Chanakya Niti: इंसान एक सामाजिक प्राणी है. कदम-कदम पर किसी न किसी की जरूरत पड़ती रहेगी. रोजाना कई लोगों के संपर्क में आते हैं, जो कि बहुत जल्द हमारे दोस्त भी बन जाते हैं. इस बदलती दुनिया में हर कोई अपने स्वार्थ की वजह से लोगों से संबंध बनाने पर जोर देता है और जब स्वार्थ खत्म हो जाता है, तो रिश्ते भी खत्म हो जाते हैं. ऐसे में हमें इंसान को समझना बहुत जरूरी होता है. कौन हमारे लिए सही है और कौन नहीं, इस बात को जो इंसान जितनी जल्दी समझ जाए, उसकी जिंदगी आसान हो जाएगी. चाणक्य नीति में ऐसी ही कुछ बातें बताई गई हैं, जो कि यह समझाने का काम करता है कि सच्चा मित्र कौन होता है.
आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे।
राजद्वारे श्मशाने च यात्तिष्ठति स बान्धव:।।
चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि जब कोई बीमार होने पर, असमय दुश्मनों से घिर जाने पर, राजकार्य में सहायक रूप में और मृत्यु में श्मशान पर ले जाने वाला व्यक्ति ही सच्चा मित्र होता है.
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लाइलाज बीमारी में साथ देने वाला
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब व्यक्ति किसी असाध्य रोग से पीड़ित है उसे किसी गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया है या उसकी बीमारी ला इलाज हो गई है. इस परिस्थिति में जो व्यक्ति आपके साथ डटकर खड़ा हुआ है या कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हुआ है, वही व्यक्ति आपका सच्चा दोस्त होता है.
विपरीत परिस्थितियों में साथ देने वाला
चाणक्य नीति के अनुसार, जो व्यक्ति किसी विपरीत परिस्थिति या दुश्मन के चंगुल में फंस गया हो, उसके बाद भी वह इंसान आपका साथ दे रहा है और पीठ दिखाकर भाग नहीं रहा है, तो वह व्यक्ति सच्चा दोस्त होता है.
मृत्यु के बाद श्मशान तक जाने वाला
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति आपके काम में बतौर सहायक और मृत्यु के बाद श्मशान तक जाए, वही व्यक्ति सच्चा दोस्त साबित होता है. ऐसा दोस्त बहुत बिरले लोगों को ही मिलते हैं.
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