24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Explainer : इमरान खान पर मामला दर्ज होने से पाकिस्तान में बढ़ा राजनीतिक संकट, जानें क्या होगा आगे

फिलहाल, माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए इमरान खान पाकिस्तान में चुनाव कराने पर जोर दे रहे हैं. इसी साल अप्रैल महीने में विपक्षी दलों द्वारा नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिए जाने के बाद नाटकीय तरीके से उनकी सरकार गिरा दी गई.

नई दिल्ली/इस्लामाबाद : पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया है. इससे पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर तनाव पैदा हो गया है. मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि इमरान खान के खिलाफ पुलिस ने इस्लामाबाद के मरगल्ला थाने में शनिवार की रात खान के खिलाफ आतंकवाद-विरोधी कानून के प्रावधान-7 (आतंकवाद की घटनाओं के लिए सजा) में मामला दर्ज किया है. इमरान खान के खिलाफ इस्लामाबाद में शनिवार को हुई एक रैली में पुलिस, न्यायपालिका और अन्य सरकारी संस्थानों को धमकी देने को लेकर मामला दर्ज किया गया है.

हाईकोर्ट से इमरान खान को 25 अगस्त तक मिली राहत

पुलिस की ओर से यह मुकदमा दर्ज करने के बाद इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने पूरे देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन की चेतावनी दी और गिरफ्तारी से बचाव के लिए पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता उनके घर के बाहर एकत्र हो गए. इसके बाद इमरान खान ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और वहां से 25 अगस्त तक गिरफ्तारी से पूर्व जमानत ले ली.

क्यों शुरू हुआ राजनीतिक तकरार

दरअसल, पाकिस्तान में इमरान खान और सरकार के बीच तकरार तब और अधिक बढ़ गया, जब 9 अगस्त को पीटीआई के नेता और इमरान के प्रमुख सहयोगी शहबाज गिल को गिरफ्तार कर लिया गया. शहबाज गिल के खिलाफ यह कार्रवाई एक टीवी इंटरव्यू के दौरान दिए गए बयान को लेकर की गई. मीडिया नियामक पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (पेमरा) ने उनके बयान को देशद्रोही और सशस्त्र बलों को उकसाने वाला करार दिया.

रैली में इमरान खान ने जज और पुलिस पर किया हमला

हालांकि, इमरान के प्रमुख सहयोगी शहबाज गिल की गिरफ्तारी के बाद पीटीआई ने दावा किया कि पुलिस हिरासत में उन्हें प्रताड़ना दी गई और उनकी जान को खतरा बना हुआ है. इसके बाद पिछले शनिवार 20 अगस्त को एक रैली के दौरान इमरान खान ने उस जज पर हमला किया, जिन्होंने शहबाज गिल को 48 घंटे की शारीरिक रिमांड की मंजूरी दी थी. इतना ही नहीं, इसी रैली में इमरान खान ने इस्लामाबाद पुलिस के टॉप अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की कसम खाई थी. उनके इस भाषण के तुरंत बाद पुलिस ने इमरान खान के खिलाफ आतंकवाद विरोधी अधिनियम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया.

क्या चाहते हैं इमरान खान

फिलहाल, माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए इमरान खान पाकिस्तान में चुनाव कराने पर जोर दे रहे हैं. इसी साल अप्रैल महीने में विपक्षी दलों द्वारा नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिए जाने के बाद नाटकीय तरीके से उनकी सरकार गिरा दी गई. इससे पाकिस्तान में उनकी लोकप्रियता को काफी नुकसान पहुंचा. संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाद उन्होंने इसके पीछे अमेरिका और पाकिस्तानी सेना का हाथ बताया. उन्होंने यह भी दावा कि स्वतंत्र विदेश नीति अख्तियार करने की वजह से अमेरिका उनसे खार खाए बैठा था और उसी के इशारे पर विपक्ष ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाकर उनकी सरकार को गिरा दिया. इमरान खान के इस तर्क के बाद उनके समर्थक एकजुट होने लगे, जिसमें ज्यादातर युवा और मध्यमवर्ग से संबंधित हैं.

