Chanakya Niti: चाणक्य एक महान आचार्य होने के साथ-साथ कुशल राजनीतिज्ञ, रणनीतिकार और नीतिशास्त्री भी थे. उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर एक ग्रंथ की रचना की, जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है. चाणक्य नीति समाज, धर्म, राजनीति और निजी संबंधों से जुड़े विभिन्न विषयों पर नीतियों का वर्णन करती है. ये नीतियां व्यक्ति को वास्तविक जिंदगी की हकीकत के बारे में बताती हैं. चाणक्य नीति में लिखी बातें आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितना प्राचीन समय में थी. ये नीतियां वर्तमान समय भी बहुत ही लोकप्रिय हैं. इन नीतियों का अपने जीवन में अनुसरण करने वाला इंसान हर मुश्किल परिस्थिति, बाधा और कठिन राहों से निकलने का हल ढूंढ लेता है. इसके अलावा, चाणक्य ने यह भी वर्णन किया है कि व्यक्ति को कहीं और नहीं इसी धरती पर स्वर्ग मिलता है. हालांकि उसके पास इस तरह के लोगों का होना बहुत ही जरूरी होता है.
चाणक्य नीति के दूसरे अध्याय के तीसरे श्लोक में लिखा है कि
यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी।
विभवे यस्य सन्तुष्टिस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।।
इस श्लोक के जरिए चाणक्य का कहना है कि जिसका पुत्र वशीभूत हो, पत्नी वेदों के मार्ग पर चलनेवाली हो और जो अपने वैभव से सन्तुष्ट हो, उसके लिए यहीं स्वर्ग है.
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जिसका पुत्र आज्ञाकारी हो
चाणक्य नीति के अनुसार, जिस व्यक्ति का पुत्र आज्ञाकारी, अनुशासन में रहने वाला हो, अपने पिता के कहने को नहीं टालता हो, तो उस व्यक्ति को इसी धरती पर ही स्वर्ग की अनुभूति होता है, क्योंकि पुत्र का अनुशासन में रहना माता-पिता की परवरिश और घर के संस्कारों को दर्शाने का काम करता है.
अच्छे चरित्र वाली पत्नी
चाणक्य नीति के अनुसार, जिस व्यक्ति की पत्नी धार्मिक और अच्छे चरित्र वाली होती है, पति का सम्मान करती हो, जितनी संपत्ति है, उसी में संतुष्ट रहती हो और किसी तरह का लालच न रखती हो, तो उस व्यक्ति इसी धरती पर ही स्वर्ग की अनुभूति होने लगती है. ऐसे व्यक्ति को इस भौतिक संसार में ही स्वर्ग मिल जाता है.
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