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जेलेंस्की पर बढ़ा अमेरिकी दबाव, रूस से बात करें या पद छोड़ें!

US Pressure on Zelensky: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सहयोगियों ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से रूस के साथ शांति वार्ता करने या इस्तीफा देने की मांग की है. वाशिंगटन में हुई बैठक में यह विवाद उभरा. जेलेंस्की ने इस दबाव को ठुकराते हुए कहा कि उन्हें हटाना आसान नहीं होगा. इस रुख से पश्चिमी गठबंधन में दरार की आशंका बढ़ गई है.

US Pressure on Zelensky: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगियों ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के खिलाफ एक बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि यदि जेलेंस्की रूस के साथ शांति वार्ता करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. यह विवादित टिप्पणी वाशिंगटन में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद सामने आई, जिसमें ट्रंप और उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस की जेलेंस्की के साथ तीखी बहस हुई. इस बैठक में प्रमुख मुद्दा रूस के साथ शांति वार्ता और अमेरिकी समर्थन का रहा.

बैठक में जेलेंस्की की ओर से रूस के साथ बातचीत करने से इनकार और अमेरिकी सहायता के प्रति उनके कथित “आभार की कमी” को लेकर चर्चा हुई. इस बहस के चलते एक महत्वपूर्ण खनिज सौदे पर भी सहमति नहीं बन पाई. इस घटनाक्रम के बाद ट्रंप प्रशासन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने कहा कि यूक्रेन को किसी भी शांति वार्ता के लिए क्षेत्रीय रियायतें देनी होंगी और वर्तमान नेतृत्व इस प्रक्रिया में बाधा बन सकता है.

अमेरिका का बढ़ता दबाव

इस मामले में अमेरिकी हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने भी अपना मत रखते हुए कहा कि जेलेंस्की को या तो व्यावहारिक सोच अपनाकर बातचीत की मेज पर आना चाहिए या फिर किसी और को नेतृत्व सौंप देना चाहिए. ट्रंप प्रशासन का यह रुख दर्शाता है कि अमेरिका अब यूक्रेन युद्ध को जल्द समाप्त करने की दिशा में बढ़ना चाहता है, लेकिन इसके लिए यूक्रेन को कुछ समझौते करने पड़ सकते हैं.

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जेलेंस्की का कड़ा जवाब

अमेरिका के इस दबाव के जवाब में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ब्रिटिश मीडिया से बात करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें हटाना इतना आसान नहीं होगा. उन्होंने कहा, “सिर्फ़ चुनाव कराना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मैं चुनाव में हिस्सा न लूं. यह आसान नहीं होगा. इसका मतलब है कि आपको मुझसे ही बात करनी होगी.” इसके साथ ही उन्होंने यह संकेत भी दिया कि यदि यूक्रेन को नाटो की सदस्यता मिल जाती है, तो वह राष्ट्रपति पद से हटने के लिए तैयार हैं.

यदि जेलेंस्की इस्तीफा देते हैं, तो अगला नेता कौन?

यदि किसी दबाव या स्वेच्छा से जेलेंस्की इस्तीफा देते हैं, तो कई संभावित नाम उनकी जगह लेने के लिए उभर सकते हैं. समाचार पत्रिका न्यूजवीक के अनुसार, कुछ प्रमुख संभावित उत्तराधिकारी इस प्रकार हो सकते हैं:

विटाली क्लिट्स्को: कीव के मेयर और पूर्व हेवीवेट बॉक्सिंग चैंपियन, जो राजधानी की सुरक्षा में एक मजबूत नेता के रूप में देखे जाते हैं.

वालेरी जालुज्नी: यूक्रेनी सेना के जनरल, जिन्हें “आयरन जनरल” कहा जाता है और जो जनता के बीच बेहद लोकप्रिय हैं.

ओलेक्सी एरेस्टोविच: जेलेंस्की के पूर्व सलाहकार, जो पहले ही संकेत दे चुके हैं कि यदि जेलेंस्की चुनाव में नहीं उतरते, तो वह खुद राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बन सकते हैं.

रुस्लान स्टेफानचुक: यूक्रेनी संसद के स्पीकर, जो जेलेंस्की के करीबी माने जाते हैं और एक राजनीतिक उत्तराधिकारी हो सकते हैं.

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पश्चिमी गठबंधन में दरार का खतरा

अमेरिका के इस रुख ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है. अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने इस मांग की कड़ी आलोचना की और इसे “लोकतंत्र के लिए खतरनाक” करार दिया. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के नेतृत्व का फैसला बाहरी शक्तियों द्वारा नहीं किया जाना चाहिए.

रिपब्लिकन सीनेटर लिसा मुरकोव्स्की ने चिंता जताई कि यदि अमेरिका ने यूक्रेन पर बहुत अधिक दबाव डाला, तो इसका फायदा रूस को मिल सकता है और इससे अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान हो सकता है. डेमोक्रेटिक सीनेटर क्रिस मर्फी ने ट्रंप प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि “व्हाइट हाउस अब क्रेमलिन (रूस) की नीतियों का समर्थन करने लगा है.”

यूरोप में भी हलचल

अमेरिका के इस बदलते रुख से यूरोप में भी चिंता बढ़ गई है. फ्रांस और जर्मनी जैसे यूरोपीय देश अब भी यूक्रेन के समर्थन में मजबूती से खड़े हैं. यदि अमेरिका जेलेंस्की पर और अधिक दबाव डालता है, तो यह पश्चिमी गठबंधन में दरार का कारण बन सकता है. ट्रंप के सहयोगियों द्वारा जेलेंस्की के इस्तीफे की मांग ने वैश्विक राजनीति को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है. अमेरिका अब यूक्रेन युद्ध को जल्द खत्म करने के लिए दबाव बना रहा है, लेकिन जेलेंस्की ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इतनी आसानी से पीछे नहीं हटेंगे. इस विवाद का असर अमेरिका-यूरोप संबंधों और रूस-यूक्रेन युद्ध की दिशा पर पड़ सकता है.

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Aman Kumar Pandey
Aman Kumar Pandey
अमन कुमार पाण्डेय डिजिटल पत्रकार हैं। राजनीति, समाज, धर्म पर सुनना, पढ़ना, लिखना पसंद है। क्रिकेट से बहुत लगाव है। इससे पहले राजस्थान पत्रिका के यूपी डेस्क पर बतौर ट्रेनी कंटेंट राइटर के पद अपनी सेवा दे चुके हैं। वर्तमान में प्रभात खबर के नेशनल डेस्क पर कंटेंट राइटर पद पर कार्यरत।

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