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कहां से आया थाईलैंड का ‘थाई मसाज’, जिसमें 30 मिनट के लिए लाखों खर्च करते हैं टूरिस्ट

Thai Massage: थाई मसाज की शुरुआत डॉक्टर शिवागो से हुई थी अब टूरिस्ट 30 मिनट के लिए लाखों खर्चते हैं. जानें इसका इतिहास, तकनीक और UNESCO से मिला सम्मान.

Thai Massage: थाईलैंड आज पूरी दुनिया में अपनी पारंपरिक मसाज तकनीक के लिए मशहूर है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसकी जड़ें भारत के मगध से जुड़ी हैं और इसके जनक कोई और नहीं बल्कि भगवान बुद्ध के निजी चिकित्सक डॉ. जिवाका कुमार भच्छा थे. थाई मसाज को थाईलैंड में ‘नुआद थाई’ कहा जाता है और इसे साल 2019 में UNESCO ने विश्व सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल किया. आईए इस आर्टकल के माध्यम से थाई मसाज कहां से और कौन हैं इसके संस्थापक के बारे में जानते हैं. (Unesco Heritage Massage)

Thai Massage Origin in Hindi: भगवान बुद्ध के चिकित्सक थे थाई मसाज के जनक

थाई मसाज की कहानी करीब 2500 साल पुरानी है. इसका श्रेय जिस व्यक्ति को जाता है, उन्हें थाईलैंड में डॉ शिवागो कोमारपज (Dr. Shivago Komarpaj) कहा जाता है. ऐतिहासिक ग्रंथों और बौद्ध परंपराओं में इन्हें जिवाका कुमार भच्छा के नाम से जाना जाता है. वे न सिर्फ महात्मा बुद्ध के चिकित्सक थे, बल्कि उन्होंने ही आयुर्वेद और योग के आधार पर मसाज की एक प्रभावशाली पद्धति विकसित की. वे प्राचीन भारत के मगध राज्य में राजा बिंबिसार और बाद में अजातशत्रु के दरबार के भी चिकित्सक थे. उन्होंने उस समय की चिकित्सा पद्धतियों को नया आयाम दिया, जिसे थाईलैंड ने अपनी परंपरा में आत्मसात कर लिया.

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मंदिरों से शुरू होकर दुनिया भर में फैली थाई मसाज

थाई मसाज की शुरुआत बौद्ध मंदिरों से हुई थी. यह एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है जो हठ योग, रिफ्लेक्सोलॉजी और एक्यूप्रेशर का संयोजन है. समय के साथ, यह पद्धति थाईलैंड के गांवों तक पहुंची और किसानों की थकान दूर करने का एक पारंपरिक उपाय बन गई. इसे पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से सिखाया गया. किसानों के बच्चे इस मसाज की विधियां सीखते और आगे बढ़ाते गए. इसका प्रमाण आज भी बैंकॉक के प्रसिद्ध वॉट फो मंदिर (Wat Pho Temple) की दीवारों पर पाए जाने वाले प्राचीन शिलालेखों में मिलता है, जिन पर मसाज के बिंदु और तकनीकें उकेरी गई हैं.

क्या खास है थाई मसाज में?

थाई मसाज को पारंपरिक तेल वाली मसाज से बिल्कुल अलग माना जाता है. इसमें न तो शरीर पर तेल लगाया जाता है और न ही कपड़े उतारे जाते हैं. मरीज पूरी तरह से कपड़े पहने फर्श पर लेटता है, और थेरेपिस्ट हाथ, घुटनों, कोहनी और पैरों का इस्तेमाल करके शरीर की गहरी मांसपेशियों पर दबाव डालते हैं. इसका मकसद शरीर की ‘सेन’ (Sen) नामक ऊर्जा रेखाओं को संतुलित करना होता है. यह मसाज न सिर्फ थकान दूर करता है, बल्कि शरीर की आंतरिक ऊर्जा को भी पुनर्जीवित करता है.

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Thai Massage Origin  Dr Shivago: 30 मिनट में लाखों खर्च करने को तैयार टूरिस्ट

थाई मसाज की वैश्विक लोकप्रियता अब लक्जरी सेगमेंट तक पहुंच चुकी है. बैंकॉक, पटाया, फुकेत जैसे पर्यटन स्थलों पर स्थित हाई-एंड स्पा और रिजॉर्ट्स में 30 मिनट का थाई मसाज सेशन 25,000 से 1,50,000 (USD 300–1800) तक में बुक होता है. थाई मसाज के कुछ एक्सक्लूसिव वेरिएंट्स जैसे “Royal Thai Massage” या “Herbal Ball Massage” में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और मेडिटेशन का मेल होता है, जो इसे और प्रीमियम बनाता है. मशहूर सेलेब्रिटी और हॉलीवुड स्टार्स भी थाई मसाज को अपनी फिटनेस और रीकवरी रूटीन का हिस्सा बना चुके हैं.

दुनिया भर में मशहूर हो चुकी है थाई मसाज

थाई मसाज की लोकप्रियता अब सीमित नहीं रही. साल 1906 में एक आधिकारिक स्कूल की स्थापना के बाद इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली. इसके बाद से यह तकनीक दुनिया के 145 से अधिक देशों में पहुंच चुकी है. अमेरिका, यूरोप, भारत समेत दर्जनों देशों में आज थाई मसाज पार्लर और स्पा आम हो गए हैं. थाई मसाज को 2019 में यूनेस्को की “Intangible Cultural Heritage” सूची में स्थान मिलने के बाद इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता और भी बढ़ गई है.

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