Chanakya Niti: जिंदगी में मुश्किल और विपरीत समय का आना लाजमी होता है. सुख और दुख जीवन का एक अहम हिस्सा होता है. लेकिन कठिन वक्त में हम किस तरह के निर्णय लेते हैं, ये हमारे लिए काफी मायने रखता है, क्योंकि ऐसी परिस्थिति में लिया गया फैसला जिंदगी आगे की जिंदगी को तय करता है. ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के ग्रंथ में बताया है कि इंसान को विपरीत स्थिति में सबसे पहले क्या करना चाहिए. जो भी व्यक्ति इस बात को समझ लेता है, वह जीवन में कभी परेशान नहीं होता है. उसकी जिंदगी बदल जाती है. उन्होंने चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के 6ठें श्लोक में बताया है कि इंसान को कठिन समय में किन चीजों की रक्षा करनी चाहिए.
आपदर्थे धनं रक्षेद् दारान् रक्षेद् धनैरपि।
आत्मानं सततं रक्षेद् दारैरपि धनैरपि।।
इस श्लोक का अर्थ यह है कि मुश्किल समय में धन की रक्षा करनी चाहिए. धन से ज्यादा पत्नी की रक्षा, लेकिन जब अपनी रक्षा की बात आ जाए, तो धन और पत्नी को त्याग कर सबसे पहले अपनी रक्षा करनी चाहिए.
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धन की रक्षा करें
चाणक्य नीति के अनुसार, जब जिंदगी में मुश्किल समय आए, तो सबसे पहले धन की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि धन विपरीत परिस्थितियों में इंसान के बहुत काम आता है. ऐसे में चाहे सुख हो या दुख पैसों की बचत करके उसे एक जगह रखना चाहिए. इसके अलावा, रुपए, पैसों से ही आज के समय में व्यक्ति के कई काम पूरे होते हैं.
पत्नी की रक्षा करें
चाणक्य नीति के मुताबिक, अगर पत्नी की रक्षा की बात आए, तो धन का त्याग कर के सबसे पहले पत्नी की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि पत्नी परिवार की मान-सम्मान होती है. उसकी मान मर्यादा की रक्षा करने के लिए धन की रक्षा की परवाह नहीं की जानी चाहिए. अगर पत्नी जीवन से चली गई, तो धन का कोई मोल नहीं रह जाता है.
खुद की रक्षा करें
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब अपने रक्षा की बात आ जाए, तो सबसे पहले व्यक्ति को अपनी रक्षा करनी चाहिए. ऐसी परिस्थिति में धन और पत्नी की चिंता को छोड़कर सबसे पहले अपनी रक्षा की चिंता करनी चाहिए, क्योंकि जब व्यक्ति खुद सुरक्षित रहेगा तभी वह पत्नी और धन की रक्षा कर पाएगा.
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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.