) 6,248 किलोमीटर (3,880 मील) की अधिकतम ऊंचाई पर पहुंची और उत्तर कोरिया तथा जापान के बीच समुद्र में गिरने से पहले उसने 67 मिनट में 1,090 किलोमीटर (680 मील) का सफर तय किया.

15,000 किलोमीटर तक लक्ष्य साधने की क्षमता

एजेंसी ने दावा किया कि परीक्षण ने वांछित तकनीकी उद्देश्यों को पूरा किया और यह साबित करता है कि आईसीबीएम प्रणाली को युद्ध की स्थिति में तुरंत इस्तेमाल किया जा सकता है. दक्षिण कोरियाई और जापानी सेनाओं ने भी ऐसे ही प्रक्षेपण विवरण दिये थे. उसके बार में विशेषज्ञों का कहना है कि मिसाइल 15,000 किलोमीटर (9,320 मील) तक के लक्ष्य को निशाना बना सकती है, अगर उसे एक टन से कम वजन वाले ‘वारहेड’ (मुखास्त्र) के साथ सामान्य प्रक्षेप-पथ पर दागा जाए. ‘केसीएनए’ ने मिसाइल के प्रक्षेपण की कुछ तस्वीरें भी साझा कीं. तस्वीरों में देश के नेता किम जोंग-उन मुस्कराते हुए ताली बजाते नजर आ रहे हैं.

अमेरिकी साम्राज्यवादियों से लंबे टकराव की तैयारी

एजेंसी ने किम के हवाले से कहा कि उनका नया हथियार नॉर्थ कोरिया की परमाणु ताकतों के बारे में दुनिया को एक स्पष्ट संदेश देगा. उन्होंने (किम ने) अपनी सेना को एक विकट एवं तमाम तकनीक से लैस सेना बनाने का संकल्प किया, जो किसी भी सैन्य खतरे तथा धमकी से न डरे और अमेरिकी साम्राज्यवादियों के साथ लंबे समय से चले आ रहे टकराव का सामना करने के लिए खुद को पूरी तरह से तैयार कर ले.

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2017 में तीन आईसीबीएम का किया था टेस्ट

बताते चलें कि पिछले रविवार को नॉर्थ कोरिया ने समुद्र में संदिग्ध गोले दागे थे. विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया अपने शस्त्रागार को आधुनिक बनाने के लिए तेजी से कार्रवाई कर रहा है और ठप पड़ी परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता के बीच अमेरिका पर रियायतें देने के लिए इसके जरिये दबाव डालना चाहता है. नॉर्थ कोरिया, 2017 में तीन आईसीबीएम उड़ान परीक्षणों के साथ अमेरिका की सरजमीं तक पहुंचने की क्षमता का प्रदर्शन कर चुका है. विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे बड़ी मिसाइल ह्वासोंग-17 विकसित करने का मकसद नॉर्थ कोरिया द्वारा मिसाइल रक्षा प्रणालियों को और आगे बढ़ाने के लिए उसे कई हथियारों से लैस करना भी हो सकता है. ह्वासोंग-17 मिसाइल के बारे में सबसे पहले अक्टूबर 2020 में दुनिया को पता चला था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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