Digital Forensic Expert: आज का युग डिजिटल का है. हर काम अब कंप्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट या क्लाउड के जरिए हो रहा है—चाहे बैंकिंग हो, ऑफिस वर्क, पढ़ाई या सोशल मीडिया. लेकिन जिस तेजी से डिजिटल तकनीक ने जिंदगी आसान की है, उतनी ही तेजी से बढ़े हैं डिजिटल अपराध. हैकिंग, डेटा चोरी, ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर बुलिंग जैसे मामलों की बाढ़ आ गई है. ऐसे में इन अपराधों की तह तक जाने और सच्चाई सामने लाने का काम करते हैं—डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स.
इन्हें अक्सर “स्क्रीन के पीछे का जासूस” या “डिजिटल डेटा डिटेक्टिव” भी कहा जाता है. इनकी पहचान न तो वर्दी से होती है, न ही किसी हथियार से, बल्कि इनका सबसे बड़ा हथियार होता है – तकनीक की गहरी समझ और डिजिटल साक्ष्य जुटाने की कला.
डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट कौन होता है?
डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट वह प्रोफेशनल होता है जो कंप्यूटर, मोबाइल, हार्ड ड्राइव, ईमेल, सोशल मीडिया या क्लाउड जैसे डिजिटल स्रोतों से डिलीट या छिपाई गई जानकारी को रिकवर करता है और उसे कानूनी सबूत के रूप में पेश करता है.
अगर किसी ने ऑनलाइन बैंक फ्रॉड किया है, या किसी अपराधी ने मोबाइल से सबूत मिटाने की कोशिश की है, तो ऐसे मामलों में यह एक्सपर्ट उन मिटाए गए डेटा को फिर से खोज निकालता है. ये कोर्ट में पेश करने योग्य फॉरेंसिक रिपोर्ट तैयार करते हैं, ताकि अपराधी को सजा मिल सके.
क्या होता है इनका काम?
डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट का काम बेहद पेचीदा और संवेदनशील होता है. उन्हें हर बिट और बाइट को सबूत में बदलना होता है. इनके काम में शामिल होते हैं:
- डिलीट हुए डेटा, ईमेल या कॉल रिकॉर्ड को रिकवर करना
- वायरस या मैलवेयर के जरिए की गई छेड़छाड़ का पता लगाना
- कंप्यूटर या मोबाइल में छिपाई गई फाइलों को ट्रेस करना
- साइबर क्राइम, बैंक फ्रॉड, हैकिंग की जांच करना
- डिजिटल सबूतों की वैधानिक रिपोर्ट तैयार करना
- कोर्ट और लॉ एजेंसियों को केस में तकनीकी सपोर्ट देना
इन एक्सपर्ट्स को कई बार सीबीआई, ईडी, क्राइम ब्रांच, या साइबर क्राइम सेल के साथ काम करने का मौका मिलता है. इसके अलावा कई बार निजी कंपनियां और बैंक भी इन्हें साइबर सुरक्षा के लिए हायर करते हैं.
क्या करें पढ़ाई?
डिजिटल फॉरेंसिक्स का प्रोफेशन बनने के लिए साइंस या टेक्नोलॉजी बैकग्राउंड जरूरी होता है, लेकिन अब लॉ और क्रिमिनोलॉजी के स्टूडेंट्स के लिए भी इसमें करियर की राह खुल चुकी है.
डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेस:
- Digital Forensics & Cyber Law
- Mobile Forensics
- Cyber Crime Investigation
- Network & Ethical Hacking Forensics
डिग्री कोर्सेस:
- B.Sc / M.Sc in Cyber Security
- PG Diploma in Digital Forensics
- Integrated Law + Forensics Courses
- B.Tech / M.Tech in Cyber Security
कहां कर सकते हैं पढ़ाई?
संस्थान का नाम | प्रमुख कोर्स |
---|---|
CDAC (Centre for Development of Advanced Computing) | PG Diploma in Digital Forensics |
NIELIT | Digital Forensics Certification |
NFSU (National Forensic Sciences University) | B.Sc / M.Sc / PG Diploma in Forensics |
GFSU (Gujarat Forensic Sciences University) | M.Sc in Digital Forensics |
Amity University | B.Tech / M.Tech in Cyber Security |
इसके अलावा कुछ विदेशी यूनिवर्सिटीज भी इस फील्ड में बेहतरीन ऑनलाइन कोर्स ऑफर करती हैं, जैसे SANS Institute (USA), EC-Council, और Coursera प्लेटफॉर्म के जरिए Google या IBM द्वारा पेश किए गए कोर्स.
कहां मिलती है नौकरी?
जैसे-जैसे डिजिटल क्राइम बढ़ रहा है, वैसे-वैसे डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स की मांग भी तेज़ी से बढ़ रही है। ये एक्सपर्ट्स विभिन्न क्षेत्रों में काम कर सकते हैं:
🔹 लॉ एजेंसियां: CBI, ED, क्राइम ब्रांच, पुलिस साइबर सेल
🔹 ज्यूडिशियल सेक्टर: कोर्ट केसों में डिजिटल सबूत जुटाने में सहयोग
🔹 कॉर्पोरेट सेक्टर: साइबर सिक्योरिटी डिपार्टमेंट में
🔹 बैंकिंग और फिनटेक कंपनियां: फ्रॉड डिटेक्शन टीम का हिस्सा
🔹 प्राइवेट फॉरेंसिक लैब्स: स्वतंत्र जांच एजेंसियों के साथ
🔹 फ्रीलांस या कंसल्टेंट: लॉ फर्म्स, स्टार्टअप्स, पत्रकारों के साथ सहयोग
भविष्य और स्कोप
डिजिटल फॉरेंसिक सिर्फ एक करियर नहीं, बल्कि भविष्य की सबसे जरूरी विशेषज्ञता बनती जा रही है.
- डिजिटलीकरण का विस्तार: हर सेक्टर डिजिटल हो रहा है—इसका मतलब अपराध भी डिजिटल हो रहे हैं.
- डेटा प्राइवेसी कानून: भारत में नया डेटा संरक्षण कानून (DPDP Act) लागू होने से अब कंपनियों को प्रोफेशनल जांच सेवाओं की जरूरत पड़ रही है.
- AI और फॉरेंसिक्स का मेल: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब डिजिटल फॉरेंसिक की जांच को और तेज बना रहा है.
- एक्सपर्ट्स की भारी कमी: देशभर में ट्रेन किए गए डिजिटल फॉरेंसिक प्रोफेशनल्स की मांग बहुत ज़्यादा है लेकिन सप्लाई कम है.
जब डिजिटल एक्सपर्ट ने बचाया 5 करोड़ का फ्रॉड
2024 में मुंबई के एक बड़े बैंक को 5 करोड़ रुपये के फ्रॉड की सूचना मिली. मामला जालसाजी का था, लेकिन सबूत मिटा दिए गए थे. केस पहुंचा डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट के पास. उन्होंने सर्वर लॉग, डिलीट किए गए ईमेल और संदिग्ध आईपी एड्रेस की मदद से पूरा कनेक्शन ट्रेस किया और मुख्य आरोपी तक पहुंच गए. केस कोर्ट में गया, आरोपी को सजा हुई और बैंक का पैसा वापस आया. यह एक केस उन कई मामलों में से है जो दिखाता है कि आज डिजिटल फॉरेंसिक कितना ताकतवर और जरूरी क्षेत्र बन चुका है.
अपराध बदल रहे हैं, जांच भी बदलनी होगी
जैसे-जैसे दुनिया स्क्रीन पर सिमट रही है, वैसे-वैसे अपराध भी टेक्नोलॉजी की आड़ में छिपते जा रहे हैं. लेकिन सच चाहे जितना भी गहरा छुपा हो, डिजिटल फॉरेंसिक एक्सपर्ट उसे सामने लाने की ताकत रखते हैं. अगर आपको तकनीक, जांच और न्याय में रुचि है, तो यह फील्ड आपके लिए सुनहरा मौका हो सकता है.
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