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बिहार के राजघरानों की भी रही है राजनीति में रुचि, डुमरांव महाराज ने पहले लोकसभा चुनाव में दर्ज की थी जीत

आजादी के बाद संयुक्त बिहार में एक दर्जन से अधिक राजघरानों ने चुनाव में आजमायी किस्मत, रामगढ़ महाराज का पूरा परिवार आया राजनीति में, दरभंगा महाराज को नहीं मिली सफलता, डुमरांव महाराज ने जीता था पहला लोकसभा चुनाव

मनोज कुमार, पटना. 1947 में अंग्रेज भारत छोड़ चुके थे. राजशाही खत्म हो गयी थी. लोकतंत्र की बुनियाद पड़ गयी थी. 1952 से मुल्क में वोट से प्रतिनिधि चुने जाने लगे. इस दौरान संयुक्त बिहार में राजघरानों ने भी लोकतंत्र को कबूल किया. वे भी चुनाव लड़ने लगे. उनकी दिलचस्पी केंद्रीय सत्ता में ज्यादा थी. राजनीति में बिहार के कई घराने उतरे.

डुमरांव महाराज, धरहरा स्टेट, बाघी स्टेट व माझी स्टेट के राजवाड़ों को कामयाबी मिली. रामगढ़ (झारखंड) राजपरिवार भी सफल रहा. दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह को असफलता हाथ लगी. बाद में गिद्धौर स्टेट के दिग्विजय सिंह व उनकी पत्नी भी सफल रहीं. विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह भाजपा से विधायक हैं. डुमरांव महाराज परिवार से शिवांग विजय सिंह ने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ा. उनको हार का सामना करना पड़ा. समय के साथ-साथ राजघरानों की राजनीति में पकड़ ढीली पड़ती गयी.

1952 में डुमरांव महाराज 26 साल की उम्र में बने सांसद

डुमरांव महाराज कमल सिंह ने मात्र 26 साल में शाहाबाद से 1952 में चुनाव जीता था. 1957 में फिर वे दोबारा चुने गये. हालांकि 1962 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. मुजफ्फरपुर के बाघी स्टेट से श्यामनंदन सहाय, सीतामढ़ी के माझी स्टेट से चंदेश्वर नारायण सिन्हा समेत अन्य घरानों के राजा भी संसद पहुंचे.

दो बार हारे महाराजा कामेश्वर सिंह

दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह 1952 के लोकसभा चुनाव में उतरे थे. निर्दलीय चुनाव लड़े. मगर, उनको सफलता नहीं मिली. 1962 में में फिर दोबारा चुनाव लड़े. इस बार भी उनको हार का ही सामना करना पड़ा.

राज परिवारों ने 1962 में बनायी स्वतंत्र पार्टी

राज परिवारों ने 1962 में स्वतंत्र पार्टी का गठन किया. विधानसभा चुनाव में इनको जबरदस्त सफलता मिली. 50 से अधिक राज परिवार या इनके समर्थक चुनाव जीते. उस दौर में इनकी पार्टी को कई नाम दिये गये थे.

कामाख्या नारायण सिंह व उनकी पत्नी भी पहुंचीं संसद

तब के संयुक्त बिहार में शामिल रामगढ़ राज घराने के कामाख्या नारायण सिंह 1957 में हजारीबाग से संसदीय चुनाव से जीते थे. 1962 में औरंगाबाद सीट से भी वे सांसद चुने गये. उनकी पत्नी ललिता राज लक्ष्मी भी संसद पहुंचीं. कामेश्वर सिंह के भाई कुंवर बसंत नारायण सिंह, उनकी माता शशांक मंजरी देवी, पुत्र टिकैट इंद्र जितेंद्र नारायण सिंह भी कई बार सांसद व मंत्री बने

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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