Masters In Storytelling: बचपन में दादी-नानी की कहानियां सुनते हुए हम सब बड़े हुए हैं. कभी पंचतंत्र की सीख मिलती थी, तो कभी अकबर-बीरबल के किस्सों में बुद्धिमानी की झलक। अब यही कहानी कहने की कला 21वीं सदी में एक प्रोफेशनल करियर बन चुकी है. जी हां, अब ‘कहानी सुनाओ और करियर बनाओ’ का जमाना है. Netflix, Amazon Prime, UNICEF, Save The Children जैसे प्लेटफॉर्म्स और संस्थानों में स्टोरीटेलर्स की भारी डिमांड है.
क्या है मास्टर्स इन स्टोरीटेलिंग?
मास्टर्स इन स्टोरीटेलिंग एक ऐसा स्नातकोत्तर कार्यक्रम है, जो किसी भी विषय या फॉर्मेट में कहानी कहने की कला सिखाता है — चाहे वह वीडियो हो, एनिमेशन, ब्रांडिंग, या लाइव परफॉर्मेंस. इस कोर्स में छात्र नैरेटिव स्ट्रक्चर, कैरेक्टर बिल्डिंग, कल्चरल स्टोरीज, डिजिटल स्टोरीटेलिंग और इंटरैक्टिव मीडियम्स में कहानी कहने की तकनीक सीखते हैं.
कुछ प्रमुख विश्वविद्यालय जहां यह कोर्स कराया जाता है:
- New York University (Tisch School of the Arts)
- University of the Arts London
- National Institute of Design (India)
- Srishti Institute of Art, Design and Technology, Bengaluru
- California College of the Arts
क्यों है स्टोरीटेलिंग की बढ़ती डिमांड?
- डिजिटल युग में कंटेंट है किंग: आज हर ब्रांड, हर संस्थान अपनी बात को लोगों तक पहुंचाने के लिए कहानी का सहारा ले रहा है. चाहे वह Netflix पर वेबसीरीज हो या इंस्टाग्राम रील्स — हर जगह एक अच्छी कहानी ही दर्शकों को बांधे रखती है.
- शिक्षा से लेकर थेरपी तक: अब स्कूलों में भी स्टोरीटेलिंग का इस्तेमाल बच्चों को कॉन्सेप्ट समझाने, इमोशनल इंटेलिजेंस बढ़ाने और क्रिएटिव थिंकिंग विकसित करने के लिए किया जा रहा है. कई मनोवैज्ञानिक भी स्टोरीटेलिंग को थेरेपी के टूल की तरह उपयोग करते हैं.
- NGOs और सोशल कैंपेन में जरूरी: NGOs में स्टोरीटेलिंग का प्रयोग आम जनता को मुद्दों से जोड़ने, जागरूकता बढ़ाने और डोनेशन जुटाने में किया जा रहा है. UNICEF और CRY जैसी संस्थाएं लोगों की असल कहानियों को दुनिया तक पहुंचा रही हैं.
करियर के अवसर कहां-कहां?
- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स: Netflix, Amazon Prime, Spotify जैसे प्लेटफॉर्म्स में कंटेंट स्ट्रैटजिस्ट, राइटर और नैरेटिव डिजाइनर की डिमांड है.
- ब्रांडिंग एजेंसियां: ब्रांड्स अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए ‘स्टोरी सेलिंग’ का उपयोग करते हैं.
- थिएटर और फिल्म: स्क्रिप्ट राइटिंग और डायरेक्शन में स्टोरीटेलर्स की अहम भूमिका होती है.
- एजुकेशन सेक्टर: स्कूलों, कॉलेजों और लर्निंग ऐप्स में स्टोरी आधारित लर्निंग कंटेंट तैयार करने के लिए प्रोफेशनल्स की जरूरत है.
- एनजीओ और सोशल वर्क: स्टोरीटेलिंग के माध्यम से जमीनी हकीकत को नीतियों और फंडर्स तक पहुंचाया जाता है.
योग्यता और स्किल्स
- किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएशन (आर्ट्स/जर्नलिज्म/मास कम्युनिकेशन/डिजाइन आदि)
- क्रिएटिव राइटिंग और कम्युनिकेशन स्किल
- विजुअल स्टोरीटेलिंग (वीडियो/फोटो) का बेसिक नॉलेज
- ऑडियंस से जुड़ने की क्षमता और इमोशनल इंटेलिजेंस
कोर्स की फीस और ड्यूरेशन
भारत में स्टोरीटेलिंग से जुड़े मास्टर्स प्रोग्राम की फीस 2 लाख से 8 लाख रुपए के बीच होती है. इंटरनेशनल यूनिवर्सिटीज में यह फीस $20,000 से $50,000 तक जाती है. कोर्स की अवधि आमतौर पर 1-2 साल होती है.
ऑनलाइन भी मौजूद हैं विकल्प
जो छात्र फुलटाइम कोर्स नहीं कर सकते, उनके लिए Coursera, edX, Udemy जैसे प्लेटफॉर्म्स पर भी डिजिटल स्टोरीटेलिंग से जुड़े सर्टिफिकेट प्रोग्राम्स उपलब्ध हैं.
अगर आप क्रिएटिव हैं, लोगों की भावनाओं को समझते हैं और अपनी बात प्रभावशाली तरीके से कहना जानते हैं, तो स्टोरीटेलिंग आपके लिए एक आदर्श करियर हो सकता है. बस एक अच्छी शुरुआत कीजिए — कहानी सुनाइए, और दुनिया को जोड़िए.
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