शरीफ परिवार के गढ़ में पीटीआई ने लगाई सेंध

इतना ही नहीं, पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पीएमएल-एन-पीपीपी सरकार को सेना का समर्थन देने का भी आरोप लगाया, जो अक्सर उनकी सरकार पर लगता रहा है. इसके साथ ही,उन्होंने भ्रष्ट राजनेता मुक्त एक नया पाकिस्तान बनाने का नारा देते हुए पंजाब प्रांत के उपचुनाव में हिस्सा लिया. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुए उपचुनाव में पीटीआई ने शरीफ परिवार के गढ़ में सेंध लगाते हुए शानदार जीत दर्ज की.

पाकिस्तानी सेना की क्या है भूमिका

इमरान खान को उस टिप्पणी ने भी मुश्किल में डाल दिया, जिसमें उनके प्रमुख सहयोगी शहबाज गिल ने कहा कि सेना और उनके परिवारों के निचले और मध्यम स्तर के लोग इमरान खान के पीछे लगे थे. इससे सरकार नाराज हो गई थी. हालांकि, पीटीआई के बारे में कहा जाता है कि उसकी गिनती पाकिस्तानी सेना के वफादार के तौर पर की जाती है. सत्ता से बेदखल कर दिए जाने से पहले ही इमरान खान के बारे में यह अनुमान लगाया गया था कि उन्होंने अपने वफादार सेना अधिकारी और तत्कालीन आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को पाकिस्तानी सेना का प्रमुख बनाने की कोशिश की थी.

इसके बाद ही पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने तीन हफ्ते तक लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम को अगला आईएसआई प्रमुख के तौर पर नियुक्ति की घोषणा को टाल दिया था. हालांकि, बाजवा-फैज-इमरान तिकड़ी को पाकिस्तानी सेना के “हाइब्रिड” शासन प्रयोग को संरक्षित करने के लिए एक साथ काम करने वाला माना जाता था, जिसने 2018 में पीटीआई को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई थी.

अब कहां जाएगा पाकिस्तान

पाकिस्तान को राजनीतिक संकट से उबारने के लिए दो अहम चीजें मील का पत्थर साबित हो सकती हैं. इसमें पहला पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का रिटायरमेंट है. वर्तमान सेना प्रमुख जनरल बाजवा इस साल नवंबर में रिटायर होने वाले हैं. हालांकि, चर्चा यह भी की जा रही है कि उन्हें सेवाविस्तार का लाभ भी दिया जा सकता है. इसका कारण यह है कि पाकिस्तान में सैन्य प्रमुख के रिटायरमेंट की आयु 64 साल है और कमर जावेद बाजवा की उम्र अभी 61 साल ही है.

Also Read: पीटीआई नेता की गिरफ्तारी के बाद बिलबिला गए इमरान खान, कहा- बनाना रिपब्लिक की राह पर बढ़ रहा पाकिस्तान

हालांकि, कयास यह भी लगाया जा रहा है कि सितंबर के मध्य तक यह साफ हो जाएगा कि बाजवा को सेवाविस्तार का लाभ दिया जाएगा या नहीं. वहीं, दूसरा महत्वपूर्ण मील का पत्थर आम चुनाव है. पाकिस्तान में अगले साल आम चुनाव होने की संभावना है. पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने अप्रैल में घोषणा की थी कि वह मई 2023 से पहले चुनाव कराने की स्थिति में नहीं होगा. ईसीपी जनवरी में एक विशेष जनगणना के आधार पर एक परिसीमन शुरू करने और इसे तीन महीने में पूरा करने की योजना बना रहा है. अब इस आम चुनाव में जो अपना दमखम दिखा सकेगा, सरकार उसी की बनेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel