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Lok Sabha Election: चढ़ता पारा बढ़ाएगा नेताजी की परेशानी, चुनाव प्रचार में बढ़ेंगे जनता के सवाल

लोकसभा चुनाव 2024 में क्या मौसम का असर पड़ेगा? क्या चुनाव प्रचार करने वाले उम्मीदवारों के लिए जनता के पास कुछ खास सवाल होंगे? ये तमाम सवाल इसलिए खड़े हो रहे है क्योंकि सियासी पारा के साथ-साथ मौसम का मिजाज भी बदल रहा है और चढ़ रहा है. ऐसे में चुनावी चर्चे के दौरान जो तपिश दिखेगी वही आम जनता को मौसम से भी सहनी पड़ेगी. लेकिन इन सबका हिसाब जनता अपने क्षेत्र के उम्मीदवार से मांग सकती है. भूगर्भशास्त्र के अनुसार, मौसम का सीधा असर लोगों पर पड़ता है और उनकी जरूरतों पर भी.

Lok Sabha Election : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. देश भर का सियासी पारा चढ़ चुका है और साथ ही बढ़ रहा है मौसम का भी तापमान. जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है वैसे-वैसे मौसमी परेशानियां भी उपज रही है. गर्मी के मौसम में सबसे बड़ी परेशानी होती है पानी की किल्लत. आग उगलता सूरज, सूखा घड़ा, लोगों के लिए कई परेशानी खड़ी कर देता है. ऐसे में इस बार जब राजनीतिक दल के उम्मीदवार चुनाव प्रचार करने आएंगे तो यकीनन जनता के सवाल इन परेशानियों से संबंधित भी होंगे. जनता यह तो जरूर पूछेगी कि उनकी प्यास कैसे बुझेगी और इस भीषण गर्मी से राहत कैसे मिलेगी और आप इसके लिए क्या करेंगे.

गर्मी के दिनों में होने वाली कुछ आम परेशानियां…

  1. बिजली की समस्या
  2. पानी की समस्या
  3. लू की समस्या
Weather Problems
Weather problems

Lok Sabha Election: मौसम में बदलाव का असर लोगों की मानसिकता पर

इस बार वोटर के दरवाजे पर उम्मीदवार जब चुनाव प्रचार करने आएंगे तो ऐसा संभव है कि मतदाता पांच साल के रिपोर्ट कार्ड या प्रत्याशी के आगामी योजना में गर्मी से राहत के लिए उनके कार्य और योजना जरूर खोजेंगे. अगर बिजली, पानी या गर्मी की परेशानी का सामना उन्हें करना पड़ रहा है तो प्रत्याशी को उनकी उपेक्षा झेलनी पड़ सकती है. भूगर्भशास्त्र के अनुसार, मौसम में होने वाले बदलाव के साथ लोगों की मानसिकता भी बदलती है. वर्तमान समय में जिन परेशानी का सामना लोगों को करना पड़ता है उस वजह से भी वह अपना निर्णय बनाते है.

जल संकट बन सकता है वोट संकट

बात अगर झारखंड राज्य की करें तो इन दिनों कड़ी धूप देखने को मिल रही है. राजधानी रांची समेत कई ऐसे जिले है जहां लू चल रही है. राजधानी रांची में कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां बड़ी आबादी को गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है. एक बूंद जल, अमृत के समान दिखता है. ऐसे ही कई अन्य क्षेत्र है जहां पानी की किल्लत, बिजली कटौती और भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है. ऐसे में यह कहना कहीं से भी गलत नहीं होता कि इस बार के चुनाव में मौसम का रोल काफी अहम रहने वाला है और चुनावी परिणाम पर भी गहरा असर देखने को मिल सकता है.

इनपुट : डॉ. नीतीश प्रियदर्शी भूगर्भ शास्त्री, रांची

Aditya kumar
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I adore to the field of mass communication and journalism. From 2021, I have worked exclusively in Digital Media. Along with this, there is also experience of ground work for video section as a Reporter.

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