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Saree Walkathon: लंदन की सड़कों पर 500 महिलाएं साड़ी पहनकर क्यों करेंगी मार्च? पढ़ें वाॅकथाॅन की पूरी कहानी

कार्यक्रम के बारे में डॉ दीप्ति जैन ने प्रभात खबर के साथ खास बातचीत में बताया कि यह आयोजन हमारे लिए बहुत ही खास है. इस वॉकथॉन के मौके पर पूरे विश्व की नजर में हम आयेंगे. यह वाॅकथाॅन एक तरह से हमारे देश के गौरव को और बढ़ायेगा. साड़ी हमारा ऐसा परिधान है, जिसे हम कभी भी और कहीं भी पहन सकते हैं.

साड़ी भारतीय संस्कृति की पहचान है, एक राष्ट्र के रूप में भारत अपनी सदियों पुरानी परंपराओं एवं शिल्प कला-कौशल पर बहुत गर्व करता है. यह जगजाहिर है कि भारतीय कलाओं का चित्रण भारतीय परिधान साड़ी पर बखूबी किया गया है, इसलिए नेशनल हैंडलूम डे 2023 के मौके पर भारतीय संस्कृति की इसी पहचान को विश्व मंच पर प्रदर्शित करने के लिए लंदन की सड़कों पर भारतीय मूल की 500 से अधिक महिलाएं साड़ी वॉकथॉन करेंगी.

‘ब्रिटिश वुमेन इन साड़ी ग्रुप’ इस वॉकथॉन का आयोजन नेशनल हैंडलूम डे के एक दिन पहले 6 अगस्त को करेगा. ग्रुप की अध्यक्ष डॉ दीप्ति जैन ने प्रभात खबर के साथ खास बातचीत में बताया कि यह आयोजन हमारे लिए बहुत ही खास है. इस वॉकथॉन के मौके पर पूरे विश्व की नजर में हम आयेंगे. यह वाॅकथाॅन एक तरह से हमारे देश के गौरव को और बढ़ायेगा. साड़ी हमारा ऐसा परिधान है, जिसे हम कभी भी और कहीं भी पहन सकते हैं. यह परिधान हमारे अंदर आत्मविश्वास का भाव पैदा करता है. साथ ही हमारी यह कोशिश भी है कि हम हैंडलूम उद्योग को बढ़ावा दें. आज के दौर में बुनकरों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है,ऐसे में उनकी कला को बचाने और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती देने के लिए भी हम यह कोशिश कर रहे हैं कि उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय फलक पर दिखाया जाये. साथ ही हमारी यह कोशिश भी है कि आज का युवा हमारी इस पहचान को कायम रखे और साड़ी को अपनाये.

डॉ दीप्ति जैन ने बताया कि आधुनिक भारतीय महिलाएं आत्मनिर्भर हैं और अपनी पावर ड्रेसिंग को फिर से परिभाषित करना चाहती हैं इसके लिए उन्होंने साड़ी को चुना है और यह साबित किया है कि वह साड़ी पहनकर सबकुछ कर सकती है. इसी बात को साबित और स्थापित करने के लिए ‘ब्रिटिश वुमेन इन साड़ी ग्रुप’ का गठन किया गया है. ऐसी महिलाएं जो हैंडलूम की साड़ियां पहनती हैं और अपनी अद्वितीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने में गौरवान्वित महसूस करती हैं वे इस ग्रुप का हिस्सा हैं. लंदन वाॅकथाॅन ग्रुप की अध्यक्ष डाॅ दीप्ति जैन की इस कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने इस आयोजन में महिलाओं को जोड़ने के लिए अभियान चलाया. परिणाम यह हुआ कि सैकड़ों लोगों ने कार्यक्रम में रुचि दिखाई. 500 से अधिक रजिस्ट्रेशन हो जाने के बाद इसे रोक दिया गया, क्योंकि सुरक्षा कारणों से इस सड़क पर बहुत भीड़ जमा करने की इजाजत नहीं मिली है. डाॅ दीप्ति जैन के प्रयासों से 16 जून 2022 को बर्कशायर में 1000 से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया था. हालांकि उस आयोजन में हैंडलूम की साड़ियां नहीं पहनीं गयीं थीं, लेकिन इस आयोजन से प्रेरित होकर ही लंदन वाॅकथाॅन का आयोजन किया गया है.

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डॉ दीप्ति जैन ने बताया कि 6 अगस्त 2023 को लंदन की सड़कों पर इतिहास रचा जायेगा. लंदन के मुख्यमार्ग पर भारतीय मूल की 500 से अधिक महिलाएं भारतीय परिधानों की शान साड़ी पहनकर उतरेंगी. वाॅकथाॅन में शामिल होने वाली महिलाएं पश्चिम बंगाल की जामदानी, कर्नाटक की इलकल, महाराष्ट्र की पैठणी, राजस्थान की बंधनी, मध्य प्रदेश की चंदेरी, ओडिशा की बोमकाई, गुजरात की पटोला, असम की मुगा सिल्क और बिहार की भागलपुरी सिल्क की साड़ियां पहनेंगी. लंदन के इतिहास में आजतक ऐसा नहीं हुआ है. हम इस इवेंट को लेकर बहुत उत्साहित है और खुद को अपनी जड़ों हिंदुस्तान से जुड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं. इसी वजह से हमने नेशनल हैंडलूम डे 2023 के मौके पर लंदन में एक मार्च आयोजित किया है.

डॉ दीप्ति जैन कहती हैं कि साड़ियां हमारे इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं. हथकरघा के माध्यम से जो साड़ी बुनी जाती हैं वे बहुत ही खास होती हैं. यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि हमारे देश में जितने भी राज्य हैं वहां हथकरघा के माध्यम से अलग-अलग तरह की साड़ियां बुनी जाती हैं और वे बहुत खूबसूरत और पहनने में आरामदायक भी होती हैं. यही वजह है कि हम उन साड़ियों और बुनकरों को बचाने के लिए यह पदयात्रा निकाल रहे हैं. यह वाॅकथाॅन छह अगस्त को दोपहर 1:00 बजे ट्राफलगर स्क्वायर से शुरू होगा और फिर 10 डाउनिंग स्ट्रीट जहां प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का आवास और कार्यालय उस ओर जायेगा. 10 डाउनिंग स्ट्रीट पहुंचने पर वहां एक छोटा सा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. उसके बाद यह पदयात्रा पार्लियामेंट स्क्वायर की ओर चलेगी जहां महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास इकट्ठा होकर एक छोटे सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा और फिर इस वाॅकथाॅन का समापन होगा.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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