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NDA के गढ़ में ‘इंडिया’ की घेराबंदी, काराकाट लोकसभा की सभी 6 विधानसभा सीटें महागठबंधन के कब्जे में

काराकाट लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी छह विधानसभा सीटों पर इंडिया एलायंस का कब्जा है, बदले हुए हालात में यहां से प्रत्याशी के रूप में उपेन्द्र कुशवाहा मैदान में हैं, पिछले तीन चुनाव से यह सीट एनडीए के कब्जे में है.

मनोज कुमार, पटना. काराकाट लोकसभा क्षेत्र में राजनीतिक तपिश हाइ है. एनडीए की ओर से जदयू के सीटिंग सांसद महाबली सिंह का टिकट काटकर उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को यह सीट दी गयी है. कुशवाहा इस सीट से खुद चुनावी समर में हैं. इंडिया गठबंधन ने भाकपा माले के राजाराम सिंह को एकबार फिर मैदान में उतार दिया है. इन दोनों उम्मीदवारों के बीच आमने-सामने का मुकाबला है.

एनडीए की सीट को बरकरार रखना और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी की घेराबंदी तोड़ना उपेंद्र कुशवाहा की दोहरी चुनौती है. जबकि भाकपा माले के उम्मीदवार राजाराम सिंह के लिए अपना खुद का परफॉर्मेंस ठीक करने की कड़ी परीक्षा है. तीन चुनावों में वे पांच फीसदी से अधिक वोट नहीं पा सके हैं. इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी छह विधानसभा सीट इंडिया के कब्जे में हैं. गोह, ओबरा, नबीनगर, डेहरी और नोखा राजद के कब्जे में है, जबकि काराकाट से भाकपा माले के अरुण कुमार विधायक हैं.

कोइरी, राजपूत व यादव बाहुल्य है काराकाट लोकसभा

काराकाट लोकसभा क्षेत्र यादव, कोइरी और राजपूत बाहुल्य है. मुस्लिम वोट भी यहां बड़ी संख्या में है. अतिपिछड़ों में चंद्रवंशी, मल्लाह चुनाव की दिशा को निर्णायक मोड़ देते रहे हैं. पिछले तीन लोकसभा चुनावों से यहां कुशवाहा जाति से ही सांसद रहे हैं.

काराकाट से एनडीए को ही मिलती रही है सफलता

2008 में परिसीमन के बाद बिक्रमगंज से यह सीट काराकाट के नाम से जानी गयी. इस बीच तीन चुनाव हुए. इस साल चौथी बार चुनाव होना है. काराकाट लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने कभी प्रत्याशी नहीं दिये हैं. यह सीट सहयोगी पार्टियों को ही मिली है. दो बार जदयू, एक बार उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को यह सीट समझौते में मिली. चौथी बार भी यह सीट एनडीए के ही सहयोगी राष्ट्रीय लोक मोर्चा को दी गयी है. पिछले तीन चुनावों में एनडीए के घटक दल जदयू के महाबली सिंह ने दो बार, उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार यहां से जीत दर्ज की.

बदली परिस्थितियों में माले के राजाराम सिंह मैदान में

2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाकपा माले प्रत्याशी राजाराम सिंह मैदान में थे. वे तीसरे स्थान पर थे. उनको 24,932 वोट मिले थे. इससे पहले वर्ष 2009 और 2014 के चुनाव में उनका परफॉर्मेंस बेहतर नहीं था. इस बार भी भाकपा माले ने राजाराम सिंह को ही प्रत्याशी बनाया है. मगर, इस बार परिस्थितियां बदली हुई हैं. राजाराम सिंह इस बार इंडिया गठबंधन समर्थित भाकपा माले के प्रत्याशी हैं. इस लोकसभा में आने वाली विधाानसभा की सभी छह सीटें इंडिया गठबंधन के कब्जे में है. बताया जा रहा है कि इस बदली परिस्थिति में लड़ाई नए सिरे से होगी. राजाराम सिंह के पिछले चुनाव परिणाम में सुधार के आसार जताये जा रहे हैं.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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