General Knowledge: ईरान और इजराइल के बीच चल रहे तनाव ने हालात को काफी गंभीर बना दिया है. मिसाइल हमलों में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे समय में ईरान में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. हालांकि भारत सरकार ने समय रहते जरूरी कदम उठाते हुए अपने लोगों को सुरक्षित निकालना शुरू कर दिया है. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर युद्ध जैसे हालातों में कोई देश अपने नागरिकों को कैसे बाहर निकालता है?
सबसे पहले होती है अपील
जब भी किसी देश में जंग या तनाव जैसी स्थिति बनती है, तो सबसे पहले वहां मौजूद दूसरे देशों के दूतावास सक्रिय हो जाते हैं. भारत ने भी ईरान सरकार से अपील की थी कि भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकलने की इजाजत दी जाए. इसके बाद ईरानी सरकार ने भारतीय छात्रों को जमीनी रास्ते से अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान या अफगानिस्तान की ओर जाने की सलाह दी.
जमीनी और वैकल्पिक रास्तों का सहारा
जब हवाई मार्ग बंद हो जाते हैं, तब सरकारें सड़क या समुद्र के रास्ते नागरिकों को निकालने की योजना बनाती हैं. भारत सरकार ने विशेष बसों के जरिए छात्रों को सुरक्षित जोन तक पहुंचाया, जहां से उन्हें निकाला गया.
दूतावास निभाता है अहम भूमिका
ऐसे समय में विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वहां रह रहे भारतीय नागरिकों को कहा जाता है कि वे दूतावास से संपर्क में रहें और सोशल मीडिया या फोन के जरिए लगातार अपडेट लेते रहें. दूतावास यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी नागरिक संकट में न फंसे.
दूसरे देश से लेनी होती है मंजूरी
दूसरे देश के नागरिकों को निकालने के लिए संबंधित देश की मंजूरी जरूरी होती है. आमतौर पर युद्ध के हालात में भी कोई देश मानवीय आधार पर दूसरे देश के नागरिकों को सुरक्षित बाहर जाने की इजाजत दे देता है.
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