Gita Updesh: भगवद गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह जीवन के प्रत्येक पहलू को समझाने वाला मार्गदर्शक भी है. गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्धभूमि में जो उपदेश दिए, वे आज भी मानव जीवन को दिशा दिखाने का कार्य करते हैं. गीता में नम्रता को एक महान गुण बताया गया है और इसके तीन प्रमुख लक्षणों को बताया गया है जो किसी भी व्यक्ति को आत्मिक और सामाजिक रूप से ऊंचाई पर ले जा सकते हैं.
नम्रता के तीन लक्षण हैं – 1. कड़वी बात का मीठा उत्तर देना 2. क्रोध के उभार पर शांत रहना 3. दंड के अधिकारी को दंड देते समय भी मन को कोमल रखना.
-भगवद गीता
Gita Updesh: श्रीकृष्ण का उपदेश
“अहंकार, क्रोध और कटुता से दूर रहो; विनम्रता ही वह गुण है जो मनुष्य को देवतुल्य बनाता है.”
-भगवद गीता
3 Signs of Humility in Gita: श्रीकृष्ण ने बताए नम्रता के ये 3 लक्षण, अपनाएं और बदल जाए जिंदगी

1. Krishna’s Teachings on Humility: कड़वी बात का मीठा उत्तर देना
जब कोई व्यक्ति हमारे प्रति कटु वाणी का प्रयोग करता है, तो स्वाभाविक रूप से प्रतिक्रिया में हम भी उसी लहजे में उत्तर देना चाहते हैं. परंतु गीता हमें सिखाती है कि यदि हम संयमित और मधुर उत्तर दें, तो न केवल हम विवाद से बच सकते हैं, बल्कि सामने वाले व्यक्ति के मन में हमारे लिए सम्मान भी उत्पन्न हो सकता है. यह लक्षण हमारी मानसिक शांति और सामाजिक रिश्तों की रक्षा करता है.
उदाहरण:
जब कोई आपको अपशब्द कहे और आप मुस्कान के साथ यह कहें कि “आपका दृष्टिकोण आपके अनुभव का परिणाम है, मैं फिर भी आपका आदर करता हूं,” तो यह उच्चतम स्तर की नम्रता का प्रतीक है.
2. Three Traits of Humility: क्रोध के भड़कने पर शांत रहना
क्रोध वह अग्नि है जो पहले हमें जलाती है और फिर दूसरों को. श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो व्यक्ति क्रोधित होने की स्थिति में भी अपने मन को शांत रख सकता है, वही सच्चे अर्थों में आत्मनियंत्रण प्राप्त करता है. नम्र व्यक्ति अपने क्रोध पर विजय पाने की कला जानता है.
उदाहरण:
यदि कार्यस्थल पर कोई सहकर्मी आपकी गलती निकाले या अपमानजनक शब्द बोले, और आप उसे शांति से सुनकर उत्तर दें – तो यह आपकी मानसिक दृढ़ता और नम्रता को दर्शाता है.
3. Lessons from Krishna to Arjuna: दंड के अधिकारी को दंड देते समय भी चित्त कोमल रखना
किसी को उसके अपराध के लिए दंड देना न्याय का हिस्सा हो सकता है, परन्तु उस समय भी मन में द्वेष नहीं होना चाहिए. दंड उद्देश्यपूर्ण और सुधारात्मक हो, यह नम्रता का तीसरा लक्षण है.
श्रीकृष्ण का संकेत:
“कर्म करो पर भावनाएं निर्मल रखो. दंड दो पर हृदय में करुणा रखो.”– भगवद गीता
उदाहरण:
यदि आप किसी शिक्षक, अभिभावक या प्रशासनिक पद पर हैं और आपको अनुशासन हेतु किसी को दंड देना है, तो यह आवश्यक है कि वह दंड क्रोध या प्रतिशोध की भावना से न हो, बल्कि सुधार की भावना से हो.
नम्रता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि यह आत्मबल और विवेक का परिचायक है. गीता में बताए गए ये तीन लक्षण-मीठा उत्तर, शांत प्रतिक्रिया और कोमल हृदय-वास्तव में व्यक्ति को श्रेष्ठ बनाते हैं. यदि हम इन्हें अपने जीवन में आत्मसात करें, तो न केवल हम स्वयं बेहतर बनेंगे, बल्कि समाज में भी सौहार्द और सद्भाव की भावना को जन्म देंगे.
Bhagavad Gita Quote: भगवद गीता के अनमोल विचार
“नम्रता से विजय मिलती है, क्रोध से केवल पछतावा.”
– श्रीमद्भगवद्गीता
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