Vietnam War US Defeat: आज अमेरिका दुनिया की आर्थिक और रणनीतिक नीतियों का सबसे बड़ा नियंता बनने की कोशिश कर रहा है. कभी वह चीन पर भारी-भरकम टैरिफ लगाकर ट्रेड वॉर छेड़ देता है, तो कभी भारत और यूरोपीय संघ को शुल्क और तकनीकी प्रतिबंधों से घेरता है. रूस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका हथियार और सहायता देकर वैश्विक नेता बनने की होड़ में है, तो ईरान और नॉर्थ कोरिया पर भी आर्थिक प्रतिबंधों की बौछार कर चुका है. ट्रंप हो या बाइडन. दोनों ही प्रशासन अपने-अपने तरीके से टैरिफ और रणनीतिक दखलंदाजी के जरिए दुनिया को अमेरिका-केंद्रित व्यवस्था में ढालने की कोशिश करते रहे हैं.
लेकिन एक समय था जब यह महाशक्ति दुनिया के एक छोटे, गरीब और बंटे हुए देश वियतनाम के सामने पराजित हो गई थी. बीबीसी हिंदी की विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका को वियतनाम युद्ध में ऐसी हार मिली, जिसकी गूंज दशकों तक सुनाई दी. बीबीसी की एक विस्तृत रिपोर्ट के मुताबिक, इस ऐतिहासिक पराजय के पीछे सात प्रमुख कारण थे, जो अमेरिका के रणनीतिक, सैन्य और राजनीतिक फैसलों की कमजोरियों को उजागर करते हैं. आइए जानते हैं वह सात बड़े कारण, जिन्होंने अमेरिका को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
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विशाल और अव्यवस्थित सैन्य मिशन
अमेरिका ने वियतनाम युद्ध में 5 लाख से अधिक सैनिक तैनात किए और करीब 950 अरब डॉलर (आज के मूल्य के अनुसार) खर्च किए. फिर भी 1968 में हुए टेट हमले के बाद यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका को वांछित सफलता नहीं मिल रही. युद्ध की लागत और जन समर्थन में गिरावट ने अमेरिकी कांग्रेस को सैनिक वापसी के लिए मजबूर किया.
असंगत सैन्य रणनीति और युद्ध का भूगोल
वियतकांग की गुरिल्ला रणनीति और दक्षिण-पूर्व एशिया के घने जंगलों में युद्ध करने की चुनौती ने अमेरिकी सेना को परेशान किया. जबकि वियतकांग अपनी मर्जी से समय और स्थान चुनते थे और कंबोडिया-लाओस सीमा पार कर छुप जाते थे, जहां अमेरिकी सेना पीछा नहीं कर सकती थी.
घरेलू स्तर पर युद्ध विरोध
यह पहला टेलीविजन युद्ध था और अमेरिकी घरों तक युद्ध की भयावह तस्वीरें पहुंच रही थीं. निर्दोष नागरिकों की मौत, छात्रों पर गोलीबारी (केंट स्टेट नरसंहार), और सैनिकों की ताबूतों की तस्वीरों ने देशभर में युद्ध विरोधी माहौल खड़ा कर दिया.
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‘दिल और दिमाग’ की लड़ाई में हार
अमेरिका ने नापाम बम और ‘एजेंट ऑरेंज’ जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया, जिससे वियतनामी नागरिकों का ग़ुस्सा बढ़ा. ‘माई लाइ नरसंहार’ जैसी घटनाओं ने अमेरिका को एक बर्बर हमलावर के रूप में पेश किया और आम लोगों का समर्थन वियतकांग को मिलने लगा.
वामपंथी ताकतों का अडिग मनोबल
उत्तर वियतनामी सैनिकों और वियतकांग लड़ाकों ने भारी हताहतों के बावजूद युद्ध नहीं छोड़ा. अमेरिकी अध्ययनों के मुताबिक, उनमें देश को एकीकृत करने और विदेशी हस्तक्षेप के खिलाफ लड़ने की तीव्र देशभक्ति थी.
दक्षिण वियतनामी सरकार की कमजोरी
दक्षिण वियतनाम की सरकार भ्रष्ट, अलोकप्रिय और अमेरिका पर पूरी तरह निर्भर थी. धार्मिक असंतुलन (कैथोलिक प्रभुत्व) और फ्रांसीसी औपनिवेशिक विरासत ने उसे जनता से काट दिया. यही कारण था कि लोग इस सरकार के लिए लड़ने को तैयार नहीं थे.
Vietnam War US Defeat in Hindi: उत्तर वियतनाम को चीन और सोवियत संघ से निरंतर समर्थन
जहां दक्षिण वियतनाम को अमेरिकी समर्थन सीमित हो गया, वहीं उत्तर वियतनाम को सोवियत संघ और चीन से लगातार आर्थिक और सैन्य समर्थन मिलता रहा, जिससे उनका युद्ध संचालन बना रहा. सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी के डॉ ल्यूक मिडप और ओरेगॉन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तूओंग वू के हवाले से स्पष्ट होता है कि अमेरिका की तकनीकी और आर्थिक श्रेष्ठता वियतनाम के दृढ़ संकल्प, रणनीति और स्थानीय जनसमर्थन के सामने टिक नहीं सकी. वियतनाम युद्ध की हार ने अमेरिका की विदेश नीति, मीडिया की भूमिका और लोकतंत्र बनाम अधिनायकवाद की कार्यशैली पर गहरा असर डाला.