Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और विशेष अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं. हर साल यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. हिन्दू मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए यह दिन बहुत खास होता है और इस दिन की पूजा से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. महाशिवरात्रि के दिन पूजा के लिए एक विशेष तरीका है, जिसे भक्तों को पालन करना चाहिए. तो आइये जानें की ऐसे कौन से काम हैं जो आपको इस दिन जरूर करने चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए.
महाशिवरात्रि के दिन जरूर करें ये काम
- महाशिवरात्रि के दिन भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनने चाहिए. भक्त इस दिन उपवास रखते हैं जबकि कुछ लोग पूरे दिन पानी तक नहीं पीते. उपवास के दौरान आप पूरे दिन फलहार खा सकते हैं. लेकिन सूर्यास्त के बाद, आपको किसी भी भोजन का सेवन करने से बचना चाहिए.
- पूजा के लिए लोग या तो निकटतम मंदिर में जाते हैं या यदि उनके घर में शिव लिंग है, तो वे केवल उसकी पूजा करते हैं. यह कहा जाता है कि भगवान शिव दूध और दूध के उत्पादों से बहुत प्यार करते हैं इसलिए, शिव लिंग को दूध या दही में स्नान कराना उचित होता है. आप लिंग को स्नान करते समय थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं. महाशिवरात्रि के दौरान अक्सर मंत्रों का जाप किया जाता है. माना जाता है कि इन मंत्रों में कुछ विशेष शक्तियां हैं. वैज्ञानिक रूप से भी यह सिद्ध हुआ है कि ये मंत्र कुछ ऊर्जा कंपन्न उत्पन्न करते हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं. सबसे प्रसिद्ध मंत्र जो जपा जाता है वह है “ॐ नमः शिवाय” जहां आप भगवान शिव के साथ अपनी आत्मा के एकत्व के लिए प्रार्थना करते हैं.
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महाशिवरात्रि के दिन ये न करें
- महिलाओं को भगवान शिव पर सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. इसके बजाय चंदन का लेप लगाया जा सकता है.
- भगवान शिव को काला रंग पसंद नहीं है, इसलिए इस दिन काले वस्त्र न पहनें. इसके अलावा भगवान शिव को लाल फूल वर्जित है इसलिए उन्हें सफेद फूल चढ़ाना उत्तम माना जाता है. इसके साथ ही केतकी और केवड़ा फूल को भगवान शिव ने शाप दिया है इसलिए इन्हें भी शिव की पूजा में इस्तेमाल न करें.
- तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का प्रतीक हैं, इसलिए इन्हें भगवान शिव पर न चढ़ाएं. शिव लिंग की परिक्रमा करते समय एक पूरा चक्कर न लगाएं. इसके बजाय आधा चक्कर लगाएं और फिर वापस अपनी शुरुआती स्थिति पर आ जाएं.
- भगवान शिव को बेल पत्ते चढ़ाते समय यह सुनिश्चित करें कि पत्ते खरोंच-मुक्त हो. खरोंचे हुए पत्ते देवता का अपमान माना जाता है. भगवान शिव को दूध पीतल के पात्र में कभी न चढ़ाएं. इसके बजाय तांबे के पात्र का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- भगवान शिव को नारियल पानी चढ़ाना भी वर्जित है क्योंकि नारियल लक्ष्मी का प्रतिक माना जाता है. इसलिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए. इनपुट: शुभ्रा लक्ष्मी