Success Story in Hindi: बिहार के सीतामढ़ी जिले के सुरसंड प्रखंड स्थित करुणा गांव के रहने वाले धीरज सिंह ने यह साबित कर दिया कि अगर हौसला बुलंद हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता. बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले धीरज की कहानी संघर्ष, आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प की मिसाल है. पिता किसान हैं और मां गृहिणी. धीरज की शुरुआती पढ़ाई सरयू हाई स्कूल, सुरसंड से हुई थी. उन्होंने 10वीं कक्षा 2008 में द्वितीय श्रेणी और 12वीं कक्षा 2010 में प्रथम श्रेणी से पास की. इसके बाद 2013 में बीकॉम की डिग्री द्वितीय श्रेणी से हासिल की.
पढ़ाई के साथ नौकरी, फिर सीए बनने का सपना
बीकॉम करने के बाद धीरज ने तुरंत नौकरी शुरू कर दी. लगभग पांच वर्षों तक विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हुए उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक मदद की. लेकिन मन में कुछ बड़ा करने की चाह थी. उन्होंने ठान लिया कि चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना है. वर्ष 2018 में उन्होंने सीए की तैयारी शुरू की. इस राह में सबसे बड़ी चुनौती थी, कोचिंग और पढ़ाई का खर्च. लेकिन धीरज ने हार नहीं मानी और नौकरी से जो कुछ बचत हो रही थी, उससे खुद की कोचिंग फीस भरी.
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Success Story in Hindi: सात साल की तपस्या का फल
सीए की परीक्षा को पास करना आसान नहीं होता, खासकर जब आपके पास सीमित संसाधन हों और किसी गाइडेंस की कमी हो. लेकिन धीरज ने दिल्ली के लक्ष्मीनगर में रहकर कठिन मेहनत और अनुशासन के साथ पढ़ाई जारी रखी. सात वर्षों की लंबी तैयारी और लगातार असफलताओं के बाद 2025 में उन्होंने सीए फाइनल परीक्षा पास कर ली. आज वह न केवल अपने परिवार बल्कि अपने गांव और जिले का नाम रोशन कर दिया है.
प्रेरणा बने धीरज
धीरज की सफलता की कहानी उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो सीमित साधनों के कारण अपने सपनों को छोड़ देते हैं. उन्होंने दिखा दिया कि जुनून, मेहनत और आत्मनिर्भरता के बल पर कोई भी मुकाम पाया जा सकता है. खास बात यह है कि उनका छोटा भाई भी अब सीए बनने की राह पर है और लक्ष्मीनगर, दिल्ली में तैयारी कर रहा है.