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Artificial Intelligence : जानकारी इकट्ठा करने और सीखने में भी सक्षम हुआ Google

इंटरनेट पर जानकारियों का खजाना मुहैया करानेवाला गूगल बड़े जोर-शोर से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर काम कर रहा है. गूगल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ग्रुप डीपमाइंड (DeepMind) ने अल्फागो (AlphaGo) के नाम से एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया है. इसका मकसद मशीन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता तैयार करना है, जो इंसानी दिमाग जैसा या उससे भी […]

इंटरनेट पर जानकारियों का खजाना मुहैया करानेवाला गूगल बड़े जोर-शोर से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर काम कर रहा है. गूगल के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ग्रुप डीपमाइंड (DeepMind) ने अल्फागो (AlphaGo) के नाम से एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया है.

इसका मकसद मशीन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता तैयार करना है, जो इंसानी दिमाग जैसा या उससे भी बेहतर प्रदर्शन करे. यानी इंसान की तरह सोचना, समझना और प्रतिक्रिया देना.

गूगल के इस प्रोग्राम को मार्च 2016 में तब बड़ी सफलता मिली, जब इसने ‘गो’ गेम के दिग्गज खिलाड़ी ली सीडोल को हराया. तब यह किसी पेशेवर गो खिलाड़ी को हराने वाला पहला कंप्यूटर प्रोग्राम बना. अब यह जानकारी इकट्ठा करने और सीखने में भी सक्षम हो चुका है.

यहां यह जानना गौरतलब है कि ‘गो’ एक चीनी बोर्ड गेम है. जानकारों की मानें, तो इस खेल को जीतने के लिए खिलाड़ी को चेस से भी कई गुणा ज्यादा दांव-पेच लगाने पड़ते हैं.

यह कंप्यूटर के लिए अन्य खेलों के मुकाबले बहुत मुश्किल माना जाता है. इससे पहले 1997 में आइबीएम के कंप्यूटर डीप ब्लू ने चेस के चैंपियन गैरी कास्परोव को हरा दिया था.

इस घटना के 20 सालों के बाद दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की कामयाबी के नये-नये आयाम जुड़ते जा रहे हैं और इसकी चर्चा जोर पकड़ रही है.

हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर स्टीफन हॉकिंग और एलॉन मस्क जैसे वैज्ञानिक कम आशावादी हैं. इनका मानना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव के अस्तित्व के लिए खतरा बन जायेगी.

लेकिन जो लोग इन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं, उनका मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आज के समय की जरूरत है और इससे हमारी जिंदगी आसान हो जायेगी.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में गूगल अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों से काफी आगे है. जहां अन्य कंपनियाें की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भाषांतरण करने (Translation) और चेहरा पहचानने (Facial Recognition) तक ही सीमित है, गूगल डीपमाइंड का अल्फागो-जीरो प्रोग्राम सैकड़ों-हजारों सालों की जानकारियों का चंद मिनटों में विश्लेषण कर लेता है.

यह हर वह काम कर सकता है, जो मानव मस्तिष्क के लिए संभव है. कई मौकों पर यह इंसानी दिमाग से बेहतर प्रदर्शन भी कर दिखाता है.

बात करें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में गूगल के प्रोजेक्ट्स की, तो इसमें गूगल ड्राइवरलेस कार, गूगल एसिस्टेंस,गूगल एक्स, गूगल ब्रेन जैसे नाम महत्वपूर्ण हैं. उम्मीद की जानी चाहिए कि आनेवाले दिनों में इनसे कुछ अच्छा निकल कर आयेगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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