2 June Ki Roti: 2 जून की रोटी सबको नसीब नहीं होती है.अब आप सोच रहे होंगे कि आज 2 जून है और किसे भला आज के दिन रोटी नहीं मिलेगी.लेकिन फिर लोगों के मन में ये सवाल तो जरूर आता हैं कि आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है कि 2 जून की रोटी सबको नहीं मिलती हैं.ये सिर्फ एक कहावत नहीं है, करोड़ों भूखे पेटों की हकीकत और संघर्ष का प्रतीक है.तो चलिए फिर जानते हैं कि क्या कहानी छिपी 2 जून की रोटी के पीछे.
कहां से आई 2 जून की रोटी की कहावत
हमने बचपन में कई तरह की कहावत को सुना है.उनमे से कुछ ऐसे कहावत है जिनका मतलब हम आज तक नहीं जानते हैं.जैसे कि नौ सौ चूहे खाके बिल्ली चले हज को, सांप भी मर गया लाठी भी नहीं टूटी, इन्ही में से एक है ‘ दो जून की रोटी’.‘ दो जून की रोटी’ का मतलब है दो वक्त की रोटी जुटाना.यह कहावत अवधि भाषा से लिया गया गई जिसमें ‘ जून’ का अर्थ होता है ‘समय’.बहुत से गरीब तबकों के लिए यह कहावत जिंदगी की सच्चाई है, सुबह रोटी मिल गई तो जरूरी नहीं है कि शाम की भी मिल जाएगी.
सोशल मीडिया में खूब वायरल होते हैं मीम
आज के समय में सोशल मीडिया पर ‘2 जून की रोटी’ को लेकर खूब मीम्स और जोक्स बनाए जाते हैं.खासकर 2 जून की तारीख आने पर .आज भी 2 जून की रोटी से संबंधित मीम्स खूब जोर शोर से वायरल हो रहे हैं.
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