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कुमार गंधर्व जी का जीवन ही अपने आप में एक बहुत बड़ी प्रेरणा है : कलापिनी कोमकली

Kumar Gandharv: कुमार गंधर्व जी की आत्मजा (बेटी) विदुषी कलापिनी कोमकली साक्षात्कार में बता रही हैं कि कैसे कुमार जी के जीवन से संगीत के नये साधक प्रेरणा ले सकते हैं.

कुमार गंधर्व जी की आत्मजा विदुषी कलापिनी कोमकली साक्षात्कार में बता रही हैं कि कैसे कुमार जी के जीवन से संगीत के नये साधक प्रेरणा ले सकते हैं.

शास्त्रीय संगीत के नये साधकों को कुमार जी से क्या प्रेरणा लेनी चाहिए?

कुमार जी का जीवन ही अपने आप में एक बहुत बड़ी प्रेरणा है. जो व्यक्ति अपनी भरी जवानी में 26-27 वर्ष की उम्र में ही तपेदिक की बीमारी से बीमार पड़ जाये. पांच साल तक बिना हिले-डुले मौन रहे, फिर उठकर खड़ा हो जाये और बाद में संगीत की दुनिया में इस कदर छा जाये कि आकाश भी छोटा पड़ जाये. यह तो बहुत सीख लेने की बात है कि हमको किस तरह से संयमित रहना है. किस तरह से अपने काम की गहराई में उतरना है और मौन रहकर भी ऐसी साधना करनी है, जो बाद में उभर कर आये. दूसरी बात यह कि कभी भी निराश नहीं होना है. कुमार जी ने संगीत में जो नवीन प्रयोग किये, उसको लेकर नये लोगों को लगता है कि नये प्रयोग करते रहने चाहिए, लेकिन लोग यह भूल जाते हैं कि नये प्रयोग करते समय परंपरा को छोड़ना नहीं चाहिए. परंपरा को गहराई में समझना आवश्यक होता है. सबसे जरूरी है कि अपनी परंपरा और जड़ों को पक्का करें.    

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कुमार गंधर्व जी का जीवन ही अपने आप में एक बहुत बड़ी प्रेरणा है : कलापिनी कोमकली 3
आपकी माता वसुंधरा कोमकली जी का जुड़ाव जमशेदपुर से रहा है. कुमार जी के जीवन में उनके योगदान को कैसे याद करेंगी?

हां, वसुंधरा जी का जन्म जमशेदपुर का रहा है. बाद में उनके जीवन के शुरुआती दिनों में परिवार कलकत्ता जाकर बसा, वहां उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा ली. बाद में संगीत की आगे की शिक्षा के लिए वे मुंबई आ गयीं. उसी गुरु देवधर जी के पास, जिनसे कुमार जी संगीत सीख रहे थे. विवाह उपरांत उनको देवास, मध्य प्रदेश आना पड़ा, तो उनकी तो यात्रा बहुत ही अलग तरह से कुमार जी के संदर्भ में रही है. जिस तरह से उन्होंने अपने आप को कुमार जी की संगीत में ढाला है, मुझे नहीं लगता कि किसी शिष्य ने अपने गुरु के संदर्भ में अपने आपको इतना बदला हो. उन्होंने जो संगीत पहले कलकत्ता में सीखा, वह बहुत अलग था. फिर उन्होंने देवधर जी के पास मुंबई जाकर जो संगीत सीखा, वह भी बहुत अलग था. वे इन दोनों समय में ऑल इंडिया रेडियो के लिए गा रही थीं. उसके बाद जो वह देवास आयीं, तो संगीत दर्शन को लेकर कुमार जी के साथ जो बातचीत, उनसे सीखना, गाना हुआ, उससे संगीत को लेकर जो उनका विचार मंथन है, उसमें बदलाव हुआ. उन दोनों को साथ गाते देखना ईश्‍वरीय साक्षात्कार की तरह था. वह संगत, वह संतुलन, वह शिखर, जहां दोनों साथ-साथ पहुंचते थे. कुमार जी के संदर्भ में उनका तो टर्न अराउंड हुआ है. संगीत में जिस तरह का साथ उन्होंने कुमार जी को साथ दिया है, मुझे नहीं लगता कि संगीत की दुनिया में ऐसा दूसरा कोई वाकया देखने को मिलता है.

Also Read: जितने अच्छे संगीतकार थे, उतने ही अच्छे एक इंसान भी थे कुमार गंधर्व : आनंद गुप्ता आज के समय में शास्त्रीय संगीत की स्थिति को कैसे देखती हैं आप? शास्त्रीय संगीत के भविष्य को लेकर आपका क्या नजरिया है?

शास्त्रीय संगीत की डगर कभी भी आसान नहीं रही है, क्योंकि यह जो संगीत है, ऐसे चलते-फिरते समझ में आने वाला संगीत तो है नहीं. यह सुसंस्कारित संगीत है. जैसे संस्कृत एक सुसंस्कारित भाषा है. जब भी आपको संस्कृत बोलना होगा तो आपको बकायदा उसको सीखना पड़ेगा. वैसे ही शास्त्रीय संगीत आपको सीखनी होगी. कर्णप्रिय होना एक बात अलग है और समझ में आना एक बात अलग है. किसी भी संगीत का कर्णप्रिय होना बहुत अच्छी बात है, लेकिन समझ में आना अलग बात है. जब शास्त्रीय संगीत किसी व्यक्ति को समझ में आने लगता है, तब उसका आनंद द्विगुणित हो जाता है. उसको और आनंद की अनुभूति होने लगती है. जो केवल सुनते हुए आता है, तो आता ही है. वह फिल्मी संगीत सुनकर भी आता है. वह भी सुंदर संगीत है, विशेष रूप से पुराने 70 के दशक से पहले का जो संगीत है, इसलिए शास्त्रीय संगीत की डगर हमेशा मुश्किल रही है, लेकिन उसका दायरा अभी बढ़ गया है. युवाओं में रुचि कहीं कम, तो कहीं ज्यादा देखने को मिलती है, लेकिन जहां भी युवाओं में रुचि देखने को मिलती है. वह बहुत अच्छी है. युवा समझ रहे हैं बात को और अभ्यास भी कर रहे हैं, इसलिए डगर कठिन जरूर है, लेकिन समाप्ति की ओर है, ऐसा बिल्कुल नहीं कहूंगी.

Vivekanand Singh
Vivekanand Singh
Journalist with over 11 years of experience in both Print and Digital Media. Specializes in Feature Writing. For several years, he has been curating and editing the weekly feature sections Bal Prabhat and Healthy Life for Prabhat Khabar. Vivekanand is a recipient of the prestigious IIMCAA Award for Print Production in 2019. Passionate about Political storytelling that connects power to people.

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