Bhojpuri Movie: भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत एक ऐसे दौर में हुई जब फिल्मों का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि सामाजिक संदेश देना भी था. 1963 में रिलीज हुई पहली भोजपुरी फिल्म ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’ ने न केवल एक नई भाषा में सिनेमा की नींव रखी, बल्कि समाज के संवेदनशील मुद्दों को भी बड़े पर्दे पर लाया. तो आइए, जानते है भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म के बारे में.
पहली भोजपुरी फिल्म जो थी एक नई शुरुआत
1963 में रिलीज हुई ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’ भोजपुरी सिनेमा की पहली फिल्म थी. इसका निर्देशन कुंदन कुमार ने किया था और नाजिर हुसैन ने इसकी कहानी लिखी थी. फिल्म में कुमकुम, असीम कुमार और नाजिर हुसैन ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं थी. यह फिल्म विधवा पुनर्विवाह जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आधारित थी, जो उस समय समाज में एक बड़ा विषय था. फिल्म की शूटिंग मुख्य रूप से पटना के बिहटा गांव, गोलघर और आरा रेलवे स्टेशन में हुई थी.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का मिला आशीर्वाद
इस फिल्म की कहानी जब नाजिर हुसैन ने राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सुनाई, तो उन्होंने इसे सराहा और भोजपुरी में फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया. डॉ. प्रसाद ने पटना के सदाकत आश्रम में फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग में भाग लिया और इसे समर्थन दिया. उनके इस समर्थन ने फिल्म के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
संगीत बना फ्लिम की जान
फिल्म का संगीत चित्रगुप्त ने तैयार किया था, जबकि गीत शैलेंद्र ने लिखे थे. लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी जैसे महान गायकों ने इसमें अपनी आवाज दी. ‘गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो’, ‘सोनवां के पिंजरा में’, और ‘मोरे करेजवा में पीर’ जैसे गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं. इन गीतों ने फिल्म की सफलता में अहम भूमिका निभाई थी.