मनोज कुमार/ Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. गठबंधनों और दलों के बीच सीटों को लेकर अंदरखाने में रणनीति बनने लगी है. इसके साथ ही गठबंधनों में शामिल दलों के बीच भी अधिक से अधिक विधानसभा सीट पाने का दांव चलाया जा रहा है. इसकी बानगी दो केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान व जीतनराम मांझी और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा के बीच चल रही सियासी बयानबाजी में दिखने लगी है. एक ओर हम पार्टी के संरक्षक केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी व लोजपा आर के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान पर लगातार हमलावर हैं. वहीं, अब रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा की भी इसमें एंट्री हो गयी है.
सियासी बयानबाजी
बिहार में लॉ एंड ऑर्डर को लेकर चिराग पासवान के बयान पर उपेंद्र कुशवाहा ने भी चिराग पासवान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि ये तीनों पार्टियां भाजपा के कोटे में हैं. मतलब, भाजपा को ही इन तीनों पार्टियों को साधने की जिम्मेवारी है. इन तीनों पार्टियों को कितनी सीटें मिलेंगी, ये भाजपा ही तय करेगी. ऐसे में भाजपा को अपनी सीटों में ही इन पार्टियों को सीटें देने की नौबत आ सकती है. अगर ऐसा होता है तो, इन तीनों पार्टियों को सीटें उनके मुताबिक मिलना आसान नहीं होगा. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि तीनों की सियासी बयानबाजी के पीछे अधिक से अधिक सीटें पाने की कवायद है.
मांझी व चिराग के बीच एक दूसरे से बड़ा दलित नेता होने की जंग
लोकसभा चुनाव से ही जीतनराम मांझी और चिराग पासवान में ठनी है. गया लोकसभा चुनाव में जीतनराम मांझी हम पार्टी से एनडीए के उम्मीदवार थे. जीतनराम मांझी के चुनाव प्रचार में चिराग पासवान नहीं गये थे. उपचुनाव में भी इमामगंज में जाने से इन्कार कर दिया था. मांझी और चिराग पासवान के बीच दलित नेता होने की जंग तब से ही शुरू है. एक मांझी और दूसरे पासवान जाति से आते हैं. मांझी का दावा है कि वे बिहार की सबसे बड़ी दलित आबादी का प्रतिनिधत्व करते हैं. चिराग का भी दावा रहता है कि पासवान का सौ फीसदी वोट वे ट्रांसफर कराने की क्षमता रखते हैं. इसके साथ ही दलितों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं. अपने-अपने दावों के बीच उनमें एक दूसरे से बड़ा दलित नेता होने की जंग चल रही है.
चिराग को विधानसभा में भी ज्यादा तरजीह मिलने की संभावना से बढ़ी है जुबानी जंग
लोकसभा में चिराग पासवान को पांच सीटें मिलीं. जीतनराम मांझी व उपेंद्र कुशवाहा को एक-एक सीट दी गयी. इसमें उपेंद्र कुशवाहा की हार हुई. लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों दलों की अपेक्षा चिराग पासवान को एनडीए में ज्यादा तरजीह मिली. विधानसभा चुनाव में भी इन दोनों दलों की अपेक्षा चिराग पासवान को अधिक सीटें मिलने की संभावना है. ऐसे में जीतनराम मांझी की पार्टी हम और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो को काफी कम सीटों पर संतोष करना पड़ेगा. इस कारण मांझी और उपेंद्र कुशवाहा ने चिराग को निशाने पर लिया है.
उपेंद्र कुशवाहा और चिराग के पास एक भी विधायक नहीं, डिफरेंट फॉर्मूला लगाना होगा
उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान के पास अभी एक भी विधायक नहीं हैं. ऐसे में इन दोनों दलों को कहां-कहां से विधानसभा सीटें मिलेंगी, इसका फॉर्मूला तैयार करना एनडीए के लिए टेढ़ी खीर साबित होने की संभावना है. जातीय, सुरक्षित और प्रभाव वाले क्षेत्रों में दोनों का टिकट मिलेगा भी तो इसके लिए डिफरेंट फॉर्मूले का सहारा लेना पड़ेगा.
चिराग के खिलाफ मांझी के हालिया बयान
- मजबूत लोग बोलते नहीं, कमजोर लोग दिखावा करते हैं
- जो मजबूत होता है वो बोलता नहीं है… “जो कमजोर हैं वही बोलता हैं”
- 10 कारों में सिर्फ नारेबाजी करने वाले होते हैं… यह सिर्फ दिखावा है, जमीनी समर्थन नहीं
उपेंद्र कुशवाहा ने अभी हाल में क्या बोला
- गठबंधन धर्म की मर्यादा का पालन करें और हर सहयोगी अपनी लक्ष्मण रेखा का खयाल रखें. चिराग के बिहार में लॉ एंड ऑर्डर ध्वस्त होने पर प्रतिक्रिया दी थी.
क्या-क्या बोले चिराग पासवान
- मुझे बिहार बुला रहा है
- मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगा
- बिहार के 243 सीटों पर हम चुनाव लड़ेंगे