Gita Updesh: जब अर्जुन का मानसिक रूप से युद्ध करने से विचलित होने लगे, तो श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ अर्जुन को सुनाया था. भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें धर्म, कर्म और आत्मा के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान कराया था. द्वापरयुग में सुनाया गया गीता का उपदेश आज के आधुनिक युग में भी बहुत ही प्रासंगिक होती है. यह पवित्र ग्रंथ जीवन और धर्म का सार है. यह जीवन जीने की कला सिखाती है. इसमें कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग तीनों विषयों पर विस्तार से बातें बताई गई हैं. जब व्यक्ति को कुछ समझ नहीं आता है, तो उसे गीता पढ़ने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इस ग्रंथ में हर समस्या का समाधान बताया गया है. ऐसे में अगर गीता के इन 5 उपदेशों को जीवन में अमल किया जाता है, तो ये व्यक्ति के हर सपने को पूरा करने में मदद करते हैं.
- भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि किसी भी काम की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करनी चाहिए. सकारात्मकता से किए गए हर काम में सफलता हासिल किया जा सकता है. सकारात्मक सोच से हर समस्या का हल मिल जाता है. इसके अलावा, अगर आपका मन नकारात्मक विचारों से भरा हुआ है, तो यह इंसान को निराशा की पहाड़ों में धकेल देता है. ऐसे में व्यक्ति को हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए.
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- गीता उपदेश में बताया गया है कि क्रोध की अग्नि में जलने वाला इंसान अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता है. जिस व्यक्ति में क्रोध की भावना होती है, वह अपना बुद्धि और विवेक खो जाता है. गुस्से में रहने वाला व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ अपना ही नुकसान करता है. ऐसे में जो व्यक्ति समय पर इस आदत में सुधार नहीं करता है, तो उसे जीवन में कई तरह की कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है.
- श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार, व्यक्ति को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होता है. जो व्यक्ति अपनी इंद्रियों पर काबू पा लेता है, वह दुनिया की हर चीज पा सकता है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति को किसी से भी ईर्ष्या और जलन की भावना नहीं होती है. इंद्रियों पर नियंत्रण मन को संतुष्ट रखने का काम करता है.
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