Donkey Urine: जब भी किसी की कोई बीमारी एलोपैथी से ठीक नहीं हो पाती है तो वह बहुत उम्मीद की नजरों से आयुर्वेद को देखता है. क्योंकि यह विश्व की सबसे प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में एक है. इसमें हर बीमारी का कारगर उपाय बताया गया है. मिर्गी और हिस्टीरिया ऐसी ही दो बीमारी है जिसका इलाज बहुत ही मुश्किल से होता है. लेकिन पारंपरिक मान्यताओं और आयुर्वेद के मुताबिक गधे के मूत्र इन दो बीमारियों में बेहद फायदेमंद हो सकता है. ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि लेखर सत्येन्द्र पीएस की किताब मांसौषधि में दावा किया गया है. उनका मानना है कि इसमें औषधीय गुण होते हैं जो इस बीमारी में मददगार होने के साथ साथ शरीर को शुद्ध कर देता है.
मिर्गी क्या होता है
मिर्गी एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें दिमाग की विद्युत गतिविधि अचानक असामान्य हो जाती है. इसकी वजह से मरीज को बार-बार दौरे (सीजर्स) पड़ते हैं. ये दौरे कुछ सेकेंड से लेकर कई मिनट तक हो सकते हैं. कई मामलों में मरीज बेहोश हो जाता है या शरीर में झटके आने लगते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक मिर्गी किसी भी उम्र में हो सकती है. सिर में चोट, मस्तिष्क संक्रमण या जन्म के समय की समस्याएं इसकी वजह हो सकती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित दवा और सही इलाज से इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है.
हिस्टीरिया क्या है
हिस्टीरिया एक मानसिक रोग है, जिसमें व्यक्ति मानसिक तनाव के चलते शारीरिक लक्षण महसूस करने लगता है, जबकि कोई शारीरिक कारण नहीं होता. मरीज को अचानक बेहोशी, शरीर में ऐंठन, सांस रुकने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यह समस्या आमतौर पर भावनात्मक आघात, डर या अत्यधिक तनाव के कारण होती है. विशेषज्ञ इसे “कन्वर्जन डिसऑर्डर” भी कहते हैं. यह बीमारी ज्यादातर युवाओं और महिलाओं में देखी जाती है. मनोचिकित्सकों के अनुसार, काउंसलिंग, व्यवहार थेरेपी और परिवार का सहयोग इस रोग के इलाज में बेहद मददगार होता है.
क्या लिखा गया है किताब में
मांसौषधि नामक किताब में लिखा गया है ”खरमूत्रमपस्समारोन्मादग्रहविनाशम् ॥ जिसका अर्थ गधे का मूत्र अपस्मार (मिरगी, हिस्टीरिया), उन्माद (पागलपन आदि) का नाशक है.
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