Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा दीपक है जो अंधेरे में रास्ता दिखाता है. यह सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि ऐसा ज्ञान है जो जीवन की उलझनों को सुलझाने में मदद करता है. जब जीवन मुश्किलों से घिर जाता है, जब अपने भी समझ नहीं पाते, तब गीता का संदेश दिल को सुकून देता है. गीता हमें सिखाती है कि बस अपने कर्म पर ध्यान दो, बाकी सब ऊपर वाले पर छोड़ दो. यही सोच हमें चिंता और तनाव से दूर ले जाती है. जब हम माया और मोह में उलझते हैं, तो अपना सच्चा स्वरूप भूल जाते हैं. लेकिन गीता आत्मा की ओर लौटने की राह दिखाती है, वही आत्मा जो स्थायी है, शाश्वत है. आज के समय में, जब रिश्ते कमजोर हो रहे हैं और मन बेचैन रहता है, गीता एक सहारा बनती है. ये हमें सिखाती है कि बाहर की दुनिया चाहे जैसी भी हो, अगर मन भीतर से मजबूत है, तो कोई हमें तोड़ नहीं सकता. यही संतुलन, यही शांति, गीता हमें जीना सिखाती है. ऐसे में अगर आपके लाख कहने के बाद भी अगर कोई आपको नहीं समझ पा रहा है, वह आपको नजरअंदाज कर रहा है, तो गीता के उपदेश के माध्यम से आप अपने मन को शांत कर सकते हैं.
सफलता या असफलता में समभाव रखो
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अपने कार्यों को योगभाव से करो, यानी बिना किसी लगाव या डर के सिर्फ अपने कर्म करते जाओ. अगर लोग न भी समझें, तो भी अपनी नीयत और निष्ठा पर विश्वास रखो.
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स्वधर्म का पालन
गीता उपदेश में बताया गया है कि अगर लोग आपके रास्ते या सोच को नहीं समझते, तब भी अपने उस धर्म (कर्तव्य) को निभाओ जो आपके स्वभाव और आत्मा के अनुकूल है.
फल की चिंता न करें
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि इंसान को सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, फल की चिंता नहीं. मतलब यह है कि जब कोई आपको नहीं समझता, तब भी अपने कर्तव्यों को निष्ठा और ईमानदारी से करते रहो. दुनिया क्या सोचती है, वह आपके कर्म से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है.
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