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pravesh lal yadav ने बताया कॉलेज की फीस भरने के लिए 800 रुपये नहीं थे,अपनी सायकिल पड़ी थी बेचनी   

pravesh lal yadav की मानें तो अपने संघर्ष के दिनों से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है.वे मानते हैं कि मेहनत का कोई विकल्प होता है.

pravesh lal yadav भोजपुरी फिल्मों के लोकप्रिय अभिनेताओं में शुमार हैं. आनेवाले महीने में उनकी एक के बाद एक तीन फिल्में सिनेमाघरों में दस्तक देंगी, उनकी उन फिल्मों के अलावा करियर,भाई दिनेश लाल यादव निरहुआ और संघर्ष पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत 

अपनी अब तक की जर्नी को किस तरह से परिभाषित करेंगे ?

मैंने 5 साल आर्मी में काम किया. 2006 में मैं मुंबई आया था. उस वक्त भैया (दिनेश लाल यादव ) इंडस्ट्री में स्टार थे. 2006 से 2007  तक मैंने एक्टिंग की ट्रेनिंग ली. मैं बैरी जॉन के यहां पर एक्टिंग सीखता था. मुझे लगता है कि मैं एकमात्र भोजपुरी एक्टर हूं, जिसने एक्टिंग का कोर्स किया है.मेरी पहली फिल्म चलने के चलाल दूल्हा 2007 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म ने सिनेमाघरों  में 50 दिन पूरा किया था. अब तक के करियर में आर्टिस्ट के तौर पर मैं 50 से अधिक फिल्में की है, जिसमें मेरी चर्चित फिल्मों के नाम औलाद, टाइगर, हीरो रही है. इसमें एक फिल्म घूंघट में घोटाला है.यह एक हॉरर कॉमेडी फिल्म है.उस फिल्म ने मेरे यूट्यूब चैनल पर 100 मिलियन व्यूज किया है. मुझे लगता है कि यह रिकॉर्ड बहुत कम भोजपुरी फिल्मों के पास है.इसके साथ ही  मैं निरहुआ इंटरटेनमेंट दो अहम डायरेक्टर्स में से एक हूं. निर्माता के तौर पर मैं अब तक 30 फिल्में बना ली है. राम लखन, निरहुआ हिंदुस्तानी, निरहुआ रिक्शावाला 2, बॉर्डर, निरहुआ हिंदुस्तानी 3 इसमें बहुत ख़ास नाम है.

आपकी आनेवाली फ़िल्में कौन सी हैं? 

अभी जो मेरी आने वाली फिल्में है घर परिवार जो 2 अगस्त को थिएटर में रिलीज हो रही है.15 अगस्त को निरहुआ हिंदुस्तानी 4 रिलीज हो रही है 30 अगस्त को घूंघट में घोटाला 3 रिलीज हो रही है. मेरी यह सभी फिल्में थिएटर में रिलीज होगी. 


 भोजपुरी फिल्में देखने के लिए दर्शन थिएटर में नहीं आ रहे है.ऐसे में एक के बाद फिल्मों की थिएटर रिलीज को आप कितना बड़ा रिस्क मानते हैं? 

 सच पूछिए तो आज की डेट में पूरा का पूरा 100% रिस्क ही है. यह बात चलती है कि पब्लिसिटी का भी पैसा निकलेगा की  नहीं. थिएटर लोडिंग का पैसा निकलेगा या नहीं, लेकिन यह रिस्क देखते हुए भी हमको उठना तो पड़ेगा. अगर यही बात नजीर हुसैन साहब सोचते तो फिर भोजपुरी फिल्में कभी अस्तित्व में ही नहीं आती थी.हमें कोशिश करते रहना है ,क्योंकि किसी भी सिनेमा का अस्तित्व थिएटर से ही है ना टीवी से है ना ओटीटी से.  इसके साथ ही मुझे लगता है कि बस एक फिल्म का इंतजार है, जो थिएटर में फिर से भोजपुरी फिल्मों की वापसी करवा देगी.मैं इसी उम्मीद से अपनी दो बड़ी फ्रेंचाइजी फिल्म रिलीज कर रहा हूं. निरहुआ हिंदुस्तानी 4 और घूंघट में घोटाला 3. मैं बताना चाहूंगा कि मैं इन फिल्मों को थिएटर के दर्शकों को ध्यान में रखते हुए ही बनाया है.दोनों फिल्मों की 80% शूटिंग लंदन में हुई है 20% फिल्म की शूटिंग आजमगढ़ और बनारस में हुई है.थिएटर में अगर लोग फिल्में देखने नहीं जाते तो फिर हिंदी फिल्में हमारे बंगाल,बिहार, झारखंड में इतना अच्छा क्यों कर रही है. इनमें दर्शक भोजपुरी भाषी ही है . मुझे लगता है कि भोजपुरी के सबसे बड़े निर्माता को एकजुट होकर इस पर विचार करना चाहिए. 

इन फिल्मों के प्रमोशन की कुछ स्पेशल तैयारी है? 

कोरोना से पहले जब हमारी फिल्में थिएटर में चलती थी तो कई थिएटर में जाकर अपनी फिल्मों का प्रचार करते थे. इस बार भी हम अपनी फिल्मों के स्टारकास्ट के साथ ऐसा कुछ करने की सोच रहे हैं. लोगों के बीच या उम्मीद जागना चाहते हैं कि आप थिएटर तक लिए आप निराश नहीं होंगे.

