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हाईवे से खत्म हो जाएंगे टोल बूथ, NHAI ने उठाया ये बड़ा कदम

Advanced Satellite Technology का लाभ उठाने के लिए, EoI का लक्ष्य अनुभवी और सक्षम कंपनियों की पहचान करना है जो मजबूत, स्केलेबल और कुशल टोल चार्जर सॉफ्टवेयर प्रदान कर सकें, जो भारत में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) -आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के Execution के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करेगा.

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने शुक्रवार को एक आधिकारिक बयान में कहा कि हमने दुनिया भर से सेटेलाइट-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन को लागू करने के लिए एक्स्प्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) आमंत्रित की है ताकि नेशनल हाइवे उपयोगकर्ताओं को निर्बाध और बाधा रहित टोलिंग अनुभव प्रदान किया जा सके. यह कदम हाईवे पर मौजूदा टोल बूथों को खत्म करने के उद्देश्य से है.

“राष्ट्रीय राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को निर्बाध और बाधा रहित टोलिंग अनुभव प्रदान करने और टोल संचालन की दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, NHAI द्वारा प्रवर्तित कंपनी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (IHMCL) ने अभिनव और योग्य कंपनियों से भारत में सेटेलाइट-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन प्रणाली को विकसित और कार्यान्वित करने के लिए वैश्विक अभिव्यक्ति की रुचि (EOI) आमंत्रित की है,” बयान में कहा गया है.

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बयान में कहा गया है कि NHAI शुरू में एक Hybrid Models का उपयोग करते हुए मौजूदा FASTag ईको सिस्टम के भीतर GNSS-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ETC) प्रणाली को लागू करने की योजना बना रहा है, जहां RFID-आधारित ETC और GNSS-आधारित ETC दोनों एक साथ संचालित होंगे. बयान में कहा गया है कि टोल प्लाजा पर GNSS लेन उपलब्ध होंगे, जिससे जीएनएसएस-आधारित ईटीसी का उपयोग करने वाले वाहन स्वतंत्र रूप से गुजर सकेंगे.

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Advanced Satellite Technology का लाभ उठाने के लिए, EoI का लक्ष्य अनुभवी और सक्षम कंपनियों की पहचान करना है जो मजबूत, स्केलेबल और कुशल टोल चार्जर सॉफ्टवेयर प्रदान कर सकें, जो भारत में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) -आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के Execution के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करेगा.

बयान में कहा गया है कि भारत में जीएनएसएस-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन से राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की आवाजाही सुगम होगी और राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को कई लाभ मिलने की परिकल्पना की गई है, जैसे कि बाधा रहित नि:शुल्क टोलिंग जिससे परेशानी मुक्त सवारी अनुभव होगा और दूरी-आधारित टोलिंग जहां उपयोगकर्ताओं को केवल उसी हिस्से के लिए भुगतान करना होगा, जिस पर उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा की है.

बयान में कहा गया है कि जीएनएसएस-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह से टोल संग्रह भी अधिक कुशल हो जाएगा क्योंकि इससे रिसाव को रोकने और टोल चोरी करने वालों की जांच करने में मदद मिलेगी.

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Abhishek Anand
Abhishek Anand
'हम वो जमात हैं जो खंजर नहीं, कलम से वार करते हैं'....टीवी और वेब जर्नलिज्म में अच्छी पकड़ के साथ 10 साल से ज्यादा का अनुभव. झारखंड की राजनीतिक और क्षेत्रीय रिपोर्टिंग के साथ-साथ विभिन्न विषयों और क्षेत्रों में रिपोर्टिंग. राजनीतिक और क्षेत्रीय पत्रकारिता का शौक.

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