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Trinidad-Tobago : त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री का बिहार से है खास नाता, जानकर रह जाएंगे दंग

Trinidad-Tobago : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के दूसरे चरण में गुरुवार को त्रिनिदाद और टोबैगो पहुंचे. पीयार्को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर ने 38 मंत्रियों और चार सांसदों के साथ उनका भव्य स्वागत किया. इसके बाद पीएम मोदी को एयरपोर्ट पर औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

Trinidad-Tobago : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच देशों की यात्रा के तहत त्रिनिदाद और टोबैगो पहुंचे हैं. पोर्ट ऑफ स्पेन में पीएम कमला ने अपने तमाम मंत्रियों और सांसदों के साथ उनका स्वागत किया. पहले यहां आदिवासी समुदाय रहते थे. 16वीं सदी में कोलंबस के आगमन के बाद स्पेन ने इसे उपनिवेश बना लिया. 1797 में ब्रिटेन ने इसे अपने कब्जे में ले लिया और 1889 में टोबैगो को त्रिनिदाद में मिला दिया. वर्ष 1962 में त्रिनिदाद एंड टोबैगो को ब्रिटेन से आजादी मिली.

कमला प्रसाद बिसेसर का बिहार से है खास नाता

कैरीबियाई देश त्रिनिदाद और टोबैगो में कमला प्रसाद बिसेसर प्रधानमंत्री हैं. उनका बिहार से खास नाता है. जी हां…उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद इसकी चर्चा वहां से हजारों किलोमीटर दूर बिहार के गांव भेलूपुर में हुई. दरअसल, बिहार के बक्सर जिले का भेलूपुर गांव कमला प्रसाद बिसेसर का पैतृक गांव है.

उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर कैसे पहुंचे त्रिनिदाद और टोबैगो

भारत ने त्रिनिदाद एंड टोबैगो की स्वतंत्रता के बाद सबसे पहले राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंध 1845 में शुरू हुए, जब ‘फातेल रज्जाक’ नाम का जहाज 225 भारतीय मजदूरों को त्रिनिदाद लेकर पहुंचा. इनमें अधिकांश मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार से थे, जिन्हें 5 से 7 साल के अनुबंध पर काम के लिए ले जाया गया था. इन मजदूरों के साथ हुए इस अनुबंध को बोलचाल की भाषा में ‘गिरमिट’ कहा जाने लगा, जिससे ‘गिरमिटिया’ शब्द प्रचलित हुआ.

एग्रीमेंट पर काम करने वाले मजदूर ‘गिरमिटिया’ कहलाए. उनके वंशज आज भी त्रिनिदाद और टोबैगो में बसे हैं और देश की 13 लाख की आबादी में लगभग 40% हिस्सा रखते हैं. वर्तमान में वहां 5 लाख से ज्यादा लोग भारतीय मूल के हैं, जो अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं.

गिरमिटिया मजदूरों की वंशज हैं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री

साल 1834 में ब्रिटेन ने अफ्रीका में गुलामी प्रथा खत्म की, जिससे यूरोपीय उपनिवेशों में मजदूरों की भारी कमी हो गई. इस कमी को पूरा करने के लिए भारत जैसे देशों से मजदूर लाए गए. त्रिनिदाद की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री उन्हीं गिरमिटिया मजदूरों की वंशज हैं. पीएम कमला के परदादा राम लखन मिश्रा बिहार के बक्सर जिले के थे.

Amitabh Kumar
Amitabh Kumar
डिजिटल जर्नलिज्म में 14 वर्षों से अधिक का अनुभव है. जर्नलिज्म की शुरूआत प्रभातखबर.कॉम से की. राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खबरों पर अच्छी पकड़. राजनीति,सामाजिक संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. ट्रेंडिंग खबरों पर फोकस.

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