क्या आपको लगता है कि भोजपुरी सितारे म्यूजिक वीडियो में ज्यादा दिख रहे हैं ,इसलिए दर्शक उनकी फिल्मों से कनेक्ट नहीं हो रहे हैं ?

मैं भी इस बात से इत्तेफाक रखता हूं कि हमारे जो स्टार्स थे जिनकी फ़िल्में थिएटर में चलती थी. जिनको देखने लोग सिनेमा में जाते थे. कहीं ना कहीं सोशल मीडिया के जरिए फिर चाहे वह फेसबुक हो, इंस्टाग्राम हो ,लाइव हो या फिर यूट्यूब पर गाने के जरिए उनको लगातार देख रहे हैं ,जिनसे  हमारे जो स्टार्स है। उनका क्रेज गिरा है. थिएटर के बाहर खड़े हो जाए,तो सेल्फी लेने वाले लोगों की भीड़ आ जाएगी लेकिन उसी स्टार की फिल्म को देखने के लिए लोग थिएटर नहीं जाएंगे.सिंपल बात है कि जो चीज फ्री में मिल रही है उसके लिए खर्च क्यों किया जाए.

आपके भाई दिनेश लाल भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार हैं कभी प्रतिस्पर्धा या प्रेशर की भावना से आप जूझते  थे? 

 शुरुआत में एक प्रेशर तो था कि इतना बड़ा नाम है ,लेकिन मैंने उस प्रेशर को अच्छे में  लिया कि अच्छा काम करना है.उनका नाम खराब नहीं करना है.प्रतिस्पर्धा की जो बात है, आप अपने बाप  आपसे क्या कंपटीशन करेंगे. भैया हमेशा मेरे लिए पिता के समान रहे हैं. हालांकि बनारस में मेरी फिल्म उनकी फिल्म का रिकॉर्ड तोड़ती थी, तो कभी उनकी फिल्म मेरी फिल्म का रिकॉर्ड तोड़ती थी. यह कोरोना के पहले की बात है. उस वक्त बनारस के थिएटर में सिर्फ हमारी ही फिल्में चलती थी. भोजपुरी में यूट्यूब पर जिन  तीन एक्टर्स की ही फिल्मों ने 100 मिलियन व्यूज का आंकड़ा पार किया है. जिसमें एक मेरी  फिल्म घूंघट में घोटाला है. भैया की दो से तीन फिल्में हैं और खेसारी जी की एक फिल्म है.

आपके भाई की वजह से आपका संघर्ष कितना आसान रहा है ?

इंडस्ट्री में तो मेरा ऐसा कोई संघर्ष नहीं था.  मुंबई में घर ,खाना सबकुछ था क्योंकि भैया स्टार बन चुके थे,लेकिन जिंदगी में मैंने भी संघर्ष देखा है.अपने पुराने दिनों को मैं भूला नहीं हूं बल्कि अक्सर याद करता हूं. मेरे पिता अकेले कमाने वाले थे, जब कोलकाता से वह अपने काम से रिटायर हो गांव वापस आ गए तो उस वक़्त भैया सिंगिंग में संघर्ष कर रहे थे और मैं उस वक़्त पढ़ाई कर रहा था. बी ए फर्स्ट ईयर में कंप्लीट कर चुका था. सेकंड ईयर में जाने के लिए मुझे 800 रुपये कॉलेज की फीस भरनी थी. नाम लिखवाने के लिए मैंने अपनी वह साइकिल भेज दी.जिससे मैं पढ़ने 4 किलोमीटर दूर जाता था. आज मेरे पास कई महंगी कारें हैं.  मुझे बाइक से ज्यादा कार पसंद है.अपने जीवन अनुभव से मैंने यही समझा कि कुछ भी तय नहीं है. कभी अच्छा वक़्त रहेगा. कभी बुरा बस आपको मेहनत  करते रहना है. 

भाई के नक्शे कदम पर चलते हुए क्या आप भी राजनीति में हाथ आजमाना चाहेंगे?

कल तो किसी ने नहीं देखा है लेकिन मेरी रुचि राजनीति में नहीं है. मुझे फिल्मों से ज्यादा लगाव है.

दिनेश लाल यादव की लोकसभा हार से उबरना कितना मुश्किल आप लोगों के लिए रहा ?

पॉलिटिक्स में जहां तक मैं समझता हूं,आपकी जीत या हार  समीकरण से तय होता है. पिछले चुनाव के वक्त यह था कि गुड्डू जमाली बसपा से लड़े थे.उनको ढाई लाख वोट मिला था. इस बार अखिलेश जी से मिल गए थे. ऐसे में जो यादव का वोट था.वह भी उनको चला गया. यह सब राजनीति में बहुत मायने रखता है। हो सकता है कि अगली बार समीकरण हमारे हक़ में हो.

फिल्मों के अलावा आपकी रूचि किसमें हैं ?

फिल्मों  के अलावा मेरी रुचि क्रिकेट में बहुत है. सेलिब्रिटी क्रिकेट लीग में मैं खेलता हूं.मैं एक अच्छा प्लेयर हूं. भोजपुरी प्रीमियर लीग का भी मैं फाउंडर हूं.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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