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Bastar The Naxal Story Movie Review: नक्सलवाद के गंभीर मुद्दे का सतही चेहरा दिखाती है बस्तर द नक्सल स्टोरी, पढ़ें पूरा रिव्यू

Bastar The Naxal Story Movie Review: अदा शर्मा, इंदिरा तिवारी, राइमा सेन स्टारर फिल्म बस्तर द नक्सल स्टोरी आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म को लेकर इन दिनों काफी चर्चा हो रही थी.

फिल्म – बस्तर – द नक्सल स्टोरी
निर्माता- विपुल शाह
निर्देशक- सुदिप्तो सेन
कलाकार- अदा शर्मा, इंदिरा तिवारी, राइमा सेन, यशपाल शर्मा, शिल्पा शुक्ला और अन्य
प्लेटफार्म- सिनेमाघर
रेटिंग- डेढ़

Bastar The Naxal Story Movie Review: द केरल स्टोरी के बाद निर्माता विपुल शाह, निर्देशक सुदिप्तो सेन और अभिनेत्री अदा शर्मा की तिगड़ी नक्सल द बस्तर स्टोरी के साथ लौट आयी है. नक्सलवाद के गंभीर और संवेदनशील मुद्दे को इस फ़िल्म में बहुत ही सतही ट्रीटमेंट दिया गया है. फिल्म ग्रे में जाकर कुछ भी टटोलने की कोशिश नहीं करती है. यहां सबकुछ ब्लैक एंड व्हाइट है. नक्सली समस्या वास्तविक नहीं बल्कि बनायी गयी है. फिल्म में दिखायी गई इस सच्चाई पर पर दर्शकों को विचार करने की जरूरत है. वैसे सिनेमाई कसौटी पर भी यह फ़िल्म खरी नहीं उतरती है. यह फिल्म सिर्फ फैक्ट्स को कहानी में जोड़े हुए है, इमोशन गायब है और हिंसा नृशंस रूप ऐसा कि एनिमल फिल्म भी कमजोर लगती है. गौरतलब है कि फिल्म अंत में एंड क्रेडिट से पहले यह दिखाना नहीं भूलती है कि 2014 के बाद से बस्तर के हालात काफी अच्छे हो गये हैं.

एक मां के नक्सलियों से संघर्ष की है कहानी
फिल्म की कहानी की शुरुआत में ही बताया जाता है कि बस्तर के गावों में लोगों को भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराने और राष्ट्रगान गाने की मनाही है. ऐसे में जिस परिवार ने ऐसा किया था उसके प्रमुख की नृशंस हत्या नक्सली कर देते हैं और उसके बेटे को नक्सली अपने गिरोह में भी शामिल कर लेते हैं. उसकी पत्नी रत्ना (इंदिरा तिवारी) और बेटी का सहारा बस्तर की आईजी नीरजा माधवन( अदा शर्मा) बनती है. वह रत्ना को ना सिर्फ उसके बेटे को नक्सली गिरोह से वापस लाने का वादा करती है बल्कि रत्ना को स्पेशल पुलिस फोर्स का हिस्सा बनाकर पति के हत्यारों से बदला लेने की राह भी दिखाती है. क्या यह रत्ना कर पाएगी. आगे की कहानी यही है. फिल्म के सब प्लॉट्स में 76 जवानों की हत्या और सुप्रीम कोर्ट में नीरजा माधवन के खिलाफ केस और बस्तर से स्पेशल पुलिस फ़ोर्स के हटाने के केस को भी जोड़ा गया है. यह फिल्म नक्सलवाद और कम्युनिज्म की सांठ गांठ को भी दिखाती है. शहरों में बैठे कुछ लेखक, प्रोफेसर, प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी किस तरह से मिली हुई है. फिल्म इस सच्चाई से भी रूबरू करवाती है.

फिल्म की खूबियां और खामियां

सुदिप्तो सेन की यह फिल्म बस्तर में नक्सलवाद की समीक्षा करती है. कालखंड 2001 तक की घटना को रखा गया है, लेकिन नक्सलवाद की गहराई में यह फिल्म नहीं जाती है. फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले बहुत कमजोर रह गये हैं. नक्सली विकास के बुनियादी ढांचे का विरोध करते हैं. यह फिल्म में सिर्फ संवादों के माध्यम से दिखाया गया है. दर्शकों पर असर छोड़ने के लिए फिल्म में हिंसा को बहुत ही वीभत्स तरीके से दिखाया है. रत्ना के पति की हत्या वाला सीन हो या सलवा जुड़ूम के नेता की हत्या वाला दृश्य से लेकर नक्सली महिला लक्ष्मी का एक छोटी सी बच्ची को आग में फेंकने वाला दृश्य हो मतलब साफ है कि फिल्म अपने प्रभाव को दर्शाने के लिये सिनेमा के बहुत ही कमजोर टूल का इस्तेमाल करती दिखी है. फिल्म ग्रे में जाकर कुछ भी टटोलने की कोशिश नहीं की गयीं है. यहां सबकुछ या तो ब्लैक है या वाइट. नक्सलवाद में शामिल सभी लोगों को खूंखार जानवर की तरह दिखाया गया है, जो सिर्फ पैसों के लिए इस आंदोलन से जुड़े हैं. क्या आदिवासियों को गुमराह किया जाता है. इंदिरा का पति और वो क्यों सभी से अलग सोच रखते हैं. फिल्म में इस पर भी कुछ फोकस नहीं किया गया है. दूसरे पक्षों की बात करें फिल्म की सिनेमेटोग्राफ़ी भी कमजोर है. कैमरवर्क में कई खामियां हैं. संवाद और गीत संगीत कहानी के अनुरूप है. बैकग्राउंड म्यूजिक लाउड हो गया है.

कमजोर कहानी और स्क्रीनप्ले ने अभिनय को भी बनाया कमजोर
अभिनय की बात करें तो अदा शर्मा पूरी फिल्म में एक ही हाव भाव को रखा है. सिर्फ तेवर दिखाता उनका अभिनय थोड़े समय के बाद अखरने लगता है. इंदिरा तिवारी ने अपनी भूमिका के साथ न्याय करने की कोशिश की है. राइमा सेन ऐसे किरदारों में टाइपकास्ट होती जा रही हैं. यशपाल शर्मा,शिल्पा शुक्ला जैसे मंझे हुए कलाकारों को फिल्म में करने को कुछ खास नहीं था. नक्सली भूमिका में नज़र आये एक्टर्स भी टाइपकास्ट अभिनय करते दिखे हैं.

Bastar The Naxal Story: क्या द केरल स्टोरी का रिकॉर्ड तोड़ पाएगी अदा शर्मा की बस्तर, एडवांस बुकिंग हुई शुरू

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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