Operation Mahadev: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है. श्रीनगर के हरवान–दाचीगाम के घने जंगलों में ‘ऑपरेशन महादेव’ के तहत तीन खतरनाक पाकिस्तानी आतंकवादियों को मार गिराया गया है. मारे गए आतंकियों की पहचान लश्कर-ए-तैयबा के ए-कैटेगरी कमांडर सुलैमान उर्फ फैजल, अफगान और जेब्रान के रूप में हुई है. ये तीनों आतंकवादी 22 अप्रैल को पहलगाम के बाईसरण घाटी में हुए नरसंहार में शामिल थे, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी. गृह मंत्री शाह ने ऑपरेशन की सफलता की पुष्टि करते हुए इसे देश की सुरक्षा के लिए अहम बताया है.
Operation Mahadev in Hindi: हथियारों का बड़ा जखीरा, अमेरिकी M4 कार्बाइन भी बरामद
इस मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार जब्त किए. इनमें दो AK-47 राइफल, 17 हैंड ग्रेनेड और एक अमेरिकी M4 कार्बाइन राइफल शामिल है. M4 कार्बाइन की बरामदगी ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि यह राइफल अमेरिका द्वारा सेना के लिए बनाई गई थी और अब लगातार कश्मीर में आतंकियों के पास से बरामद हो रही है.
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अफगानिस्तान से पाकिस्तान, फिर भारत तक पहुंच रहे हैं हथियार
बताया जा रहा है कि 2021 में अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के बाद तालिबान के कब्जे में आए अमेरिकी हथियार पाकिस्तान के अवैध बाजारों तक पहुंचे. वहां से ये हथियार तस्करी के जरिए कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों को भेजे जा रहे हैं. सुरक्षाबलों का कहना है कि कुपवाड़ा, पुंछ और राजौरी जैसे सीमावर्ती इलाकों से अब भी हथियारों की तस्करी हो रही है, जिनमें ड्रोन और छिपे ठिकानों का भी इस्तेमाल हो रहा है.
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घाटी की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से घातक साबित हो रहा है M4
M4 कार्बाइन राइफल हल्की, फोल्डिंग स्टॉक और छोटी बैरल वाली होती है, जिससे यह पहाड़ी, जंगली इलाकों में लड़ाई के लिए उपयुक्त बन जाती है. यह 500-600 मीटर तक सटीक निशाना साध सकती है और इस पर नाइट विजन, लेज़र और ग्रेनेड लॉन्चर जैसे उपकरण लगाए जा सकते हैं. यही कारण है कि आतंकी अब इसे AK-103 या INSAS जैसी भारी राइफलों की जगह चुन रहे हैं.
हथियार की बरामदगी बड़ी चुनौती
ऑपरेशन महादेव भले ही आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी सैन्य सफलता है, लेकिन अमेरिकी हथियार की बरामदगी एक रणनीतिक चिंता का विषय है. यह भारत की सीमा सुरक्षा और वैश्विक आतंक से लड़ाई को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है. ऐसे में अब जरूरी हो गया है कि भारत सीमा निगरानी को और सख्त करे, हथियारों की तस्करी पर नकेल कसने के लिए अमेरिका सहित अन्य देशों से सहयोग बढ़ाए, और आतंकी फंडिंग की वैश्विक चैन को तोड़ने के लिए एक साझा रणनीति अपनाए.