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International Safety Pin Day : आपने भी यूज किया होगा सेफ्टी पिन, जानें किसने किया था इसका आविष्कार

क्या आपको पता है कि 10 अप्रैल को सेफ्टी पिन दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है. दरअसल, सेफ्टी पिन एक ऐसी वस्तु है, जिसे छोटा-मोटा ऑलराउंडर कहा जा सकता है. कपड़ों को संभालने के अलावा यह कभी बटन का काम करता है, तो कभी औजार का. जीवन में इससे कई तरह के काम लिये जाते हैं.

International Safety Pin Day : आपको पता होना चाहिए 18वीं सदी में जब सेफ्टी पिन बनायी गयी थी, उससे पहले तक इसकी जगह पिन के तौर पर तार का उपयोग होता था, जो कि अक्सर उंगलियों में चुभ जाती थी. सेफ्टी पिन के आने से चुभने व चोट लगने का खतरा कम हो गया, इसलिए इसका नाम सेफ्टी पिन प्रचलित हो गया.

किसने बनायी थी पहली सेफ्टी पिन

29 जुलाई, 1796 को जन्मे वाल्टर हंट नामक मकैनिक और आविष्कारक ने वर्ष 1849 में पहली सेफ्टी पिन बनायी थी. ये वाल्टर हंट वही हैं, जिन्होंने पेन, स्टोन, चाकू की धार तेज करने वाले औजार, स्पिनर और सिलाई मशीन आदि का भी आविष्कार किया है. इनके बारे में कहा जाता है कि अक्सर इन पर कर्ज चढ़ा रहता था, जिसे उतारने के लिए ये नयी-नयी चीजें बनाकर बाजारों में बेचते थे. सेफ्टी पिन के आविष्कार के पीछे भी यही बात कही जाती है.

पहली बार इसे नाम दिया ड्रेस पिन

हालांकि, सेफ्टी पिन के बनने को लेकर एक और कहानी प्रचलित है, जिसके अनुसार वाल्टर ने यह सेफ्टी पिन अपनी पत्नी के लिए बनायी थी. पत्नी की ड्रेस में लगे हुए बटन बार-बार टूट जाते थे. इसी परेशानी को दूर करने के लिए वाल्टर ने एक तार से नया जुगाड़ तैयार किया. यह जुगाड़ ड्रेस में ऐसे बटन का काम करता था, जो जल्दी नहीं टूटता. इसे देखने के बाद वाल्टर हंट के मन में सेफ्टी पिन बनाने का आइडिया आया और उन्होंने इसे ड्रेस पिन का नाम दिया. अतः कहा जा सकता है कि सेफ्टी पिन का असली नाम ड्रेस पिन है. दरअसल, शुरुआत में सेफ्टी पिन आज जैसा नहीं दिखता था. बाद में जब वॉल्टर हंट ने इसे ऐसा बनाया कि इसे लगाते समय हाथ में चुभे न और यह अच्छी तरह से सेट भी हो जाये. तब इसे सेफ्टी पिन कहा जाने लगा. बाद में वाल्टर हंट ने जब देखा कि सेफ्टी पिन की बाजारों में मांग बढ़ने लगी है, तो उन्होंने उस समय इसके पेटेंट 400 डॉलर में बेच दिये.

सेफ्टी पिन से जुड़ी अन्य रोचक बातें

  • वाल्टर ने आठ इंच तांबे के तार से यह पिन बनायी थी, जिसमें बक्कल भी लगा था.
  • इसका नाम शुरू में ‘न्यू एंड यूजफुल इंप्रूवमेंट इन द मेक ऑर फॉर्म ऑफ ड्रेस पिन’ रखा गया था.
  • वाल्टर ने अपना पेटेंट डब्ल्यू आर ग्रेस एंड कंपनी को चार सौ डॉलर में बेचा था. आगे इस कंपनी ने इसी सेफ्टी पिन के बिजनेस से काफी पैसा बनाया.
  • 1100 बीसी में ग्रीस की माइसिनियन सभ्यता में सेफ्टी पिन के जैसी ही एक वस्तु फाइबुला का उपयोग कपड़े संभालने में होता था.
  • यूरोप के पेटेंट ऑफिस में सेफ्टी पिन के कुल सात सौ पचपन पेटेंट हैं.
  • कलात्मक प्रवृत्ति के लोग सेफ्टी पिन से नेकलेस, बेल्ट जैसी खूबसूरत चीजें भी बना लेते हैं. समय के साथ डिजाइन वाली सेफ्टी पिन भी आने लगी है.

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Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

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