Health Tips: माइग्रेन के कारण होने वाला सिरदर्द कितना असहनीय होता है, इसके बारे में केवल वही जान सकता है, जो इस परेशानी से दो-चार हुआ है या हो रहा है. एक बार दर्द शुरू हो जाने के बाद पीड़ित को घंटों राहत नहीं मिलती. यदि आपको भी तेज सिरदर्द की शिकायत रहती है, तो हो सकता है कि आप भी माइग्रेन से ग्रस्त हो. ऐसे में आपको भी माइग्रेन के लक्षणों और कारणों के बारे में जानने की जरूरत है. जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ इस बारे में…
प्रो महेश व्यास
डीन, पीएचडी, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, दिल्ली
माइग्रेन एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल विकार है जो गंभीर सिरदर्द का कारण बनता है. इसमें आमतौर पर सिर के एक हिस्से में तेज दर्द होता है. इसके साथ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जो इसे साधारण सिरदर्द से अलग बनाते हैं. इस कारण व्यक्ति की दैनिक गतिविधियां गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं. ऐसे में माइग्रेन के प्रति सजग रहना और उचित चिकित्सा परामर्श लेना जरूरी है. नियमित जीवनशैली, स्वस्थ आहार, और तनाव प्रबंधन तकनीकों को अपनाकर माइग्रेन के अटैक को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. यदि माइग्रेन के लक्षण गंभीर हों या बार-बार हो रहे हों, तो चिकित्सक से सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है.
माइग्रेन के लक्षण
वैसे तो माइग्रेन के लक्षण व्यक्ति विशेष पर निर्भर करते हैं, पर इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
तेज सिरदर्द : यह माइग्रेन का सबसे प्रमुख लक्षण है. इसमें पीड़ित के सिर के एक तरफ तेज दर्द होता है, जो कई कई घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है. यह दर्द आमतौर पर सिर के एक तरफ होता है, पर यह दोनों तरफ भी हो सकता है.
मतली और उल्टी : माइग्रेन के दौरान कई लोगों को मतली और उल्टी की समस्या भी होती है.
प्रकाश और आवाज के प्रति संवेदनशीलता : माइग्रेन के दौरान, रोगी प्रकाश (फोटोफोबिया) और आवाज (फोनेफोबिया) के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो सकता है. तेज रोशनी और तेज आवाज माइग्रेन के दर्द को और बढ़ा सकता है.
दृष्टि संबंधी समस्याएं : कई लोग माइग्रेन के दौरान दृष्टि में गड़बड़ी का अनुभव करते हैं, जिसे ‘औरा’ कहा जाता है. औरा के लक्षणों में शामिल हैं, धुंधली दृष्टि और टनल विजन (दृष्टि का संकरा होना).
थकान और कमजोरी : माइग्रेन का दौरा थकान और कमजोरी का कारण बन सकता है, जिससे सामान्य कामकाज में कठिनाई महसूस होने लगती है.
चक्कर आना : कुछ लोगों को माइग्रेन के दौरान चक्कर भी आते हैं.
गंध के प्रति संवेदनशीलता : माइग्रेन के दौरान, कुछ लोग गंध के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलत हो जाते हैं. सामान्य गंध भी उन्हें परेशान कर सकती हैं और माइग्रेन के दर्द को बढ़ा सकती है.
मानसिक भ्रम और ध्यान में कमी : माइग्रेन के दौरान कुछ लोगों को मानसिक भ्रम, ध्यान में कमी, और निर्णय लेने में कठिनाई का भी अनुभव होता है. यह लक्षण माइग्रेन के दर्द के कारण होते हैं और इसके समाप्त होने पर धीरे-धीरे सामान्य हो जाते हैं.
गर्दन में दर्द और जकड़न : माइग्रेन के साथ-साथ गर्दन में दर्द और जकड़न भी हो सकती है. ये लक्षण माइग्रेन के दर्द को और अधिक पीड़ादायी बना सकते हैं.
हाथ-पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन : कभी-कभी माइग्रेन के दौरान हाथों और पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन का अनुभव भी होता है. ये लक्षण आमतौर पर अस्थायी होते हैं और माइग्रेन के समाप्त होने पर ठीक हो जाते हैं.
भूख में बदलाव : माइग्रेन के दौरान या इसके पहले कुछ लोगों को बहुत ज्यादा भूख लग सकती है, जबकि कुछ की भूख बिल्कुल समाप्त हो सकती है.
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माइग्रेन के कारण
आनुवंशिक कारक : माइग्रेन का एक प्रमुख कारण आनुवंशिक होता है. यदि परिवार में किसी को माइग्रेन है, तो व्यक्ति विशेष के माइग्रेन से ग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है.
न्यूरोवस्कुलर चेंजेज : माइग्रेन के दौरान मस्तिष्क में रासायनिक और रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) संबंधी परिवर्तन होते हैं. वैज्ञानिक मानते हैं कि माइग्रेन के अटैक के दौरान मस्तिष्क की रक्त वाहिकाएं (ब्लड वेसेल्स) संकुचित हो जाती हैं, जिससे न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन) का स्तर बदल जाता है. इन परिवर्तनों से भी माइग्रेन का दर्द शुरू हो सकता है.
हार्मोनल चेंजेज : महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन माइग्रेन का एक सामान्य कारण होता है. मासिक धर्म, गर्भावस्था, और रजोनिवृत्ति के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बदलाव माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं.
तनाव और चिंता : मानसिक तनाव और चिंता भी माइग्रेन का एक बड़ा कारण हो सकते हैं. जीवन में तनावपूर्ण घटनाएं, काम का दबाव, या व्यक्तिगत समस्याएं भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती हैं. तनाव से शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन होते हैं जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं.
आहार और पोषण : कुछ खाद्य और पेय पदार्थ भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं. जैसे चॉकलेट, चीज या पनीर, कैफीन युक्त पेय, शराब, विशेषकर रेड वाइन, प्रोसेस्ड फूड्स में मौजूद एडिटिव्स और प्रिजर्वेटिव्स. इसके अतिरिक्त, उपवास करना या भोजन करने की अनियमित आदतें भी माइग्रेन का कारण बन सकती हैं.
नींद की अनियमितता : अधिक या कम सोना, नींद की कमी, या अनियमित नींद के पैटर्न माइग्रेन का कारण बन सकते हैं. नियमित और पर्याप्त नींद माइग्रेन के अटैक को कम करने में सहायक हो सकती हैं.
पर्यावरणीय कारक : मौसम में बदलाव, उच्च तापमान, नमी, और वायुमंडलीय दबाव में बदलाव भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं.
शारीरिक तनाव : अत्यधिक शारीरिक गतिविधियां या अचानक किये गये शारीरिक मेहनत माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं. व्यायाम या शारीरिक श्रम के दौरान शरीर में होने वाले परिवर्तन माइग्रेन का कारण बन सकते हैं.
दवाइया : कुछ दवाइयां, विशेष रूप से हॉर्मोनल दवाइयां, माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती हैं. गर्भनिरोधक गोलियां और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी (एचआरटी) माइग्रेन के अटैक को बढ़ा सकते हैं.
इन सबके अतिरिक्त, अत्यधिक देर तक कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करना या टीवी देखना भी माइग्रेन का कारण बन सकता है.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.