Chanakya Niti: चाणक्य प्राचीन भारत के एक महान आचार्य थे. उन्हें अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ कूटनीतिज्ञ और कुशल राजनीतिज्ञ थे. आचार्य चाणक्य ने एक अद्भुत ग्रंथ की रचना की थी, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न अनुभवों को समेटा है. इस ग्रंथ में सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और व्यक्तिगत संबंधों से जुड़े कई विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई है. इस नीति को पढ़ने वाला व्यक्ति जीवन के सार को समझने में काबिल हो जाता है. इसके अलावा, जीवन की तमाम कठिनाइयों का डटकर सामना करने की क्षमता विकसित हो जाती है. ये नीतियां वर्तमान समय में भी बहुत ही प्रासंगिक हैं. ऐसे में चाणक्य नीति के प्रथम अध्याय के श्लोक में चाणक्य बताते हैं कि विद्वान व्यक्ति को कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. अगर वे बातों की अनदेखी करता है, तो उसे जीवन में दुख के बजाय कुछ सुख नहीं मिलता है.
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विद्वानों को होता है नुकसान
चाणक्य नीति के अनुसार, मूर्ख शिष्यों को उपदेश देना फिजूल होता है, क्योंकि मूर्खों को अच्छी बातें समझ नहीं आती हैं. ऐसे में इन लोगों को बातें समझाना अपना समय बर्बाद ही करना है, जिसकी वजह से हमें इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि मूर्ख व्यक्ति को उपदेश देने में समय बर्बाद करने से बचना चाहिए. इससे नुकसान सिर्फ विद्वान व्यक्ति को ही होता है.
जीवन हो जाएगा बर्बाद
चाणक्य नीति के इस श्लोक के मुताबिक, जो महिलाएं चरित्रवान न हों, स्वभाव से दुष्ट हों, दूसरे पुरुषों के साथ संसर्ग करती हों, उनका पालन-पोषण करने से बचना चाहिए. ऐसी महिलाओं के साथ रहने से जीवन बर्बाद हो जाता है.
सिर्फ दुख ही दुख मिलेगा
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, जो व्यक्ति किसी बात से दुखी है, उसे किसी रोग ने जकड़ रखा है, उसके साथ रहने से जिंदगी में सिर्फ दुख ही दुख मिलता है. ऐसे में रोगी व्यक्ति और दुखी व्यक्ति के साथ रहने से दूर ही रहना चाहिए.
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