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ड्रोन के बाद इस्कंदर! जानिए कितना खतरनाक है रूस का यह घातक हथियार, जिससे अमेरिका भी कांपता है

Russia Iskander Weapon Used To Attack Ukraine: हाल ही में रूस ने यूक्रेन पे सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया उसके बाद इस्कंदर से भी। जानिए क्या है इस्कंदर के बारे में और कितनी तबाही मचा सकता है.

Russia Iskander Weapon Used To Attack Ukraine: रूस-यूक्रेन युद्ध अब और खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है. हाल ही में अमेरिका द्वारा यूक्रेन को भारी मात्रा में हथियार भेजे जाने के बाद रूस ने पलटवार करते हुए अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हमले में रूस ने एक साथ 700 से ज्यादा ड्रोन का इस्तेमाल किया. यही नहीं, रूस ने अब अपने सबसे ख़तरनाक और सटीक हथियारों में गिनी जाने वाली इस्कंदर मिसाइल का भी युद्ध में इस्तेमाल शुरू कर दिया है.

निकोलाएव में इस्कंदर मिसाइल से हमला

रूसी सेना ने यूक्रेन के दक्षिणी क्षेत्र निकोलाएव में यूक्रेनी सेना के एक डिप्लॉयमेंट एरिया को टारगेट करते हुए इस्कंदर मिसाइल दागी. यह इलाका यूक्रेनी सेना के लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम माना जाता है. इस हमले के बाद अंदेशा जताया जा रहा है कि युद्ध की गति और आक्रामक हो सकती है. रूस अब यूक्रेन पर ड्रोन और मिसाइल दोनों मोर्चों से दबाव बना रहा है.

Russia Iskander Weapon Used To Attack Ukraine: क्या है इस्कंदर मिसाइल?

इस्कंदर मिसाइल को नाटो में SS-26 स्टोन के नाम से जाना जाता है. यह रूस की एक कम दूरी की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली है, जिसे दुश्मन के अहम ठिकानों को बेहद सटीकता से निशाना बनाने के लिए तैयार किया गया है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सटीक निशाना, तेज रफ्तार और एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने की काबिलियत रखती है.

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क्या है रफ्तार और मारक क्षमता?

इस्कंदर मिसाइल को साल 2006 में रूस ने पहली बार पेश किया था. यह मिसाइल लगभग 500 किलोमीटर की दूरी तक वार कर सकती है और इसमें 700 किलोग्राम तक का वारहेड ले जाने की क्षमता होती है. इसकी रफ्तार मैक 6 से 7 तक होती है, यानी आवाज की गति से छह से सात गुना तेज. इस वजह से दुश्मन के सिस्टम के लिए इसे रोक पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. (Iskander missile specialty)

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कैसे काम करती है इस्कंदर?

यह मिसाइल एक अर्ध-बैलिस्टिक ट्रैजेक्टरी में उड़ती है, यानी यह हवा में सीधी उड़ान नहीं भरती, बल्कि पैंतरेबाजी करते हुए आगे बढ़ती है. इससे यह दुश्मन की एयर डिफेंस प्रणालियों से बच जाती है. इसमें इंटरनल नेविगेशन सिस्टम, ऑप्टिकल गाइडेंस, और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग की तकनीक होती है, जो इसे और भी खतरनाक बनाती है. दुश्मन के रडार को चकमा देने के लिए इसमें डिकॉय सिस्टम भी लगाया गया है.

रूस के पास कितनी इस्कंदर मिसाइलें?

रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक, रूस के पास 100 से 120 इस्कंदर लांचर हैं. हर लांचर में दो मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं. यानी रूस के पास इस मिसाइल से तुरंत हमला करने की व्यापक क्षमता है. यह युद्ध को किसी भी समय निर्णायक मोड़ पर ले जाने की ताकत रखता है.

ड्रोन हमलों से बनी नई चुनौती

सिर्फ मिसाइल नहीं, रूस अब ड्रोन का भी बेजोड़ इस्तेमाल कर रहा है. हाल ही में किए गए 700 से अधिक ड्रोन हमले इस बात का संकेत हैं कि रूस अब युद्ध को तेजी से अंजाम तक ले जाना चाहता है. ड्रोन हमलों के जरिए रूस यूक्रेन की वायु सुरक्षा प्रणाली और साजो-सामान को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है.

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अमेरिका और नाटो की बढ़ती चिंता

रूस के इन हमलों के बाद अमेरिका और नाटो देशों में भी बेचैनी बढ़ गई है. अमेरिका ने हाल ही में यूक्रेन को हथियारों का नया जत्था भेजा था, लेकिन अब रूस का पलटवार पश्चिमी देशों के लिए नई चुनौती बन गया है. विश्लेषकों का मानना है कि अगर यह स्थिति यूं ही बनी रही, तो युद्ध एक बड़े अंतरराष्ट्रीय टकराव में बदल सकता है.

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