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Dilip Kumar Birth Anniversary: 10 अंडों का ऑमलेट खाने से अंग्रेजों के किचन में सैंडविच बनाने तक, बड़े ही अनोखे थे दिलीप साहब

Dilip Kumar Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा जगत में 'ट्रेजेडी किंग' से विख्यात दिलीप कुमार की आज 102वीं बर्थ एनिवर्सरी है. एक्टर ने अपने करियर में कई शानदार फिल्मों में काम किया है. ऐसे में आज उनके खास दिन पर उनके बारे में कई दिलचस्प बातें बताएंगे.

Dilip Kumar Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा में अपने शानदार अभिनय के दम पर प्रसिद्धि हासिल करने वाले दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार को शायद ही कोई सिनेमा प्रेमी न जानता हो. दिलीप साहब ने अपने जमाने में एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दी हैं. सिर्फ उस वक्त ही नहीं, आज के समय में भी कई लोग दिलीप कुमार की फिल्मों को देखना पसंद करते हैं. 11 दिसंबर 1922 को पेशावर में जन्में दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. दिलीप कुमार ने भले अपने करियर के दौरान काफी सफलता और शौहरत हासिल की हो, लेकिन उनकी जिंदगी में एक वक्त ऐसा भी रहा था, जब उन्हें काफी संघर्ष क सामना करना पड़ा. ऐसे में आज उनकी 102वीं वर्षगांठ (बर्थ एनिवर्सरी) पर उनसे जुड़े कई रोचक किस्सों से आपको रूबरू कराएंगे.

क्यों बदला दिलीप कुमार ने अपना असली नाम?

हिंदी सिनेमा में ट्रेजडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार को फिल्मों में काम करने का पहला मौका प्रोडक्शन हाउस बांबे टाकीज के तहत साल 1944 में बनी फिल्म ‘ज्वार भाटा’ से मिला था. इसी फिल्म के लिए उन्होंने अपना नाम यूसुफ से दिलीप कुमार रख लिया था. एक्टर बनने से पहले ब्रिटिश आर्मी की कैंटीन में काम करते थे. यहां वह सैंडविच बनाते थे, जो अंग्रेजों को बहुत पसंद आता था.

दिलीप कुमार का संघर्ष भरा जीवन

दिलीप कुमार को यह काम इसलिए करना पड़ा था क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद वह और उनका पूरा परिवार भारत आ गया था. उनके 12 भाई-बहन थे. अब ऐसी स्तिथि में घर के खाने-पिने का गजारा बहुत मुश्किल हो रहा था. यही वजह थी कि उन्होंने ब्रिटिश आर्मी की कैंटीन में नौकरी की. सब ठीक जा रहा था फिर एक दिन एक कार्यक्रम के दौआर्ण उन्हें भारत की आजादी की लड़ाई का समर्थन करने और नारे लगाने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया. यहां तक की उन्हें कुछ दिन जेल में भी गुजारने पड़े. इसके बाद जब वह जेल से बहार आये तब उन्होंने अपने पिता के साथ दूसरा व्यवसाय करने का फैसला लिया और जब यह भी असफल हुआ, तब वह फिल्ममेकर देविका रानी के पास काम मांगने के लिए पहुंचे. यहीं से उनके एक्टिंग के रास्ते खुल गए.

आमलेट खाने के थे शौकीन

दिलीप कुमार खाने के बहुत शौक़ीन थे और उसमें भी आमलेट उन्हें सबसे ज्यादा पसंद था. वह खाना खाने के वक्त दस अंडों का आमलेट बनाकर खाते थे. दिलीप कुमार की फिल्मों की बात करें तो वह ‘मुगल-ए-आजम’ (1960) और ‘राम और श्याम’(1967) से लेकर, ‘गोपी’ (1970), ‘क्रांति’ (1981), ‘शक्ति’ (1982), मशाल (1984) और ‘सौदागर’ (1991) जैसी फिल्मों से अपनी शानदार एक्टिंग का परचम दे चुके हैं.

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Sheetal Choubey
Sheetal Choubey
I'm an entertainment journalist with a degree in Mass Communication from Makhanlal Chaturvedi University. Storytelling is my passion, and the entertainment beat is where my heart lies—because entertainment isn’t just fun, it’s essential to life. I cover everything from films to celebrity news, blending information with excitement in every story I write.

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