Holi History: होली हिन्दुओं का एक खास पर्व है, जो हर साल फाल्गुन माह में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने गिले शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं और गले मिलकर होली की शुभकामनाएं देते हैं. इस त्योहार की तैयारी कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती है, जब लोग नए कपड़े खरीदते हैं और विभिन्न पकवानों की तैयारी करते हैं. होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. होलिका दहन के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रसिद्ध हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली क्यों मनाया जाता है? आज इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि होली खेलने की शुरुआत कैसे हुई और लोग इस त्योहार को इतने उत्साह से क्यों मनाते आ रहे हैं.
राधा कृष्ण के प्रेम का है प्रतीक
राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक मानी जाने वाली होली की शुरुआत बरसाने में हुई थी. कहा जाता है कि जब राधा और कृष्ण बचपन में थे, तो वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर रंगों से खेलते थे. यह खेल उनके प्रेम और स्नेह का प्रतीक था, जो आज भी होली के रूप में मनाया जाता है.
कामदेव की तपस्या
शिवपुराण के अनुसार, पार्वती ने शिव से विवाह के लिए कठोर तपस्या की. इंद्र ने कामदेव को शिव की तपस्या भंग करने के लिए भेजा. कामदेव ने शिव पर अपने पुष्प बाण से प्रहार किया, जिससे शिव की समाधि भंग हो गयी. क्रुद्ध होकर, शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया. बाद में, देवताओं ने शिव को पार्वती से विवाह के लिए राजी किया. इस घटना को याद करते हुए, फाल्गुन पूर्णिमा को होली के रूप में मनाया जाता है.
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