Chanakya Niti: प्राचीन भारत के शिक्षकों की बात करें, तो आचार्य चाणक्य का नाम सर्वोपरि है. उन्हें राजनीति में महारत हासिल थी. वे अर्थशास्त्री होने के साथ कुशल रणनीतिकार भी थे. अपने जीवन के विभिन्न अनुभवों को चाणक्य ने एक ग्रंथ में संग्रहीत किया है, जो कि चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है. ये नीतियां आज के आधुनिक युग में भी बहुत ही प्रासंगिक हैं, क्योंकि चाणक्य नीति में राजनीति, धार्मिक, सामाजिक और निजी संबंधों से जुड़े विभिन्न विषयों पर विस्तार से नीतियां बनाई हैं, जो व्यक्ति चाणक्य नीति की बातों को जीवन में अनुसरण करता है, वह विपरीत परिस्थितियों को आसानी से निपटाने में सक्षम हो जाता है. चाणक्य नीति के पहले अध्याय के एक श्लोक में यह बताया गया है कि ऐसे व्यक्ति के लिए घर एक जंगल के समान ही होता है.
माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी।
अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम्।।
इस श्लोक का अर्थ है कि जिस घर में माता न हो और स्त्री व्यभिचारिणी हो, उसे वन में चले जाना चाहिए, क्योंकि उसके लिए घर और वन दोनों समान ही हैं.
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खत्म हो जाती हैं घर की खुशियां
चाणक्य नीति के मुताबिक, जिस घर में माता नहीं होती हैं, वह घर एक दम वीरान हो जाता है. उस घर की रौनक खत्म हो जाती है. मां की वजह से ही घर में खुशियां रहती है. ऐसे में अगर जिस घर में मां न हो वह घर, घर न रहकर जंगल के समान हो जाता है.
लड़ाई-झगड़े होना
चाणक्य नीति के अनुसार, जिस घर की महिलाएं चरित्रहीन और दुष्ट होती हैं, वह घर जंगल के समान होता है. ऐसा घर हमेशा वीरानी में ही गुजरता है. हर दिन लड़ाई-झगड़े होती हैं. ऐसे में इन दोनों परिस्थितियों में घर, जंगल के समान ही रहती है.
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